श्री कर्ण नरेंद्र कृषि विश्वविद्यालय के कुलपति डॉ बलराज सिंह ने शनिवार को कृषि स्नातक चतुर्थ वर्ष के 13 कॉलेज के छात्रों के साथ संवाद किया। डॉ बलराज सिंह ने बागवानी फसलों में प्रसंस्करण एवं मूल्य वर्धन गतिविधियों के बारे में विद्यार्थियों से जानकारी सांझा की। डॉ बलराज सिंह ने बताया कि खाद्य प्रसंस्करण क्षेत्र एक अहम भूमिका का निर्वाह करता है यह क्षेत्र मूल्य वृद्धि के माध्यम से किसानों को उनके परिश्रम की बेहतर कीमतें प्राप्त करने में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। भारत में खाद्य प्रसंस्करण उद्योग के अंतर्गत देश की खाद्य सुरक्षा को सुनिश्चित करने, रोजगार के अवसरों का सृजन करने, समावेशी विकास सुनिश्चित करने तथा अर्थव्यवस्था में प्रमुख भूमिका निभा पाने की प्राप्त क्षमताएं विद्यमान है। मूल्य वर्धन वाणिज्य स्तर पर कम लागत वाली फसल का प्रसंस्करण या घर और खेत पर संरक्षण तकनीक के माध्यम से हो सकता है, प्रसंस्करण खाद्य पदार्थों की मांग विशेष स्तर पर बढ़ रही है इसलिए मूल्य वर्धन एक से अधिक जरूरत को पूरा कर सकता हैं। डॉ बलराज सिंह ने बताया कि खाद्य प्रसंस्करण उद्योग के द्वारा किसानों को उनकी उपज का अधिकतम मूल्य मिल सके। उन्होंने खाद्य प्रसंस्करण का महत्त्व बताते हुए कहा कि यह रोजगार के नए अवसर सुनिश्चित करता है , पोषण स्तर में सुधार करता है ,खाद्य सुरक्षा सुनिश्चित करता है ,कृषि में विविधता को बढ़ाता है और निर्यात को बढ़ावा देता हैं। डॉ बलराज सिंह ने उदाहरण के तौर पर बताया कि डेयरी उत्पाद, दूध फल तथा सब्जियों का प्रसंस्करण, पैकेट बंद भोजन तथा पेय पदार्थ खाद्य प्रसंस्करण उद्योग के अंतर्गत आते हैं।
डॉ बलराज सिंह ने बताया कि जीरे में 1.5 – 2.1% तथा अजवाइन में 4% सगन्ध तेल की मात्रा होती हैं। साथ ही उन्होंने बागवानी फसलों पर जोर देते हुए बताया कि फसल के निर्यात को बढ़ावा देने के लिए मूल्यवर्धन करना आवश्यक है। डॉ बलराज सिंह ने बताया कि किसानों को पोटाश उर्वरक फसल की गुणवत्ता और पोषण मूल्य को सकारात्मक रूप से प्रभावित करते हैं। पोटेशियम विभिन्न जैव रासायनिक और शारीरिक प्रक्रियाओं में शामिल है जो स्वाद, बनावट, रंग और शेल्फ लाइफ को बढ़ाता हैं। साथ ही उन्होंने बताया कि अनार के बीज से निकलने वाला तेल कैंसर जैसी बीमारी के उपचार में कारगर है। साथ ही बताया कि प्याज को सुखाकर उसका पाउडर बनाया जा सकता है जो की लंबे समय तक इस्तेमाल किया जा सकता है। डॉ बलराज सिंह ने बताया कि केले को चिप्स जैसे आनुवंशिक रूप से निर्धारित स्नेक्स में परिवर्तित कर दिया जाता है जिनकी सेल्फ लाइफ ताजे फलों के तुलना में अधिक होती है।
डॉ बी एस बधाला ने बताया कि इस कार्यक्रम में 13 कॉलेज के सैकड़ों विद्यार्थी लाभान्वित हुए, कार्यक्रम में डॉ संतोष देवी समोता, डॉ राजेश सिंह व डॉ हीना साहिवाला मौजूद रहे।
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