‘श्रीराम’ के नाम पर सबसे बड़ा जमीन घोटाला..हाथोज में करोड़ों की सरकारी जमीन खुर्द-बुर्द!

हाथोज ग्राम में जेडीए अधिकारियों की सरपरस्ती में धड़ल्ले से बसाई जा रही ‘श्री राम विहार’ आवासीय योजना, कुल 9.414 हैक्टेयर भूमि पर कर लिया कब्जा, इसमें से 6.60 हैक्टेयर जमीन जेडीए के नाम

जेडीए के जिम्मेदार अधिकारियों की मिलीभगत हुई जगजाहिर, दो सालों में दो-दो बार जेडीए आयुक्त तक मौके पर जा चुके लेकिन नतीजा सिफर


इस योजना में करीब 459 भूखंड किए जा रहे सृजित, इनमें से कई भूखंड़ों से किया अधिकारियों को उपकृत, जेडीए ने ‘हाथोज करधनी’ आवासीय योजना के लिए अवाप्त की थी जमीन; किसानों को मुआवजा भी मिल चुका 

जयपुर। राजधानी में बस रही अवैध कॉलोनियों के खिलाफ जेडीए ने पिछले कुछ समय से कई बड़ी कार्रवाइयां की हैं। तर्क जेडीए का यही रहता है कि अवैध निर्माण नहीं होने देंगे। लेकिन अवैध निर्माणों के खिलाफ इसी तरह का दम भरने वाला जेडीए अपने ही स्वामित्व की जमीन को नहीं बचा पाया। या यूं कहें कि मिलीभगत के तहत जानबूझकर बचाने का प्रयास नहीं किया। नतीजतन राजधानी के निकट हाथोज ग्राम में धड़ल्ले से एक योजना बसाई जा रही है। हर दिन नए निर्माण किए जा रहे हैं लेकिन जेडीए के अधिकारी उस तरफ झांकने की भी जहमत नहीं उठा रहे हैं।
यहां बात हो रही है हाथोज में सृजित की जा रही ‘श्री राम विहार’ आवासीय योजना की। योजना कुल 9.414 हैक्टेयर भूमि पर बसाई जा रही है। जिसमें से करीब 2.8.8 हैक्टेयर खातेदारी की जमीन है जबकि 6.60 हैक्टेयर जेडीए के नाम दर्ज है। इसके बाद भी जेडीए इस मामले पर चुप्पी साधे बैठा है। श्री राम विहार का खेल कितना गहरा है इसका अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि गत दो सालों में दो-दो बार जेडीए आयुक्त तक मौके पर जा चुके हैं लेकिन हुआ कुछ नहीं। अब ये दौरे आधिकारिक रहे या नहीं ये बात तो जेडीए अफसर ही बता सकते हैं लेकिन मौके पर कार्रवाई के नाम पर कुछ नहीं किया गया। योजना में करीब 459 भूखंड सृजित किए जा रहे हैं। कहा तो ये भी जा रहा है कि इनमें से कई भूखंडों के नाम पर ‘उपकृत’ तक किया गया है।

ना नक्शे पास, ना मंजूरी फिर भी धड़ल्ले से निर्माण
‘श्री राम विहार’ आवासीय योजना में यूं तो गड़बड़ी ही गड़बड़ी हैं लेकिन अभी तक योजना के ना तो नक्शे पास किए गए हैं और ना ही योजना को मंजूरी मिली है। इसके बाद भी यहां धड़ल्ले से काम चल रहा है। ऐसा नहीं है कि शिकायतें नहीं हुईं लेकिन शिकायतों को यह कहकर रफा-दफा कर दिया गया कि बड़े लोगों का मामला है। 

इन खसरा नंबरों पर बसाई योजना
ग्राम हाथोज के खसरा नंबर 146/1, 146/2, 142, 148, 134, 149, 132, 133, 141, 146/3, 138, 147, 140, 135, 136, 131


क्या है श्रीराम विहार योजना का गड़बड़झाला, हर कदम पर झोल ही झोल
हाथोज में बसाई जा रही श्रीराम विहार योजना कई मायनों में बेहद महत्वपूर्ण है। दरअसल, यह योजना उसी जमीन पर बसाई जा रही है जो कभी जेडीए ने ‘हाथोज करधनी’ बसाने के लिए किसानों से अवाप्त की थी। किसानों को उनकी जमीन का मुआवजा भी दे दिया गया लेकिन अवाप्ति के बाद कई सालों तक ये जमीन खाली पड़ी रही। इसके बाद अचानक यहां कॉलोनी कटनी शुरू हो गई। इसे लेकर कई बार स्थानीय ग्रामीणों ने शिकायतें कीं लेकिन ना तो पुलिस ने सुनी और ना ही जेडीए ने। धीरे-धीरे मौके पर सडक़ों का काम शुरू हुआ और फिर धीरे-धीेरे गत दो सालों में बड़ी संख्या में भूखंडों पर चारदीवारी भी बना ली गई।

जेडीए ने ‘हाथोज करधनी’ आवासीय योजना के लिए अवाप्त की थी जमीन
दरअसल, जेडीए ने स्थानीय काश्तकारों से ‘हाथोज करधनी’ आवासीय योजना के लिए जमीन अवाप्त की थी। इसके संबंध में 29 जनवरी 1997 को जेडीए ने बकायदा विज्ञप्ति भी जारी कर दी थी। इसके बाद धारा-6 की विज्ञप्ति 12 जून 1998 को जारी की गई। 6 जून 2000 को अवॉर्ड भी जारी कर दिया गया। इसके बाद ये जमीन रिकॉर्ड में जेडीए के नाम चढ़ गई। 


2022 में रची गई करोड़ों की जमीन पर कब्जे की साजिश
रिकॉर्ड में जेडीए के नाम हो चुकी इस बेशकीमती जमीन पर लंबे समय से भूमाफिया की नजर थी। कई बार इसे लेकर मौके पर कब्जे की कोशिशें भी की गईं लेकिन असली खेल साल 2022 में कांग्रेस राज में हुआ। वर्ष 2022 में अचानक ही श्री राम विहार विकास समिति अस्तित्व में आती है और इस समिति की तरफ से एक केस अतिरिक्त जिला एवं सत्र न्यायालय 4 (एडीजे-4) में दायर किया जाता है। इस केस में पहले तो 27 अगस्त 2022 को कोर्ट द्वारा जेडीए को पाबंद किया जाता है कि मौके पर बने मकानों को बिना विधिक प्रक्रिया अपनाए तोड़ा नहीं जाए और उपयोग में बाधा उत्पन्न नहीं की जाए। इसके बाद इसी केस में 22 सितंबर 2022 को कोर्ट का आदेश आता है कि जिन किसानों की जमीन अवाप्त की गई थी, वो ब्याज सहित मुआवजा राशि वापस जेडीए को लौटा सकते हैं यानि जमीन को अवाप्ति से मुक्त कर दिया गया। मजेदार बात यह है कि जेडीए ने इस आदेश के खिलाफ अपील तक नहीं की। जबकि जेडीए अपनी 100 गज जमीन को भी आसानी से नहीं छोड़ता और यहां करोड़ों की अवाप्तशुदा जमीन को अवाप्ति से मुक्त करने के आदेश के खिलाफ जेडीए के किसी अफसर ने मुंह नहीं खोला।