शगुन में लिया एक रुपये का सिक्का, बिना दहेज सात जन्मों के बंधन में बंधे व्याख्याता मनीष

जिंजवाडिया परिवार ने एक बार फिर कायम की मिसाल, व्याख्याता मनीष ने व्याख्याता गीता धायल के साथ बिना दहेज लिए सात फेरे, भात में भी लिया महज एक रुपए का शगुन


जयपुर। ग्राम बोबाड़ी इन दिनों सुर्खियों में है। इसकी वजह है जिंजवाडिय़ा परिवार द्वारा बिना दहेज किया गया विवाह..। जिंजवाडिय़ा परिवार के मनीष ने अपनी शादी बिना किसी दहेज के की है। उन्होंने शगुन तो लिया लेकिन शगुन के नाम पर सिर्फ एक रुपया लिया। दरअसल, ग्राम बोबाड़ी निवासी हाल सेवानिवृत प्रोफेसर डॉ. बनवारी लाल जिंजवाडिया के छोटे भाई सरदारमल जिंजवाडिय़ा के सुपुत्र व्याख्याता भूगोल मनीष की शादी शेरावतपुरा मुण्डोता के शंकरलाल धायल एवं रूडी देवी की सुपुत्री व्याख्याता गीता धायल के साथ 12 नवंबर को संपन्न हुई। 
इस विवाह में शगुन के रूप में 1 रुपया तथा विदाई में 1 रुपया ही लिया गया। विवाह में कोई दहेज और कोई वस्त्र नहीं लिए गए और विवाह सम्पन्न किया गई। भात कार्यक्रम में भी भातियों से शगुन का 1 रुपया लेकर भात की रस्में पूरी की गई। पूर्व में भी प्रोफेसर बनवारी लाल जिंजवाडिय़ा ने अपनी दोनों पुत्रियों की शादी शगुन के 1 रुपया व बिना दहेज के साथ संपन्न कर संपूर्ण समाज के लिए एक मिसाल प्रस्तुत की थी। साथ ही दोनों पुत्रियों की शादी में दोनों ही बार भातियों से शगुन का 1 रुपया लेकर भात की संपूर्ण रस्में पूरी की थी। इन्होंने बिना दहेज, बिना लेन देन और बिना ना ही भात में किसी तरीके का रुपया लेकर संपूर्ण समाज के लिए एक आदर्श मिसाल प्रस्तुत की है।