जिले में रही गणगौर की धूम, कहीं निकली झांकियां तो कहीं मंदिरों में उमड़ी भीड़,

"ईसर जी तो पेचों बांधे, गोरा बाई पेच संवारे ओ राज,

दांतारामगढ़।(विनोद धायल)  लोक पर्व गणगौर गुरुवार को बड़े ही हर्षोल्लास के साथ मनाया गया। सुहागिन महिलाओं ने ईसर- गणगौर की पूजा-अर्चना कर अमर सुहाग व युवतियों को अच्छे वर की कामना की। होली के दूसरे दिन से व्रत और पूजा कर रही सुहागिनों ने गणगौर पर माता गौरी की विशेष अराधना की। सुहागिनों ने पति की दीर्घायु के लिए मां गौरी को सुहाग की वस्तुएं अर्पित कर मैदा व चीनी से बने व्यजंनों का भोग लगाया व व्रती 18 सुहागिन महिलाओं को भोजन कराकर व्रत का उद्यापन भी किया।भारतीय संस्कृति में गणगौर त्योहार की परंपरा अनूठी है। यह पर्व हमारी संस्कृति की पहचान है। यह त्योहार भारतीय संस्कृति में अलग महत्व और पहचान रखता है। गणगौर पूजने के लिए सुहागिन महिलाएं और कुंवारी कन्या बेसब्री से इंतजार करती हैं।

होली के बाद से ही गणगौर की पूजा अर्चना का दौर शुरू होता है और 16 दिन बाद गुरुवार को गणगौर का पर्व परंपरा और उत्साह के साथ ही श्रद्धा पूर्वक मनाया जाता है। विशेषकर सुहागिन महिलाएं और कुंवारी कन्या अमर सुहाग दात्रि गणगौर माता और ईसर की पूजा अर्चना करती हैं और गणगौर की कहानी सुनकर आशीर्वाद मांगती हैं कि उनके परिवार में सुख शांति हो और परिवार में तरक्की हो साथ ही कुंवारी कन्या अच्छे वर के लिए ईशर गणगौर की पूजा-अर्चना करती हैं।

जिले में अलग-अलग स्थानों पर सज-धज कर बैंड बाजे और ढोल नगाड़ों के बीच महिलाएं गणगौर की सवारी निकालते नजर आई। जहां सरोवर कुए बावड़ी नलकूप से पानी के कलश भरकर सिर पर कलश लेकर गणगौर स्थल पहुंची। जहां पूजा-अर्चना के बाद सभी ने गणगौर पर बनाए विशेष व्यंजनों का भोग लगाया और सभी ने सामूहिक रूप से गणगौर का पर्व हर्षोल्लास से मनाया।

खाचरियावास में निकाली गणगौर की शाही सवारी 

कस्बे में गुरुवार को गणगौर की शाही सवारी शाम 4 बजे गढ़ से रवाना होकर बस स्टेण्ड, मुख्य बाजार से होती हुई गणगौरी चौक पहुंची जहां पर नवविवाहिताओं व कन्याओं ने गणगौर की पूजा-अर्चना की और अखण्ड सौभाग्य की  कामना की। शाही सवारी पारम्पारिक तरीके से निकाली गई जिसका जगह-जगह पर नवविवाहिताओं ने पुष्प वर्षा कर स्वागत किया। दूसरे दिन शुक्रवार को सुबह नौ बजे ईशर गणगौर की सवारी खाचरियावास गढ़ से रवाना होकर कस्बे के विभिन्न मार्गो से निकलती हुई गढ़ के सामने स्थित मेला मैदान पर विराजमान होगी जहां पर पूरे दिन बोलावणी के मेले का आयोजन किया जाएगा। 

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