फागी उपखण्ड क्षेत्र के रोटवाड़ा से चकवाड़ा तक प्रधानमंत्री ग्राम सडक़ योजना के अंतर्गत बनी सडक़ का मामला, एक साल पहले सात करोड़ की लगात से बनी सडक़ बेहाल
जगह-जगह डामर उखड़ा; आवागमन मुश्किल, टूटी सडक़ से ग्रामीण परेशान, जिम्मेदार ठेकेदार और अधिकारियों पर कार्रवाई की उठी मांग
फागी। इसे भ्रष्टाचार कहे, मिलीभगत या बेपरवाही..? लेकिन सच तो यह है कि लाख इमानदारी का ढोल पीटने वाले सरकारी कारिंदे अपनी हरकतों से बाज नहीं आते और सरकार को करोड़ों का चूना लगा जाते है। ताजा मामला प्रधानमंत्री ग्राम सडक़ योजना के अंतर्गत बनी सडक़ का है जिसमें मिलीभगत साफ नजर आ रही है। महज एक साल पहले सात करोड़ में बनी इस सडक़ के हाल यह है कि पूरी सडक़ लगभग उखड़ चुकी है और भ्रष्टाचार की कहानी खुद बयां कर रही है। अब भी सरकारी अधिकारियों के कानों जूं नहीं रेंग रही है और जिम्मेदार ठेकेदार पर कार्रवाई की जगह महज पेचवर्क की खानापूर्ती की जा रही है।
मामला है फागी उपखण्ड क्षेत्र के रोटवाड़ा से चकवाड़ा तक प्रधानमंत्री ग्राम सडक़ योजना के अंतर्गत बनी सडक़ का। सार्वजनिक निर्माण विभाग द्वारा एक वर्ष पहले ही 7 करोड़ की लागत से 15 किलोमीटर सडक़ का निर्माण किया गया। जिसके एक वर्ष भी पूरा नहीं हो पाया और सडक़ से जगह-जगह से डामर उखड़ गया। ग्रामीणों ने आरोप लगाया कि जिम्मेदार अधिकारियों की लापरवाही की वजह से ठेकेदार द्वारा घटिया सामग्री उपयोग कर सडक़ को बनाया गया। इस बेपरवाही के चलते सात करोड़ की लागत की सडक़ पूरी तरह उखड़ गई हैं। लेकिन अधिकारियों की ठेकेदार पर मेहरबानी ग्रामीण क्षेत्र के किसानों एवं हजारों वाहन चालको पर भारी पड़ रही हैं। सरकार करोड़ों रुपए खर्च करके ग्रामीणों की समस्या को दूर करने के लिए सडक़ें बनाने का कार्य कर रहीं हैं, वहीं जिम्मेदार अधिकारियों की लापरवाही और ठेकेदारों के भ्रष्टाचार के चलते सरकारी खजाने का भी दुरपयोग हो रहा हैं, जिसका बोझ आमजनता पर ही पड़ रहा है। सात करोड़ की लागत से बनी सडक़ एक वर्ष में जगह जगह से क्षतिग्रस्त हो चुकी हैं लेकिन जिम्मेदार अधिकारी अभी भी गहरी नींद में है। ग्रामीणों ने बताया कि जब इस सडक़ का निर्माण किया जा रहा था तब भी इसकी शिकायत उच्च अधिकारियों को की गई थी लेकिन कई बार अवगत कराने पर भी अधिकारियों ने सुध नहीं ली।
15 में से 8 किलोमीटर की सडक़ तो हो गई गायब, अब यहां आवागमन मुश्किल
इसका परिणाम एक वर्ष में ही दिखने लग गया। इस सडक़ की दूरी 15 किलोमीटर हैं, जिसमें से 8 किलोमीटर सडक़ की हालत तो बहुत ही खराब हो गई हैं। डामर जगह-जगह से पूरी तरह से उखड़ कर बाहर निकल आया हैं। वही कई जगह से तो डामर पूरी तरह से ही गायब हो चुका हैं। अब ठेकेदार द्वारा महज खानापूर्ति करने के लिए पेचवर्क किया जा रहा हैं। इस सडक़ पर हर रोज हजारों साधनों का आवागमन होता हैं लेकिन टूटी सडक़ के कारण वाहन चालकों को परेशानी का सामना करना पड़ रहा हैं। ग्रामीणों ने उच्च अधिकारियों से मांग की हैं कि लापरवाह अधिकारी एवं ठेकेदार के खिलाफ जांच कर लापरवाही बरतने वाले अधिकारी और ठेकेदार के खिलाफ उचित कार्यवाही की जाए।