जयपुर द्वितीय क्षेत्रीय परिवहन कार्यालय द्वारा की गई कार्रवाई में ग्वालियर हाईकोर्ट का बड़ा फैसला, कहा-जिस क्षेत्र में होगा अपराध; वहां के प्राधिकरण को है कार्रवाई का अधिकार
जयपुर। जयपुर द्वितीय क्षेत्रीय परिवहन कार्यालय ने अवैध रूप से परिवहन के कारण एक बस का पंजीकरण मई 2024 को निलंबित किया था। इस निलंबन को बस मालिक महेंद्र गुप्ता द्वारा ग्वालियर उच्च न्यायालय में चुनौती दी गई थी। जहां बस मालिक द्वारा तर्क दिया कि केवल वही प्राधिकरण जिसके तहत बस पंजीकृत है, उसे पंजीकरण निलंबित करने का अधिकार है। ग्वालियर उच्च न्यायालय ने अपने निर्णय में स्पष्ट किया कि मोटर वाहन अधिनियम की धारा 53 के तहत, किसी भी क्षेत्राधिकार में अपराध होने पर उस क्षेत्र का प्राधिकरण पंजीकरण निलंबित कर सकता है। यह निर्णय पंजीकरण निलंबन की अस्पष्टता को दूर करता है और सडक़ सुरक्षा के लिए एक महत्वपूर्ण मिसाल पेश करता है।
उल्लेखनीय है कि बस मालिक अपने वाहनों को अन्य राज्यों में पंजीकृत करवाकर उसमें ज्यादा लाभ कमाने के लिए सीट तथा बॉडी को बढ़ाकर ज्यादा यात्री तथा यात्रियों की जगह माल परिवहन करने के लिए अनाधिकृत रूप से नियम विरुद्ध परिवर्तन कराकर अपने लाभ के लिए राजस्थान राज्य में चलते हैं। ये मालिक मूल रूप से राजस्थान के निवासी है लेकिन टैक्स बचाने तथा राजस्थान के सख्त प्रक्रिया से बचने के लिए ऐसा करते है।
कोर्ट के आदेश के बाद अवैध बसों के परिवहन करने वालों को लगा बड़ा झटका
विभाग अपर परिवहन आयुक्त प्रवर्तन गोपाल सिंह के निर्देशानुसार परिवहन विभाग राजस्थान सरकार ने 22 मई, 31 मई 2024 तक एक अभियान चलाकर ऐसी सौ बसों के खिलाफ पंजीयन निलंबन की कार्रवाई की थी। कई बस मालिक न्यायालय के निर्णय के इंतजार में थे क्योंकि और उनको उम्मीद थी कि यह फैसला परिवहन विभाग के खिलाफ आएगा और उनके वाहन धड़ल्ले से चलते रहेंगे। लेकिन, ग्वालियर उच्च न्यायालय ने परिवहन विभाग के पक्ष में यह फैसला देकर अवैध परिवर्तन कर संचालित करने वाले इन वाहनों के मालिकों को गहरा धक्का दिया है।