राजस्थान: राजस्थान में भारी बारिश के साथ साथ बिमारियों ने भी दस्तक देना शुरू कर दिया है। बता दें कि यहां बारिश के बीच डेंगू के मामलों में लगातार बढ़ोतरी हो रही है। राजस्थान के विभिन्न जगहों पर डेंगू के मरीज सामने आ रहे हैं। डॉक्टरों ने इसके चलते लोगों को सावधानी बरतने की सलाह दी है।
पूरे देश में भीषण गर्मी के बीच अब मानसून ने दस्तक दे दी है। लेकिन मानसून के साथ कई बीमारियों वहीं, मानसून ने जहां भीषण गर्मी से राहत दी है, वहीं राजस्थान सहित देश के विभिन्न भागों में डेंगू के मामले भी बढ़ गए हैं।डेंगू एक वेक्टर जनित बीमारी है जो संक्रमित मच्छर के काटने से फैलती है। मच्छर गर्म और आर्द्र वातावरण में पनपते हैं, जिससे यह बीमारी 100 से ज्यादा देशों में फैलती है।उन्होंने बताया कि तेज बुखार, गंभीर सिरदर्द, मांसपेशियों और जोड़ों में दर्द और चकत्ते जैसे लक्षण डेंगू के शुरुआती संकेत हैं।
ये हैं डेंगू के लक्षण विशेषज्ञों ने कहा कि डेंगू बुखार आमतौर पर सामुदायिक प्रकोप (community outbreak) है और इसका इलाज तुरंत होना जरूरी है। उन्होंने कहा कि हालांकि यह मुख्य रूप से स्वयं ही ठीक हो जाता है, लेकिन कुछ मामलों में यह गंभीर डेंगू का रूप ले सकता है, जिसे डेंगू रक्तस्रावी बुखार (dengue hemorrhagic fever) या डेंगू शॉक सिंड्रोम (dengue shock syndrome) भी कहा जाता है। लगातार उल्टी, पेट में दर्द, श्लेष्मा झिल्ली से रक्तस्राव, तथा रक्तसंचार विफलता के लक्षण डेंगू के अधिक गंभीर मामले का संकेत हो सकते हैं। जयपुर के सीनियर कंसलटेंट इंटरनल मेडिसिन (आंतरिक चिकित्सा) डॉ रामकेश सिंह परमार ने जयपुर में हमारा समाचार को बताया कि प्रारंभिक निदान से इन लक्षणों को कम करने के लिए समय पर दवाएं दी जा सकती हैं, जिससे बीमारी के दौरान रोगी को आराम मिलता है और जीवन की गुणवत्ता में सुधार होता है। उन्होंने कहा, जल्दी निदान से न केवल व्यक्तिगत रोगी को लाभ होता है, बल्कि यह डेंगू वायरस को दूसरों में फैलने से रोकने में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। बीमारी के दौरान संक्रमित व्यक्तियों की पहचान और उन्हें अलग करने से मच्छरों में वायरस के आगे प्रसार को रोकने में मदद मिल सकती है, जिससे समुदाय में डेंगू संक्रमण का चक्र टूट सकता है। विशेषज्ञों ने लोगों को सुरक्षात्मक सावधानियां बरतने की भी सलाह दी है, जैसे इकट्ठा हुए पानी से बचना, जहां मच्छर पनप सकते हैं तथा मच्छर भगाने वाली दवाओं का प्रयोग करना, सुरक्षात्मक कपड़े पहनना आदि शामिल हैं।