श्री कर्ण नरेंद्र कृषि विश्वविद्यालय और इंडियन एग्रीकल्चर यूनिवर्सिटी एसोसिएशन द्वारा दो दिवसीय राष्ट्रीय संगोष्ठी आयोजित, कुलपतियों का दल पहुंचा बस्सी-झांझड़ा; किसानों के साथ हुई संवाद बैठक
जोबनेर। श्री कर्ण नरेंद्र कृषि विश्वविद्यालय, जोबनेर, और इंडियन एग्रीकल्चर यूनिवर्सिटी एसोसिएशन (आईएयूए) द्वारा आयोजित दो दिवसीय राष्ट्रीय संगोष्ठी ने भारतीय कृषि क्षेत्र में नए विचारों और नवाचारों की दिशा में एक ऐतिहासिक कदम उठाया। इस संगोष्ठी का उद्देश्य देशभर के कृषि विश्वविद्यालयों के कुलपतियों और अधिकारियों को एक मंच पर लाकर कृषि क्षेत्र में आने वाली चुनौतियों और अवसरों पर चर्चा करना था।
संगोष्ठी के दूसरे दिन कुलपतियों और अधिकारियों ने कृषि महाविद्यालय जोबनेर का दौरा किया। उन्होंने छात्रों द्वारा तैयार मृदा प्रोफाइल, बीज उत्पादन, मधुमक्खी पालन, एरोपोनिक्स और जैवविविधता मॉडल जैसे इनोवेटिव प्रोजेक्ट्स का निरीक्षण किया। रेडी प्रोग्राम के अंतर्गत छात्रों द्वारा किए गए कार्यों की सराहना करते हुए कुलपतियों ने कहा कि ऐसी प्रायोगिक गतिविधियां छात्रों के ज्ञान, कौशल और व्यक्तित्व विकास के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण हैं। संगोष्ठी के दौरान विश्वविद्यालय की उपलब्धियों पर आधारित रेडी एल्बम का विमोचन किया गया। इस एल्बम में विश्वविद्यालय की प्रमुख गतिविधियों और नवाचारों का विवरण दिया गया है। विश्वविद्यालय के कुलपति डॉ. बलराज सिंह ने थारपारकर नस्ल की गाय के पर्यावरणीय अनुकूलन और इसकी सूखा प्रतिरोधी विशेषताओं की जानकारी दी। साथ ही, जल संरक्षण के लिए विकसित सीवेज वाटर पुनर्भरण प्रणाली और वर्षा जल संग्रहण की सराहना की गई।
अतिथियों ने प्रकृति कक्ष का निरीक्षण किया, जो छात्रों के लिए एक पर्यावरण-अनुकूल शिक्षण स्थान है। यहां प्रोसोपिस जुलिफ्लोरा से बनी दीमक-रोधी कुर्सियां न केवल पर्यावरण संरक्षण का संदेश देती हैं, बल्कि छात्रों के लिए एक अनूठा अनुभव भी प्रदान करती हैं। फील्ड भ्रमण के दौरान डॉ. बलराज सिंह ने विश्वविद्यालय द्वारा विकसित नई किस्मों, जैसे सौंफ की नई किस्म आरएफ-290 का प्रदर्शन किया। उन्होंने सरसों और रेपसीड में ओरबैंकिं समस्या और जीरे में ब्लाइट रोग जैसी चुनौतियों पर चर्चा की।
किसानों के साथ संवाद में हुआ समस्याओं के समाधान पर मंथन, वक्ताओं ने मुद्दों को सरकारों के समक्ष रखने का किया वादा
गांव में आयोजित कार्यक्रम में किसानों ने थ्रिप्स, व्हाइटफ्लाई और माइट जैसी समस्याओं को उठाया। कुलपति ने इन समस्याओं का समाधान जल्द ही प्रदान करने का आश्वासन दिया। सरपंच खेजड़ास ने कार्यक्रम का संचालन किया और सरपंच दिनेश निठारवाल ने सभी का आभार व्यक्त किया। पद्मश्री डॉ. बलदेव सिंह ढिल्लों ने संरक्षित खेती में डॉ. बलराज सिंह के योगदान की सराहना की। संगोष्ठी में डॉ. पी कौशल, डॉ. दिनेश कुमार, डॉ. एनके गुप्ता, डॉ. एमआर चौधरी, डॉ. हरफूल सिंह, डॉ. एसआर ढाका, डॉ. उम्मेद सिंह और अन्य प्रतिष्ठित वैज्ञानिकों ने भाग लिया एवं कहा कि दो दिवसीय चर्चा के बाद उबरे महत्वपूर्ण मुद्दों को केंद्र सरकार और राज्य सरकार के समक्ष रखने का प्रयास किया जाएगा। कार्यक्रम में सैकड़ों किसानों और वैज्ञानिकों ने भाग लिया।