कोचिंग सेंटर बिल पेश और अवैध खनन पर हंगामा..भू-जल प्राधिकरण विधेयक पर ‘सरकार का यू टर्न’!

विधानसभा में जोरदार बवाल..विपक्ष का वॉकआउट

छुट्टियों के बाद शुरू हुए सत्र में एक बार फिर रार और तकरार, पेश किए गए अहम बिल; कोचिंग सेंटर बिल में 5 घंटे की क्लास और नियम तोडऩे पर 2 लाख का जुर्माना

हालांकि भू-जल प्राधिकरण विधेयक पारित नहीं करवा पाई सरकार, बिल फिर से प्रवर समिति को भेजा, अवैध बजरी खनन पर विधानसभा में हुआ जमकर हंगामा, जवाब न मिलने पर कांग्रेस का वॉकआउट

जयपुर। होली की छुट्टियों के बाद बुधवार को एक बार फिर विधानसभा की कार्यवाही शुरू हुई। इस दौरान अहम बिल पेश किए गए लेकिन सरकार को फिर से किरकिरी का सामना करना पड़ा। जिस भू-जल प्राधिकरण विधेयक को पारित करवाने के लिए सरकार ने प्रवर समिति से फिर से सदन में बहस के लिए रखवाया था, उसे विधायकों के विरोध के बाद फिर से प्रवर समिति को भेजना पड़ गया। सरकार के लिए यह बड़ा झटका माना जा रहा है। गौरतलब है कि यह बिल इससे पहले भी मौजूदा सत्र में सरकार ने सदन में बहस के लिए पेश किया था। लेकिन विधायकों के विरोध के चलते इसे प्रवर समिति को भेजना पड़ा था। प्रवर समिति से यह बिल फिर से सदन में बहस के लिए रखा गया। लेकिन विधायकों के जबरदस्त विरोध को देखते हुए सरकार ने इसे फिर से प्रवर समिति को ही भेज दिया।
दरअसल, बिल में ऐसे प्रावधान किए गए हैं कि प्रदेश में ट्यूबवेल खुदवाने के लिए सरकार से मंजूरी नहीं ली तो उपभोक्ता को जेल और जुर्माना भुगतना पड़ सकता है। इसमें बिना प्राधिकरण की अनुमति ट्यूबवेल खोदने पर छह महीने जेल और एक लाख रुपये जुर्माने का प्रावधान है। पूर्व में सदन में जब यह बिल पेश किया गया तो विधायकों ने यह कहते हुए इसका विरोध किया था कि इसमें किसानों को भारी परेशानी होगी। वहीं, बुधवार को जब यह बिल फिर से चर्चा में आया तो कई विधायकों ने प्रदेश में ट्यूबवेल खुदवाने की सरकार की बजट घोषणाओं पर सवाल उठा दिए। कांग्रेस के सचेतक रफीक खान ने विधेयक पर बहस के दौरान कहा, बिल में भू-जल पर 50 हजार का जुर्माना और छह माह की सजा का प्रावधान है। अगर अपने क्षेत्र और गांव में जाओगे तो जनता जूते मारेगी।


बिल का बीजेपी विधायकों ने भी किया विरोध, विपक्ष ने बताया पानी पर पहरा
बिल के प्रावधानों को लेकर बीजेपी विधायक भी विरोध में रहे। नाथद्वारा से भाजपा विधायक विश्वराज सिंह मेवाड़ ने कहा, जल संरक्षण की संरचनाओं को सहेजना जरूरी है। अस्पष्ट विधेयक भ्रष्टाचार का कारण बन जाता है। यह किन भूजल स्रोत पर लागू होगा। इसके हितकारियों को लेकर भी प्रावधान स्पष्ट नहीं है। पानी पर टैरिफ की भी बात इस विधेयक में रखी गई है। उन्होंने कहा, यह महत्वपूर्ण विधेयक है, जिसे सुधार करके लागू किया जाना चाहिए। कांग्रेस विधायक हाकम अली खान ने कहा, डार्क जोन से पानी निकालने पर पाबंदी है, लेकिन प्रभावी रूप से लागू नहीं हो पा रही है। यह बिल लागू होने पर भी कोई फर्क नहीं पडऩे वाला है। उन्होंने कहा कि बिल के प्रावधानों के अनुसार, ट्यूबवेल खोदने के लिए फाइल प्राधिकरण के पास जाएगी और अनुमति मिलने तक लोग कैसे पानी का इंतजाम करेंगे। कई लोग आज भी पानी के लिए कुएं और ट्यूबवैल खुदवाते हैं, वो कैसे खुदवा पाएंगे।

