उपचुनावों में इस बार फहराएगा भगवा परचम..

स्वच्छ छवि और आमजन में स्वीकार्यता..झुंझुनू के लिए जरूरी है ‘शिवकरण जानू’! 

झुंझुनू विधानसभा के उपचुनाव में भाजपा से टिकट के प्रबल दावेदार बने शिवकरण जानू, जीत के मजबूत समीकरणों के बाद प्रदेश और केंद्रीय नेतृत्व की पहली पसंद

ग्राउंड सर्वे और पार्टी के सर्वे में शिवकरण जानू सबसे आगे, सूत्रों के अनुसार अंतिम पैनल में आया नाम; सादगी, सरलता और विकास के प्रति समर्पण करेगा कमाल 

 

झुंझुनू। झुंझुनू विधानसभा क्षेत्र के उपचुनाव की तारीख का ऐलान होते ही राजनीतिक पार्टियों ने चुनावी चौसर बिछाना शुरू कर दिया है। उपचुनाव की घोषणा होते ही आचार संहिता लागू हो गई है। प्रशासन भी अलर्ट मोड पर आ गया है। कार्यक्रम के अनुसार झुंझुनू विधानसभा सीट पर 13 नवंबर को उपचुनाव होगा और 23 नवंबर को मतगणना होगी। उपचुनाव की घोषणा हो गई, लेकिन फिलहाल दोनों ही पार्टियों ने प्रत्याशियों को लेकर पत्ते नहीं खोले हैं। इस बीच झुंझुनू विधानसभा सीट पर बीजेपी और कांग्रेस के कई दावेदार भी सामने आ रहे हैं, लेकिन प्रमुख रूप से गीतांजलि ज्वैलर्स समूह के चेयरमैन और प्रमुख समाजसेवी शिवकरण जानू का नाम मुख्य पैनल में शामिल है। विभिन्न मीडिया एजेंसी और पार्टी के कराए गए सर्वे में शिवकरण जानू का नाम प्रमुखता से सामने आया है। झुंझुनू की जनता को जानू की सादगी, सरलता और विकास के प्रति समर्पण पसंद है। जानू का व्यापारी वर्ग में विशेष प्रभाव है और जनमानस में अच्छी प्रतिष्ठा है। किसी भी तरह की गुट बाजी और विवाद से दूर रहने वाले जानू सब को स्वीकार्य है तथा साफ-सुथरी छवि है। राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ और बीजेपी की विचारधारा से प्रभावित शिवकरण जानू 1991 से लगातार सक्रिय है और तन-मन-धन से सहयोग दे रहे हैं। जानू के पास कार्यकर्ताओं की मजबूत टीम है, जो चुनाव कैंपेनिंग का महत्वपूर्ण आधार है। झुंझुनू में बीजेपी की सीट को जीतने के लिए स्थानीय जनता और कार्यकर्ताओं के साथ जानू के प्रदेश नेतृत्व से मजबूत और प्रभावशाली संपर्क है।  
झुंझुनू में होने वाले सामाजिक, धार्मिक, सांस्कृतिक, शैक्षणिक और राजनीतिक कार्यक्रमों में शिवकरण जानू की सक्रिय भागीदारी है। व्यापारिक क्षेत्र में मजबूत पकड़ के साथ जानू मीडिया फ्रेंडली और आम जन के सहयोगी हैं। झुंझुनू विधानसभा क्षेत्र की 35 ग्राम पंचायतों 81 गांवों और चार नगर निकायों समेत झुंझुनू शहर और ग्रामीण इलाके के संपूर्ण डेटाबेस के साथ शिवकरण जानू की पूरी तैयारी है।


कांग्रेस की परम्परागत सीट को भेदने की ताकत रखते है जानू
हालांकि यह सीट कांग्रेस की परंपरागत सीट मानी जाती है। इस सीट पर अब तक हुए चुनावों में भारतीय जनता पार्टी दो बार ही जीती है। हालांकि उपचुनाव केवल एक बार 1996 में हुए, तब भाजपा के मूलसिंह शेखावत ने जीत हासिल की थी। शेखावत ने बृजेंद्र ओला को हराया था। लेकिन, इस बार शिवकरण जानू के रूप में एक ऐसा दावेदार भाजपा के पास है जो इस सीट को जीतने की काबिलियत रखता है। क्षेत्र में जानू की अच्छी पकड़ है और इस बार झुंझुनूं में भगवा फहरा सकता है। दाअसल, झुंझुनू जिले में लगातार तीसरा अवसर है जब विधायक ने एमपी का चुनाव जीता है। 

जमीनी स्तर पर कार्य करते रहे है जानू, इस बार कर सकते है बड़ा उलटफेर
शिवकरण जानू कई दशकों से क्षेत्र में भाजपा का परचम बुलंद किए हुए है। वर्ष 2014 में भाजपा की संतोष अहलावत ने कांग्रेस की राजबाला ओला को हराकर लोकसभा का चुनाव जीता था तब भी जानू की अहम भूमिका रही थी। हालांकि इससे सूरजगढ़ में उपचुनाव हुए। यहां भाजपा के दिगबर सिंह को हार का सामना करना पड़ा। जीत कांग्रेस के श्रवण कुमार की हुई। इसके बाद वर्ष 2019 में भाजपा के नरेन्द्र कुमार ने कांग्रेस के श्रवण कुमार को हराकर लोकसभा चुनाव जीता। इससे मंडावा में उपचुनाव हुए। यहां कांग्रेस की रीटा चौधरी ने भाजपा प्रत्याशी सुशीला सीगड़ा को हराया। झुंझुनूं सीट पर पहले जब उप चुनाव हुआ था, तब शीशराम ओला के पहली बार सांसद बनने पर हुआ था। अब शीशराम के बेटे बृजेन्द्र ओला के सांसद बनने के कारण उपचुनाव होंगे। लोकसभा चुनाव के दौरान झुंझुनू विधानसभा क्षेत्र में दो लाख 75 हजार 919 मतदाता थे। इनमें दो लाख 72 हजार 519 आम मतदाता व 3400 सेवानियोजित मतदाता थे। हालांकि इनमें कुछ नए मतदाता भी जुड़े हैं। 

इसलिए खाली हुई थी सीट, इस बार भाजपा के पक्ष में बन रहा माहौल
यह सीट लोकसभा चुनाव में बृजेंद्र ओला के सांसद बन जाने के बाद खाली हुई थीं। ओला ने 2023 के विधानसभा चुनाव में 28 हजार 863 वोटों के अंतर से भाजपा प्रत्याशी बबलू चौधरी को हराया था। इसके बाद कांग्रेस ने लोकसभा चुनाव में विधायक बृजेंद्र ओला को सांसद प्रत्याशी बनाकर मैदान में उतारा। लोकसभा चुनाव में ओला ने भाजपा प्रत्याशी शुभकरण चौधरी को 18 हजार 235 वोटों से शिकस्त दी थी।