किसान हितों की सुरक्षा के लिए प्रतिबद्ध राजस्थान की भजनलाल सरकार

चूरू/जयपुर। देश के लिए अन्न उपजाने वाले और हम सभी की थाली में रोटी पहुंचाने वाले अन्नदाता को मजबूत बनाने के लिए राजस्थान की भजनलाल शर्मा सरकार पूरी मजबूती के साथ लगी हुई है। पिछले छह माह के कार्यकाल में से एक बड़ा हिस्सा आचार संहिता में बीत जाने के बावजूद राज्य सरकार द्वारा किसानों के हित में अनेक फैसले लिए गए हैं। खेती-किसानी को बेहतर बनाने के लिए अनेक कदम उठाए गए हैं तथा केंद्र व राज्य सरकार की योजनाओं को समुचित गति दी गई है। किसानों की आय बढ़ाने तथा उनकी स्थिति को बेहतर बनाने की प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की मंशा को ही आगे बढ़ाते हुए मुख्यमंत्री किसान सम्मान निधि का आरंभ किया गया है। इस योजना में प्रधानमंत्री किसान सम्मान निधि में दिए जाने वाले 6 हजार रुपए सालाना के क्रम में ही राज्य सरकार द्वारा 2 हजार रुपए प्रतिवर्ष किसानों के खाते में प्रदान किए जाएंगे। 30 जून को टोंक की कृषि उपज मंडी में ‘मुख्यमंत्री किसान सम्मान निधि योजना’ के राज्य स्तरीय शुभारम्भ समारोह में मुख्यमंत्री भजन लाल शर्मा द्वारा एक हजार रुपये की पहली किस्त के तौर पर 65 लाख से अधिक किसानों के खातों में 653 करोड़ रुपये सीधे जमा किए गए। इससे पूर्व राज्य सरकार ने पेट्रोल एवं डीजल पर वैट 2 प्रतिशत कम किया तथा तेल विपणन कंपनियों के साथ समन्वय बनाते हुए सैकेंडरी फ्रेट कम कराया। इसके फलस्वरूप प्रदेश में पेट्रोल के दामों में 3 रुपये 58 पैसे से 7 रुपये 18 पैसे तक और डीजल में 3 रुपये 35 पैसे से लेकर 6 रुपये 60 पैसे तक की कमी आई। मुख्यमंत्री जल स्वावलम्बन अभियान-2.0 के तहत 4 वर्षो में 20,000 गांवों में 11,200 करोड़ रुपये की लागत से 5 लाख वाटर हार्वेस्टिंग स्ट्रक्चर्स बनाए जाएंगे। प्रथम चरण में 706 करोड़ रुपये के 29,603 कार्य प्रारम्भ कर दिए गए हैं, जिनमें से से 359 करोड़ रुपये के 15,978 कार्य पूर्ण हो चुके हैं। जल संरक्षण से जुड़े यह कार्य खेती-किसानी के लिए प्रत्यक्ष-अप्रत्यक्ष तौर पर लाभदायी साबित होंगे।

 

समर्थन मूल्य में इजाफा, हुई भारी खरीद

किसानों को उनकी फसल का सही और अधिकतम मूल्य दिलाने के लिए गेहूं के समर्थन मूल्य 2275 रुपये प्रति क्विंटल के ऊपर 125 रुपये का बोनस प्रदान करते 2400 रुपये प्रति क्विंटल पर 11.92 लाख मीट्रिक टन गेहूं की समर्थन मूल्य पर खरीद की गई। इसी प्रकार 9.92 लाख मीट्रिक टन मूंग एवं मूंगफली तथा 3.48 लाख मीट्रिक टन सरसों की समर्थन मूल्य पर खरीद की गई। प्रधानमंत्री फसल बीमा योजनान्तर्गत 1400 करोड़ रुपये के बीमा क्लेम वितरित किए गए हैं।  किसान परिवारों को मजबूत करने के लिए कृषि शिक्षा में अध्ययनरत 12वीं (कृषि), स्नातक (कृषि), स्नातकोत्तर (कृषि) तथा पीएचडी करने वाली 16,458 छात्राओं को प्रोत्साहन राशि वितरित की गई। राज्य में 8,774 पीएम किसान समृद्धि केन्द्र स्थापित किए गए हैं तथा कृषकों के खेतों पर 20,000 हैक्टेयर क्षेत्र मे नेनो यूरिया के प्रदर्शन आयोजित किए गए। इसी प्रकार खेती के लिए 9,888 सौर ऊर्जा संयंत्रों, 40,727 हैक्टेयर क्षेत्रफल में ड्रिप और मिनी स्पि्रंकलर तथा 43,614 हैक्टेयर क्षेत्रफल में स्पि्रंकलर संयंत्रों की स्थापना की गई है। इस दौरान 46,918 किसानों को कृषि कनेक्शन जारी किए गए हैं। किसानों को बिजली के बिलों में 8036 करोड़ रुपये का अनुदान दिया गया है। चीनी और गुड़ पर मण्डी शुल्क को 25 फरवरी 2024 से समाप्त किया गया है।

