जोधपुर। कृषि विश्वविद्यालय में किसान कौशल विकास केंद्र की ओर से चल रहे तीन दिवसीय ‘मधुमक्खी पालन प्रशिक्षण’ कार्यक्रम का समापन शुक्रवार को हुआ। प्रशिक्षण कार्यक्रम में सीआरपीएफ के जवानों ने बड़ी संख्या में भाग लिया। कार्यक्रम में मधुमक्खी पालन को उद्यम के रूप में विकसित करने के साथ-साथ वित्तीय प्रगति के माध्यम से मधुमक्खी पालकों के उत्थान के लिए आवश्यक नवीनतम मधुमक्खी पालन की तकनीकों के बारे में गहन जानकारी दी गई।
इस मौके पर वरिष्ठ वैज्ञानिक एवं प्रमुख, कृषि विज्ञान केंद्र, रायपुर ने विभिन्न ऋतुओं में मधुमक्खी कालोनियों के प्रबंधन के साथ-साथ सही कीटनाशकों के उपयोग के माध्यम से मधुमक्खी रोगों और कीटों की पहचान और प्रबंधन, रानी मधुमक्खियों के प्रबंधन और शहद उत्पादन को दोगुना करने के तरीके व मधुमक्खी पालन को बढ़ावा देने के लिए सरकारी योजनाओं के बारे में बताया। कीट विज्ञान, विशेषज्ञ डॉ. प्रकाश यादव ने तीन दिवसीय प्रशिक्षण कार्यक्रम में मधुमक्खी की विभिन्न प्रजातियां, माइग्रेशन, कीट-व्याधि व प्राकृतिक शत्रु, मधुमक्खी पालन से प्राप्त विभिन्न उत्पादों एवं लागत आय की गणना, फसल उत्पादन बढ़ाने में मधुमक्खियों की भूमिका, मधुमक्खियों के लिए सुरक्षित कीटनाशी उपयोग एवं परागण द्वारा फसलों में उत्पादन में वृद्धि इत्यादि विषयों पर विस्तृत जानकारी दी। किसान कौशल विकास केंद्र के प्रभारी डॉ. प्रदीप पगारिया ने जवानों को शुभकामनाएं दी। कार्यक्रम में डॉ. प्रकाश यादव ने आभार जताया। तीन दिवसीय प्रशिक्षण कार्यक्रम के दौरान प्रशिक्षण अधिकारी डॉ. मनीष बेड़ा, नीलिमा मकवाना, प्रियंका एवं अनील कुमार यादव ने तकनीकी एवं कार्यक्रम प्रबंधन में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।
कृषि विश्वविद्यालय में किसान कौशल विकास केंद्र की ओर से चल रहे तीन दिवसीय ‘मधुमक्खी पालन प्रशिक्षण’ कार्यक्रम का समापन शुक्रवार को हुआ। प्रशिक्षण कार्यक्रम में सीआरपीएफ के जवानों ने बड़ी संख्या में भाग लिया। कार्यक्रम में मधुमक्खी पालन को उद्यम के रूप में विकसित करने के साथ-साथ वित्तीय प्रगति के माध्यम से मधुमक्खी पालकों के उत्थान के लिए आवश्यक नवीनतम मधुमक्खी पालन की तकनीकों के बारे में गहन जानकारी दी गई।
इस मौके पर वरिष्ठ वैज्ञानिक एवं प्रमुख, कृषि विज्ञान केंद्र, रायपुर ने विभिन्न ऋतुओं में मधुमक्खी कालोनियों के प्रबंधन के साथ-साथ सही कीटनाशकों के उपयोग के माध्यम से मधुमक्खी रोगों और कीटों की पहचान और प्रबंधन, रानी मधुमक्खियों के प्रबंधन और शहद उत्पादन को दोगुना करने के तरीके व मधुमक्खी पालन को बढ़ावा देने के लिए सरकारी योजनाओं के बारे में बताया। कीट विज्ञान, विशेषज्ञ डॉ. प्रकाश यादव ने तीन दिवसीय प्रशिक्षण कार्यक्रम में मधुमक्खी की विभिन्न प्रजातियां, माइग्रेशन, कीट-व्याधि व प्राकृतिक शत्रु, मधुमक्खी पालन से प्राप्त विभिन्न उत्पादों एवं लागत आय की गणना, फसल उत्पादन बढ़ाने में मधुमक्खियों की भूमिका, मधुमक्खियों के लिए सुरक्षित कीटनाशी उपयोग एवं परागण द्वारा फसलों में उत्पादन में वृद्धि इत्यादि विषयों पर विस्तृत जानकारी दी। किसान कौशल विकास केंद्र के प्रभारी डॉ. प्रदीप पगारिया ने जवानों को शुभकामनाएं दी। कार्यक्रम में डॉ. प्रकाश यादव ने आभार जताया। तीन दिवसीय प्रशिक्षण कार्यक्रम के दौरान प्रशिक्षण अधिकारी डॉ. मनीष बेड़ा, नीलिमा मकवाना, प्रियंका एवं अनील कुमार यादव ने तकनीकी एवं कार्यक्रम प्रबंधन में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।