भाजपा के गढ़ में कांग्रेस का परचम फहराने की बड़ी चुनौती.. चेहरे बयां कर रहे है जमीनी हकीकत..जयपुर शहर में ‘भाजपा को नो टेंशन’!

दोनों प्रत्याशियों द्वारा झोंकी जा रही प्रचार और जनसपंर्क में पूरी ताकत, इस बार भी यहां स्थानीय से अधिक राष्ट्रीय मुद्दों पर लड़ा जा रहा चुनाव, इस बीच जारी है कांग्रेस में टूट का भी सिलसिला

जयपुर। अपनी खूबसूरती, अपनी संस्कृति, अपने रंग और ऐतिहासिकता के लिए प्रख्यात जयपुर इन दिनों राजस्थान की राजनीति का केंद्र भी बना हुआ है। लोकसभा चुनाव के लिए समीकरण, चुनावी योजनाएं यहीं से बनेंगी और इसका असर पूरे राजस्थान पर दिखेगा। जयपुर ऐसी सीट है जहां 1989 से 2019 तक कांग्रेस ने सिर्फ एक बार ही जीत दर्ज की है। इस लिहाज से देखा जाये तो कांग्रेस के लिए ये सीट जीतना आसान नहीं होगा। पिछले दो लोकसभा चुनाव में रिकॉर्ड तोड़ हार के बाद कांग्रेस ने इस सीट पर प्रतापसिंह खाचरियावास को उतारा है। हालांकि उनका सीधा सामना भाजपा की मंजू शर्मा से है जो अभी से अपनी जीत के प्रति आश्वस्त नजर आ रही है। आपको बता दें कि मंजू शर्मा बीजेपी के वरिष्ठ और कद्दावर नेता भंवर लाल शर्मा की बेटी हैं। भंवर लाल बीजेपी पार्टी से कई बार विधायक रह चुके हैं। अब पार्टी ने उनकी बेटी पर विश्वास जताया है। 
जयपुर लोकसभा सीट पर दोनों ही पार्टी कांग्रेस और भाजपा ब्राह्मण तथा वैश्य चेहरों पर दांव खेलती रही हैं। हालांकि इस बार कांग्रेस ने प्रताप सिंह के रूप में राजपूत को मौका दिया है। आंकड़ों पर नजर डाले तो 17 में से 10 बार यहां से ब्राह्मण और तीन बार वैश्य सांसद बने हैं। राजपूत, वैश्य और ब्राह्मण जातियों की संख्या करीब-करीब बराबर है। वहीं करीब 14 प्रतिशत मुस्लिम वोटर भी हैं जो काफी अहम किरदार अदा करते हैं। ऐसे में कांग्रेस का मानना है कि उसे इस बार राजपूत वोट, मुस्लिम वोट और एससी एसटी वोट में से बड़ा हिस्सा उन्हें मिलेगा।

इस सीट पर पीएम मोदी की पहली पसंद मंजू शर्मा ही थी, उन्हें ही मिला मौका
कहा जाता है कि पीएम मोदी की पसंद पर मंजू शर्मा को टिकट दिया गया है, इस वजह से रामचरण बोहरा का टिकट काटा गया है। मंजू शर्मा मौजूदा समय में राजस्थान महिला प्रवासी अभियान की जयपुर प्रभारी है। वह पार्टी से काफी समय से जुड़ी है और काफी सारा काम किया है। मंजू शर्मा 64 वर्षीय है और वह बीजेपी की पूर्व महिला मोर्चा प्रदेश महामंत्री रह चुकी है। हालांकि बीजेपी के अभेद्य किले के रूप में  जाने जानी वाली जयपुर शहर लोकसभा सीट पर जीत के लिए कांग्रेस नई जातिगत रणनीति अपना रही है। कांग्रेस का मानना है कि जातिगत राजनीति बेहतर तरीके से कारगर हो और जनता जयपुर के सांसद से पिछले दस साल का हिसाब मांगे तो उन्हें इस सीट के भेदने में कोई दिक्कत नहीं होगी। 

विधानसभा की 8 सीटें है जयपुर शहर लोकसभा क्षेत्र में, 5 पर भाजपा का कब्जा
जयपुर शहर लोकसभा क्षेत्र में विधानसभा की 8 सीटें आती हैं। वर्तमान में कांग्रेस इनमें से सिर्फ 2 सीटों किशनपोल और आदर्श नगर ही काबिज है। हालांकि हवामहल सीट पर कांग्रेस के आरआर तिवारी महज 900 वोटों के अंतर से हारे थे। लेकिन बाकी 5 सीटों पर कांग्रेस को बड़े अंतर से हार का सामना करना पड़ा था। ऐसे में कांग्रेस के सामने महज तीन महीने पहले हुई हार से हुए नुकसान की भरपाई करना चुनौतीपूर्ण होगा। कांग्रेस ने इस सीट पर पहले सुनील शर्मा को उतारा था। बाद में उनके टिकट लौटा देने पर अपने दिग्गज नेता प्रताप सिंह खाचरियावास को टिकट दिया है। प्रताप सिंह खाचरियावास बीस साल पहले 2004 में जयपुर लोकसभा चुनाव का लड़ चुके हैं। वे दो बार जयपुर शहर की सिविल लाइंस विधानसभा सीट से विधायक रहे हैं। लेकिन जब कांग्रेस की सरकार प्रदेश की सत्ता से बेदखल हुई तो भी प्रताप सिंह चुनाव भी हार गए।