 

किसानों को ब्याज मुक्त फसली ऋण

केन्द्रीय सहकारी बैंकों के माध्यम से किसानों को 10,106 करोड़ रुपये का ब्याज मुक्त फसली ऋण उपलब्ध करवाया गया। 41,137 नये कृषकों को केन्द्रीय सहकारी बैंकों के माध्यम से ब्याज मुक्त फसली ऋण प्रदान किया गया है। कृषकों के खेताें पर 20,500 वर्मी कम्पोस्ट इकाइयां स्थापित की गई हैं। राज्य में 6,226 फार्म पौण्ड स्थापित किए गए हैं एवंं कृषको के खेतों पर 104 लाख मीटर तारबन्दी की गई। इसी प्रकार 312 कम लागत के प्याज भण्डार गृहों का निर्माण करवाया गया है तथा 376 हैक्टेयर क्षेतर््फल में फल बगीचों की स्थापना की गई है। मधुमक्खी पालन हेतु 17,050 बॉक्स एवं 17,050 कॉलोनी की आपूर्ति की गई है। सहकार से समृद्धि के अन्तर्गत राज्य की 379 पैक्स को कम्प्यूटराईजेशन परियोजना अन्तर्गत गो लाइव किया गया है। 100 नई पैक्स का गठन किया गया है एवं 50 महिला बहुउद्देशीय सहकारी समितियों का पंजीकरण किया गया। विश्व की सबसे बड़ी विकेन्द्रीकृत अन्न भण्डारण योजना अन्तर्गत घमूड़वाली पैक्स (जिला श्रीगंगानगर) में गोदाम, प्रसंस्करण यूनिट व कस्टम हायरिंग केन्द्र को प्रारंभ किया गया है।

 

पशुपालकों के लिए उठाए गए खास कदम

 

पशुपालकों को उनके द्वार पर पशु चिकित्सा सेवाएं उपलब्ध कराने हेतु मेडिकल सेवा-108 की तर्ज पर 1962-मोबाईल वेटनरी सेवा प्रारंभ की गयी है। खुरपका-मुंहपका रोग नियंत्रण कार्यक्रम के अंतर्गत प्रदेश के 1.94 करोड़ गौवंशीय एवं भैंसवंशीय पशुधन में अभियान चलाकर मुफ्त टीकाकरण किया गया है। डेयरी एवं पशुपालन गतिविधियों के लिये प्रदेश के 1.05 लाख पशुपालकों के किसान क्रेडिट कार्ड (केसीसी) बनवाये गये। 496 करोड़ रुपये की सहायता राशि पात्र गौशालाओं में संधारित गौवंश के भरण-पोषण हेतु दी गई। 7,538 दुग्ध उत्पादकों को सहकारी समितियों से जोड़ा गया है। ऊंटों के संवर्धन एवं संरक्षण हेतु ऊंटनी के दूध को सरस ब्राण्ड में पाश्च्यूराईज पैक कर विपणन का कार्य प्रारंभ किया गया। 34 संस्थाओं द्वारा गौशाला, पशु आश्रय स्थलों का कार्य प्रारम्भ किया गया है, जिससे आवारा पशुओं की समस्या से निजात मिल सकेगी। प्रदेश में प्राकृतिक आपदाओं से प्रभावित व्यक्तियों एवं किसानों को 984 करोड़ रुपये आवंटित किया गया है।

