मिलाद उन नबी 30 को:पैगंबर साहब का संदेश

जयपुर@ इस्लामिक कैलेंडर के तीसरे महीने रबी-अल-अव्वल की 12वीं तारीख को मीलाद उन नबी मनाया जाता है जिसे ईद मिलादुन्नबी कहा जाता है। माना जाता है इस दिन मक्का शहर में 571 ईस्वी में पैगम्बर हजरत मुहम्मद साहब का जन्म हुआ था। इसी की याद में ईद मिलादुन्नबी का पर्व मनाया जाता है। इस साल ये दिन अंग्रेजी कैलेंडर की 30 अक्टूबर को है।

साल भर में 3 ईद

ईद अरबी शब्द है। उर्दू और फारसी में भी इसका उपयोग होता है। ईद का हिन्दी अर्थ पर्व या त्योहार है। अरबी, उर्दू और फारसी में भी ईद का अर्थ खुशी या हर्षोल्लास होता है। मुस्लिम धर्म यानी इस्लामी कैलेंडर के अनुसार साल में 3 ईद मनाई जाती हैं।

पहली ईद उल-फ़ित्र जो कि रमजान के रोजों के बाद शव्वाल महीने की पहली तारीख को मनाई जाती है। इसे मीठी ईद भी कहा जाता है। इस दिन खीर बनाई जाती है और खुशी मनाते हुए सबको खिलाई भी जाती है।

इसके बाद इस्लामी कैलेंडर के आखरी महीने की दसवीं तारीख को ईद-उल-अज़हा मनाया जाता है। इसे बक़र-ईद भी कहा जाता इसी दिन हज भी अदा किया जाता है।

इसके अलावा इस्लामिक कैलेंडर के तीसरे महीने रबी-अल-अव्वल की 12वीं तारीख को मीलाद उन नबी मनाया जाता है जिसे ईद मिलादुन्नबी कहा जाता है। ये ईद पैगंबर हजरत मुहम्मद साहब के जन्मदिन की खुशी में मनाई जाती है।

कैसे मनाया जाता है ईद मिलाद उन नबी

इस दिन पैगंबर मोहम्मद हजरत साहब द्वारा दी गई सीख को पढ़ा जाता है और उन्हें याद किया जाता है। मोहम्मद हजरत साहब के द्वारा किए गए सभी अच्छे कामों को याद किया जाता है। बच्चों को पैगंबर मोहम्मद साहब के बारे में तालीम दी जाती है। ईद मिलाद उन नबी पर रात भर प्रार्थनाएं चलती हैं।

पैगंबर मोहम्मद साहब के प्रतीकात्मक पैरों के निशान पर प्रार्थनाएं की जाती हैं। मोहम्मद साहब की शान में बड़े जुलूस निकाले जाते हैं। इस्लाम का सबसे पवित्र ग्रंथ कुरान भी इस दिन पढ़ा जाता है। इसके अलावा लोग मक्का मदीना और दरगाहों पर जाते हैं। ऐसा कहा जाता है कि इस दिन को नियम से निभाने से लोग अल्लाह के और करीब जाते हैं। लोग आपस में खुशियां मनाते हैं और खुद को अल्लाह का करम महसूस करते हैं।

पैगंबर मोहम्मद साहब के 9 मुख्य संदेश

1. पैगंबर मोहम्मद साहब ने कहा है कि अल्लाह की लानत नाज़िल होती है उन 9 प्रकार के समूहों पर जो शराब से जुड़े हैं। जो शराब बनाए। जिसके लिए शराब बनाई जाए। जो उसे पिए। जिस तक पहुंचाई जाए। जो उसे परोसे। जो उसे बेचे। जो इससे अर्जित धन खर्चे। वह जो इसे खरीदे और जो किसी दूसरे के लिए खरीदे।

2. यदि तुम अल्लाह से प्रेम करते हो तो उसकी सृष्टि से प्रेम करो।

3. अल्लाह उससे मोहब्बत करता है जो उसके बन्दों के साथ भलाई करता है।

4. जो प्राणियों पर रहम करता है, अल्लाह उस पर रहम करता है।

5. रहम दिली ईमान की निशानी है। जिसमें रहम नहीं उसमें ईमान नहीं।

6. किसी का ईमान पूरा नहीं हो सकता जब तक कि वह साथी को अपने बराबर न समझे।

7. अधर्म को सहन किया जा सकता है, मगर ज़ुल्म और अन्याय को नहीं।

8. जिस मुसलमान का पड़ोसी उसकी बुराई से सुरक्षित न हो वह ईमान नहीं लाया ।

9. जो व्यक्ति किसी व्यक्ति की एक बालिश्त भूमि भी लेगा वह क़यामत के दिन सात तह तक ज़मीन में धंसा दिया जाएगा।

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