अवैध बजरी खनन पर विधानसभा में हुआ जमकर हंगामा, जवाब न मिलने पर कांग्रेस का वॉकआउट
प्रदेश में अवैध बजरी खनन का मामला हाल ही में राजस्थान हाईकोर्ट में भी उठा था। दो दिन पहले, कोर्ट ने सरकार को इस मुद्दे पर कड़ी फटकार लगाते हुए सीबीआई जांच की सिफारिश की और केंद्रीय बलों की मदद लेने का सुझाव दिया। इसी को लेकर बुधवार को विधानसभा में शून्यकाल के दौरान नेता प्रतिपक्ष टीकाराम जूली ने स्थगन प्रस्ताव रखा, जिसे स्पीकर ने नामंजूर कर दिया। हालांकि, जूली को इस विषय पर अपनी बात रखने की अनुमति दी गई। टीकाराम जूली ने हाईकोर्ट के आदेश का हवाला देते हुए कहा कि प्रदेश में हर दिन 1 करोड़ रुपये का अवैध बजरी खनन हो रहा है। उन्होंने आरोप लगाया कि विधानसभा में सत्तारूढ़ दल के 20 से अधिक विधायक अपने-अपने क्षेत्रों में अवैध खनन का मुद्दा उठा चुके हैं। जब सरकार की ओर से कोई ठोस जवाब नहीं मिला, तो टीकाराम जूली और कांग्रेस विधायकों ने विरोध जताते हुए सदन से वॉकआउट कर दिया। 


सरकार का पलटवार, कहा-कांग्रेसराज में पनपा बजरी माफिया, अब विपक्ष के पास मुद्दा नहीं
कांग्रेस के वॉकआउट के बाद संसदीय कार्यमंत्री जोगाराम पटेल ने विपक्ष पर पलटवार किया। उन्होंने कहा कि कांग्रेस के पास कोई ठोस मुद्दा नहीं है, इसलिए वे बिना किसी ठोस आधार के सदन से बाहर चले गए। जोगाराम पटेल ने यह भी आरोप लगाया कि कांग्रेस के शासन में भी अवैध बजरी खनन जोरों पर था और पुलिसकर्मियों पर हमले की घटनाएं आम थीं। दरअसल, प्रदेश में अवैध बजरी खनन से जुड़े मामले की सुनवाई के दौरान 17 मार्च को हाईकोर्ट ने सरकार को कड़ी फटकार लगाई। अदालत ने मौखिक टिप्पणी करते हुए बजरी चोरी, अवैध खनन और परिवहन से जुड़े माफियाओं के कारण पुलिसकर्मियों की मौत पर गंभीर चिंता जताई। हाईकोर्ट ने कहा कि सरकार इस समस्या पर पर्याप्त ध्यान नहीं दे रही है। कोर्ट ने सीबीआई से कहा कि वह चाहे तो सीआरपीएफ या किसी अन्य एजेंसी की मदद लेकर इन मामलों की जांच कर सकती है। कितने मामलों की जांच करनी है, यह सीबीआई स्वयं तय करेगी। साथ ही, कोर्ट ने राज्य सरकार की एजेंसियों को सीबीआई को पूर्ण सहयोग देने का निर्देश दिया। 

पेश हुआ कोचिंग सेंटर बिल, 5 घंटे की क्लास, देनी होगी फीस डिटेल

राज्य में कोचिंग सेंटरों को नियमित करने और उनकी जवाबदेही तय करने के लिए बिल राजस्थान विधानसभा में पेश किया है। राजस्थान कोचिंग सेंटर नियंत्रण एवं विनियमन विधेयक 2025 सदन के पटल पर रखा गया। उच्च शिक्षा मंत्री और डिप्टी सीएम डॉ. प्रेमचंद बैरवा ने राजस्थान कोचिंग सेंटर नियंत्रण एवं विनियमन विधेयक 2025 सदन में पेश किया। 21 मार्च को इस बिल पर चर्चा होगी। इस बिल के जरिए कोचिंग संस्थानों के पंजीकरण, संचालन, फीस, मानसिक स्वास्थ्य सेवाओं, करियर काउंसलिंग, शिकायत निवारण प्रक्रिया और भ्रामक विज्ञापन जैसे कई महत्वपूर्ण पहलुओं पर सख्त नियम लागू करने का प्रस्ताव रखा गया है। जानकारी के मुताबिक इस बिल में इस बात का प्रावधान किया गया है कि कोचिंग संस्थानों में बैच और कक्षा का आकार सीमित रहेगा। प्रत्येक बैच में छात्रों की संख्या प्रॉस्पेक्टस में स्पष्ट रूप से दर्ज करनी होगी और इसे कोचिंग की वेबसाइट पर प्रकाशित करना अनिवार्य होगा। एक बार बैच शुरू होने के बाद, उसमें और नामांकन नहीं जोड़े जा सकेंगे।