आज विधानसभा के ‘बजट सत्र का आखिरी दिन’..धर्मांतरण बिल अटका; होंगी राजनीतिक नियुक्तियां!
आज तीन विधेयक होंगे पास; पारित होगा 45 गैर जरूरी हो चुके पुराने कानूनों को खत्म करने वाला बिल, कोचिंग सेंटर्स पर कंट्रोल के प्रावधानों वाला बिल बहस के बाद होगा पास
शहरी विकास प्राधिकरणों के नियमों में बदलाव से जुड़ा बिल भी होगा पारित, अब बजट सत्र के बाद राजनीतिक नियुक्तियों की तैयारी, सभी खेमों को साधने की होगी कवायद
जयपुर। राजस्थान सरकार का धर्मांतरण विरोधी बिल एक बार फिर अटकने के आसार बन गए हैं। बजट सत्र में धर्मांतरण विरोधी बिल पारित नहीं होगा। आज विधानसभा के बजट सत्र का आखिरी दिन है और तीन बिल पारित होने है। इनमें धर्मांतरण विरोधी बिल शामिल नहीं है। धर्मांतरण विरोधी बिल को 3 फरवरी को ही विधानसभा में पेश किया गया था, लेकिन इसे सदन में पारित करवाने की तारीख तय नहीं की गई। अब यह अगले सत्र तक अटक गया है। धर्मांतरण विरोधी बिल में जबरन और लोभ लालच में धर्म परिवर्तन करवाने पर 50 हजार से 5 लाख तक जुर्माना और 1 से 10 साल तक की जेल का प्रावधान था। धर्म परिवर्तन के लिए कलेक्टर को 2 महीने पहले आवेदन करके अनुमति लेने का प्रावधान शामिल था। धर्म परिवर्तन के मकसद से शादी करने वालों के खिलाफ भी कड़े प्रावधान किए गए थे। इस बिल में पहले के धर्म में लौटने को धर्मांतरण के दायरे से बाहर रखा है। इस प्रावधान पर विवाद के आसार है। प्रदेश में पिछले 16 साल से धर्मांतरण विरोधी बिल किसी न किसी वजह से अटक रहा है। पहले धर्म स्वांतत्र्य विधेयक 2008 केंद्र और राज्य के बीच अटका रहा। मौजूदा सरकार ने पुराना बिल वापस लिया और नया धर्मांतरण विरोधी बिल लाया गया, लेकिन इस सत्र में पारित नहीं होने से अब यह लंबित रहेगा। बिल के प्रावधानों में पहले के धर्म में वापसी को छूट दी गई है। अगर कोई अपने पहले के धर्म में लौटता है। उसे धर्म परिवर्तन की परिभाषा से बाहर रखा गया है। इस परिभाषा के अनुसार हिंदू से मुस्लिम बना कोई व्यक्ति वापस हिंदू धर्म अपनाता है तो उस पर कड़े प्रावधान लागू नहीं होंगे।
आज तीन बिल होंगे पारित, 45 गैरजरूरी कानून होंगे खत्म
विधानसभा में सोमवार को तीन अहम बिल पास होंगे। प्रदेश में 45 गैर जरूरी हो चुके पुराने कानूनों को खत्म करने वाला बिल पास होगा। कोचिंग स्टूडेंट की आत्महत्या रोकने और कोचिंग सेंटर्स पर कंट्रोल के लिए प्रावधानों वाला बिल बहस के बाद पारित करवाया जाएगा। तीसरा बिल शहरी विकास प्राधिकरणों के नियमों में बदलाव से जुड़ा है। राजस्थान कोचिंग इंस्टीट्यूट कंट्रोल्ड एंड रेगुलेशन बिल 2025 में कड़े प्रावधान किए गए हैं। यह बिल पास होने के बाद कोचिंग मनमानी फीस नहीं ले सकेंगे, एक साथ फीस नहीं ले सकेंगे, चार किस्तों में फीस जमा करवाने का ऑप्शन देना होगा। स्टूडेंट के बीच में कोचिंग छोडऩे पर फीस वापस करनी होगी। बीच में कोचिंग छोडऩे पर स्टूडेंट को 10 दिन में फीस लौटानी होगी। यदि स्टूडेंट हॉस्टल में रह रहा है तो बची हुई हॉस्टल की फीस भी देनी होगी।
