जयपुर। बैंक ऑफ बड़ौदा प्रशासन ने हाल ही में 4000 से ज्यादा अधिकारियों के नियम विरुद्ध ट्रांसफर कर दिए गए हैं। बीओबी उच्च प्रबंधन के इस फैसले के विरोध में ऑल इंडिया बैंक ऑफ बड़ौदा ऑफिसर्स एसोसिएशन के बैनर तले देशव्यापी विरोध प्रदर्शन हो रहा है। राजस्थान में बैंक ऑफ बड़ौदा की सभी 800 शाखाओं में बुधवार को विरोध प्रदर्शन करने के साथ काली पट्टी बांधकर कार्य किया। गुरुवार 13 जून को भी सभी शाखाओं में प्रदर्शन जारी रहा। यूनियन के राजस्थान अंचल के महासचिव यशवंत भारद्वाज ने बताया कि राजस्थान के 300 से ज्यादा अधिकारियों का ट्रांसफर दूरस्थ राज्यों में कर दिया है। वहां जाकर कार्य करना संभव नहीं है। बैंक प्रबंधन की मनमानी के खिलाफ फिलहाल अधिकारियों की ओर से शांतिपूर्ण आंदोलन किया जा रहा है। अगर बैंक प्रबंधन ने नियम विरुद्ध किए गए तबादलों को रद्द नहीं किया तो आंदोलन को उग्र करते हुए कार्य बहिष्कार किया जाएगा। इससे बैंक का कामकाज ठप्प हो जाएगा और करोड़ों का कारोबार प्रभावित होगा।
समझौते और ट्रेड यूनियन एक्ट का खुला उल्लंघन
यूनियन के राजस्थान अंचल के महासचिव यशवंत भारद्वाज ने बताया कि बैंक प्रबंधन की ओर से किए गए ट्रांसफर मान्यता प्राप्त अधिकारी संगठन के साथ किए गए औद्योगिक समझौते का खुला उलंघन है। साथ ही ट्रेड यूनियन एक्ट का भी उल्लंघन है। बैंक प्रबंधन का अधिकारी संगठन के साथ हुए समझौते के तहत एक पॉलिसी निर्धारित की गई है। हाल ही में किए गए ट्रांसफर लिस्ट में इस पॉलिसी के प्रावधानों की पालना नहीं की गई है जो कतई स्वीकार्य नहीं है। इस तरह का उलंघन पहले कभी नहीं हुआ है। बैंक के उच्च प्रबंधन की इस तानाशाही के विरोध में बुधवार 12 जून को को जयपुर, जोधपुर, अजमेर, बीकानेर, भरतपुर, बांसवाड़ा, कोटा सहित सभी शहर कस्बों में स्थित शाखाओं में स्टाफ सदस्यों द्वारा विरोध प्रदर्शन किया गया। इन असंवैधानिक ट्रांसफर के कारण सभी अधिकारियों में जबरदस्त आक्रोश है और सार्वजनिक क्षेत्रों की अन्य बैंकों के संगठनों द्वारा भी इसे समर्थन प्राप्त हो रहा है।
मानवीय दृष्टिकोण को नजरअंदाज किया गया
यूनियन के राजस्थान अंचल के महासचिव यशवंत भारद्वाज ने कहा कि बैंक को ऐसे निर्णय लेते समय ट्रेड यूनियन एक्ट के नियमों की पालना करते हुए मानवीय दृष्टिकोण भी अपनाना चाहिए। जबकि बैंक ऑफ बड़ौदा के उच्च प्रबंधन ने मानवीय दृष्टिकोण को पूरी तरह से नजर अंदाज किया है। हर स्टाफ के ऊपर बुजुर्ग माता-पिता की जिम्मेदारी, भाई-बहन व बच्चों की पढ़ाई इत्यादि पारिवारिक जिम्मेदारियाँ भी होती है, जिसे नजरअंदाज नहीं किया जा सकता। किसी भी संस्थान की प्रगति में स्टाफ तभी अपना सर्वश्रेष्ठ योगदान दे पाता है जब वह अपनी पारिवारिक चिंताओं से मुक्त होता है। ऐसे में हजारों किलोमीटर दूर जाकर नौकरी करना संभव नहीं है।
देश निकाला जैसा तुगलकी फरमान
यूनियन के राजस्थान अंचल के महासचिव यशवंत भारद्वाज ने बताया कि बैंक ऑफ बड़ौदा देश में सार्वजनिक क्षेत्र का दूसरा सबसे बड़ा बैंक हैं। यहां मानवीय दृष्टिकोण को ध्यान में रखने की अपेक्षा की जाती है लेकिन बैंक के उच्च प्रबंधन ने मनमानी करते हुए ट्रांसफर कर दिए हैं। उत्तर प्रदेश में दो जोन के करीब 600 अधिकारियों, गुजरात के 3 जोन के करीब 600 अधिकारियों, साउथ इंडिया में चेन्नई जोन के करीब 250 अधिकारिोयों, पुणे और महाराष्ट्र के करीब 300 से ज्यादा अधिकारियों, राजस्थान से 300 से ज्यादा अधिकारियों और अन्य राज्यों में भी इसी तरह से दूरस्थ राज्यों में ट्रांसफर कर दिए गए हैं। यह आदेश एक तरह से देश निकाला कर देने जैसा तुगलकी फरमान है। एक राज्य से दूसरे राज्यों में ट्रांसफर होने से अधिकारी और उनके परिजन प्रभावित हो रहे हैं। अधिकारियों के बेघर होने की नौबत आ गई है। राज्य में एक जिले से दूसरे जिले तक ट्रांसफर होने में कोई परेशानी नहीं है लेकिन एक राज्य से दूसरे राज्यों में सैकड़ों किलोमीटर दूर जाना आसान नहीं है। कई अधिकारियों ने नौकरी छोड़ने की बात भी कही है।