सीकर। मरीजो का इलाज करने वाला हॉस्पिटल खुद बीमार हो जाए तो फिर मरीजो का क्या होगा, कुछ ऐसा ही सीकर जिले के पचार गांव में हो रहा है। पचार गांव में स्थित सरकारी हॉस्पिटल के खस्ता हाल है। 15 हजार की आबादी को संभालने वाले इस अस्पताल में पिछले कई सालों से डॉक्टर, नर्सिंग ऑफिसर, लैब टेक्नीशियन आयुष डॉक्टर सहित अन्य 6 मुख्य पद खाली पड़े हैं। यह पूरा हॉस्पिटल मात्र दो नर्सिंग अधिकारियों के भरोसे चल रहा है।
इसके अलावा अभी हाल ही में कुछ साल पहले बना नया हॉस्पिटल भवन भी भ्रष्टाचार की भेंट चढ़ गया है। मरीज के आराम के लिए बनाए गए कमरों की टाइल्स पूरी तरह उखड़ चुकी है। वहीं कोरोना काल के बाद बने नए भवन में भी दरारें आना शुरू हो चुकी है। टेंडर लेने वाले ठेकेदार ने सालो बीतने के बाद भी अभी तक बाथरूम की टंकी ठीक नहीं रखवाई वही टॉयलेट जैसी बुनियादी व्यवस्था भी नहीं की है। इसके अलावा हॉस्पिटल स्टाफ के क्वार्टरओ के तो हाल बेहाल है, कर्मचारी के लिए यहां रुकना भी जी का जंजाल बन गया है। कमरों की छत का भी पूरी तरह धरधराकर नीचे गिरने का डर बना रहता है। बारिश के समय उनके साथ कभी भी बड़ी दुर्घटना घटित हो सकती है।
सरपंच,ग्राम सेवक और पटवारी ने किया निरीक्षण
लगातार चिकित्सा व्यवस्थाओं की कमी के चलते मीडिया की सुर्खियां बनने वाले पचार के सरकारी अस्पताल की दशा जानने पंचायत स्तरीय कर्मचारी व जनप्रतिनिधि पहुंचे। मंगलवार को ग्राम पंचायत के सरपंच राहुल कुमावत, प्रतिनिधि प्रभु लाल कुमावत, ग्राम सेवक शंकर लाल मीणा और पटवारी पवन कुमार अस्पताल की वास्तविक स्थिति जानने के लिए पहुंचे। अस्पताल के खस्ता हाल देखकर सरपंच प्रतिनिधि प्रभु लाल कुमावत ने सीएमएचओ निर्मल सिंह को फोन लगाया लेकिन उन्होंने उनका फोन ही रिसीव नहीं किया। इसके बाद बीसीएमएचओ अश्विनी स्वामी को वर्तमान स्थिति से अवगत कराया, बीसीएमएचओ ने जल्द ही अस्पताल के दौरे की बात कही। सरपंच राहुल कुमावत ने बताया कि गांव में डॉक्टर सहित अन्य कर्मचारीयों के रिक्त पदों को लेकर चिकित्सा मंत्री को लेटर लिख दिया गया है, दो-तीन दिन बाद उनसे मिलने के लिए हम जयपुर जाएंगे।