विधियां निरसन विधेयक होगा पास, दर्जन भर कानून पंचायतीराज एक्ट में संशोधन से जुड़े
राजस्थान में 45 गैर जरूरी हो चुके पुराने कानूनों को खत्म किया जाएगा। राजस्थान विधियां निरसन विधेयक बहस के बाद पारित किया जाएगा। यह बिल पारित होने के बाद 45 गैर जरूरी कानून एक साथ खत्म हो जाएंगे। पुराने कानूनों में दर्जन भर तो पंचायतीराज एक्ट में संशोधन से जुड़े हैं। बीकानेर स्टेट डिस्ट्रिक्ट बोर्ड एमेंडमेंट एक्ट 1952, बीकानेर म्यूनिसिपल अमेंडमेंट एक्ट 1952 जैसे पुराने कानून खत्म किए जाएंगे।
सरकार ने रद्द कर दी थी राजनीतिक नियुक्तियां, अब बजट सत्र के बाद शुरू होगी कवायद
प्रदेश में जल्द ही राजनीतिक नियुक्तियों का दौर शुरू होने की संभावना है। सूत्रों के अनुसार, विधानसभा का बजट सत्र समाप्त होते ही भाजपा सरकार राजनीतिक नियुक्तियों की कवायद शुरू कर सकती है। पार्टी नेतृत्व लंबे समय से इन नियुक्तियों को टालता आ रहा था, लेकिन अब संगठन और सत्ता के बीच संतुलन के साथ विभिन्न खेमों को साधने के लिए इस प्रक्रिया को आगे बढ़ाया जा सकता है। भाजपा के भीतर लंबे समय से जारी गुटबाजी की खबरें अब शांत हैं। ये ही वजह है कि इन नियुक्तियों में पूर्व मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे समर्थक नेताओं को भी समायोजित करने की बात सामने आ रही है। इसमें अलावा प्रदेश अध्यक्ष मदन राठौड़, पूर्व प्रदेश अध्यक्ष सतीश पूनिया और केंद्रीय मंत्री गजेंद्र सिंह शेखावत खेमा भी अपने समर्थकों को एडजस्ट कराने के लिए कोशिशें कर रहा है।
संभावित नियुक्तियों में कई वरिष्ठ भाजपा नेताओं के नाम
संभावित नियुक्तियों में कई वरिष्ठ भाजपा नेताओं के नाम सामने आ रहे हैं। इनमें अशोक कालीचरण सराफ, प्रभुलाल सैनी, श्रवण सिंह बगड़ी, मुकेश दाधीच के अलावा श्रीचंद कृपलानी और प्रताप सिंह सिंघवी को भी महत्वपूर्ण राजनीतिक नियुक्ति मिलने की संभावना जताई जा रही है। राजेंद्र सिंह राठौड़ और अलका गुर्जर को भी बड़ी जिम्मेदारी मिलने की संभावना है। भाजपा आलाकमान उन नेताओं को भी एडजस्ट करने की रणनीति पर काम कर रहा है, जो हाल ही में विधानसभा चुनाव हार चुके हैं या संगठन में महत्वपूर्ण पदों पर सक्रिय भूमिका निभा रहे हैं। इसी क्रम में लोकसभा चुनाव से पहले पार्टी में आए पूर्व कृषि मंत्री लालचंद कटारिया और राजेंद्र यादव को भी राजनीतिक नियुक्ति मिलने की संभावना है।