प्रदेश में जल उपलब्धता का नया युग

प्रदेश में सिंचाई का रकबा बढ़े, नहरें मजबूत हों और सिंचाई के लिए अधिक जल किसानों को मिले, इस दिशा में भी समुचित प्रयास किए जा रहे हैं। सिंचाई परियोजनाओं का कार्य समय पर पूर्ण किये जाने हेतु मुख्यमंत्री सिंचाई टास्क फोर्स का गठन किया गया है। संशोधित पार्वती-कालीसिंध-चम्बल लिंक परियोजना (एकीकृत पीकेसी-ईआरसीपी) की डीपीआर बनाए जाने के लिए केन्द्र सरकार, राजस्थान एवं मध्यप्रदेश के मध्य एमओयू 28 जनवरी को किया गया है। राजस्थान को हरियाणा स्थित ताजेवाला हेड पर मानसून के दौरान 1917 क्यूसेक जल आवंटित जल के उपयोग  के लिए 17 फरवरी 2024 केन्द्र सरकार, हरियाणा सरकार एवं राजस्थान सरकार के मध्य यमुना नदी के जल बंटवारे पर एमओयू किया गया। इसी प्रकार, गंगनहर परियोजना फेज-द्वितीय में 1900 हैक्टेयर, सिद्धमुख नोहर सिंचाई परियोजना में 3324 हैक्टेयर, अमरसिंह सब ब्रांच परियोजना में 3470 हैक्टेयर, भाखड़ा नहर परियोजना में 6900 हैक्टेयर, इंदिरा गांधी नहर परियोजना फेज-प्रथम के अन्तर्गत सूरतगढ एवं खाजूवाला क्षेत्र में 2526 हैक्टेयर तथा चम्बल सीएडी परियोजना में 779 हैक्टेयर कमाण्ड क्षेत्र में पक्का खाला निर्माण कार्य पूर्ण किया गया है। चम्बल कमाण्ड क्षेत्र, कोटा की दक्षता सुधार हेतु 20.52 किलोमीटर लम्बाई में नहरों की लाईिंनंग का कार्य पूर्ण किया गया है।

 

किसानों को पर्याप्त एवं गुणवत्तापूर्ण बिजली देने के प्रयास

मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा की मंशा है किसानों को पर्याप्त एवं गुणवत्तायुक्त बिजली मिले। साथ ही उसे दिन के समय बिजली मिले, ताकि आराम से वह सिंचाई कर सके तथा ठिठुरती रातों में उसे खेतों में पानी नहीं देना पड़े। इसी मंशा के साथ बिजली क्षेत्र में समुचित काम किया जा रहा है। इसी दिशा में, राजस्थान राज्य विद्युत उत्पादन निगम लिमिटेड एवं एनटीपीसी लिमिटेड, एनटीपीसी ग्रीन एनर्जी लिमिटेड, कोल इंडिया लिमिटेड एवं एनएलसी इंडिया लिमिटेड के मध्य 10 मार्च 2024 को 3325 मेगावाट की थर्मल परियोजनाएं एवं 28,500 मेगावाट की अक्षय उर्जा परियोजनाएं संयुक्त उपक्रम के तहत स्थापित करने के लिए एमओयू किया गया है। इसी प्रकार पावरग्रिड कॉर्पोरेशन के साथ राज्य में प्रसारण तंत्र को सुदृढ़ एवं विकसित करने के लिए संयुक्त उपक्रम में 26ः74 शेयर धारिता के अनुपात में स्थापना हेतु 10 हजार करोड़ रुपए के निवेश के लिए एमओयू किया गया है। राजस्थान उर्जा विकास निगम एवं एसजेवीएन के मध्य 600 मेगावाट सौर उर्जा परियोजनाओं से बिजली की आपूर्ति के लिए पावर परचेज एग्रीमेंट पर हस्ताक्षर किए गए हैं। इसमें 100 मेगावाट टैरिफ आधारित निविदा प्रक्रिया के तहत 2.62 पैसे प्रति यूनिट तथा 500 मेगावाट एमएनआरई की सीपीएसयू स्कीम के तहत 2.57 पैसे प्रति यूनिट की दर पर 25 वर्षों के लिए विद्युत आपूर्ति की जाएगी। इसके अलावा 4 गुणा 800 मेगावाट कोल आधारित परियोजना, 8000 मेगावाट सौर उर्जा परियोजना की स्थापना की दिशा में टैरिफ आधारित निविदा प्रक्रिया प्रारंभ की गई है, जिसमें 64,000 करोड़ रुपये का निवेश अपेक्षित है। इसी प्रकार पी.एम.कुसुम-सी योजना में फीडर लेवल सोलेराईजेशन के अन्तर्गत 4187 मेगावाट क्षमता के 1655 आशय पत्र, कार्यादेश जारी किए गए हैं। इस दौरान 591 मेगावॉट वृद्धि सहित कुल विद्युत उत्पादन क्षमता 24,881 मेगावॉट हुई है। 132 केवी के 13 ग्रिड सब-स्टेशन एवं 33 केवी के 48 सब-स्टेशन स्थापित किए गए हैं।