19 तारीख को मतदान से पहले फिलहाल किसका पलड़ा भारी.. आज थम जाएगा पहले चरण का चुनावी शोर..राजस्थान की 12 सीटों पर किसका कितना जोर!

हर सीट पर सटीक नजर, दो दिन बाद प्रत्याशियों का भाग्य हो जाएगा ईवीएम में कैद, उससे पहले जानना जरूरी है कि किन मुद्दों पर लड़ा जा रहा चुनाव

प्रथम चरण की सभी 12 सीटों के समीकरणों को किस तरह साध रही पार्टियां?, कुछ सीटों पर बेहद कड़ा मुकाबला तो कुछ पर 4 जून से पहले ही नतीजा निश्चित!

जयपुर। प्रदेश की की 12 लोकसभा सीटों पर पहले चरण के तहत यानि 19 अप्रैल को मतदान होगा। मतदान की तारीख के नजदीक आते-आते चुनाव प्रचार परवान पर है। पहले चरण की 12 लोकसभा सीटों पर कुल 114 उम्मीदवार हैं, लेकिन मुकाबला केवल कांग्रेस और भाजपा के उम्मीदवारों के बीच है। कांग्रेस ने 25 से 3 सीटों पर विभिन्न राजनीतिक दलों के साथ गठबंधन किया है, जबकि अन्य 22 सीटों पर पार्टी के उम्मीदवार मैदान में हैं। मतदान से पहले जानना जरूरी है कि पहले चरण की 12 लोकसभा सीटों पर किस-किस के बीच मुकाबला हो रहा है और पार्टी ने अपने उम्मीदवारों के चयन पर किस आधार पर दांव लगाया है। इसके साथ ही स्थानीय और राष्ट्रीय मुद्दों के साथ ही पार्टियों द्वारा बनाई जा रही रणनीति पर भी गौर करना आवश्यक है। ऐसे में पहले चरण की 12 सीटों के समीकरणों और मुद्दों पर आज की रिपोर्ट..।

अलवर में केंद्रीय मंत्री भूपेंद्र यादव का मुकाबला कांग्रेस के युवा चेहरे ललित यादव से 

अलवर लोकसभा सीट से बीजेपी ने केंद्रीय मंत्री भूपेंद्र यादव को चुनाव मैदान में उतारा है। वे लंबे समय से राज्यसभा सांसद हैं और बीजेपी के वरिष्ठ नेताओं में से एक हैं। उधर, कांग्रेस ने एक युवा चेहरे को चुनाव मैदान में उतारा है, जो पहली बार विधायक बना है। मुंडावर से विधायक ललित यादव कांग्रेस के प्रत्याशी हैं। वे राजस्थान विश्वविद्यालय के छात्रसंघ महासचिव भी रह चुके हैं। मुकाबला एकतरफा समझने की भूल दोनों ही पार्टियां नहीं कर राही है और पूरी ताकत झोंके हुए है। ऐसे में यहां रोचक मुकाबला देखने को मिल सकता है। 

भरतपुर में रामस्वरूप कोली के सामने संजना जाटव, कांटे की होगी टक्कर
भरतपुर लोकसभा सीट से भाजपा ने मौजूदा सांसद रंजीता कोली का टिकट काटते हुए पूर्व सांसद रामस्वरूप कोली को चुनाव मैदान में उतारा है। रामस्वरूप कोली पूर्व में सांसद रह चुके हैं। रंजीता का काफी विरोध हो रहा था। ऐसे में पार्टी ने एक सीनियर चेहरे पर भरोसा जताते हुए प्रत्याशी बनाया। उधर, कांग्रेस ने संजना जाटव को प्रत्याशी बनाया है। संजना कांग्रेस की उभरती नेता हैं। स्थानीय स्तर पर उनकी सक्रियता और लोकप्रियता को देखते हुए कांग्रेस ने उन्हें लोकसभा चुनाव लडऩे का मौका दिया। वे पहली बार लोकसभा चुनाव मैदान में हैं। ऐसे में यहां कांटे की टक्कर होने का अनुमान लगाया जा रहा है। 


बीकानेर में मेघवाल का मुकाबला मेघवाल से, समीकरणों में हो सकते है उलटफेर
बीकानेर लोकसभा सीट से भाजपा ने केंद्रीय मंत्री अर्जुन राम मेघवाल को तीसरी बार चुनाव मैदान में उतरा है। पूर्व में आईएएस रह चुके मेघवाल बीकानेर सीट से लगातार दो बार सांसद रह चुके हैं। इस बार उनका मुकाबला कांग्रेस के गोविंद राम मेघवाल से होगा। गोविंद राम मेघवाल गहलोत राज में कैबिनेट मंत्री रह चुके हैं। नवंबर 2023 में हुए विधानसभा चुनाव में उन्हें हार का सामना करना पड़ा था। हालांकि इस बार यहां अर्जुनराम मेघवाल के प्रति एंटी इंकम्बेकंसी का माहौल बताया जा रहा है लेकिन अंतिम समय तक यहां मतदाता की नब्ज टटोलना काफी मुश्किल है।  


चूरू में कांग्रेस के कस्वां का मुकाबला भाजपा झाझडिय़ा के साथ राजेंद्र राठौड़ से भी 
चूरू लोकसभा सीट पर इस बार तगड़ा उलटफेर देखा गया। भाजपा के टिकट पर लगातार दो बार सांसद रहे राहुल कस्वां को इस बार बीजेपी ने टिकट नहीं दिया। टिकट नहीं मिलने से नाराज कस्वां ने बीजेपी को बाय-बाय कह दिया। बीजेपी छोडऩे के बाद में वे कांग्रेस में शामिल हो गए। पार्टी में आते ही कांग्रेस ने उन्हें चूरू से प्रत्याशी घोषित कर दिया। दो बार भाजपा के टिकट पर चुनाव लडक़र जीत हासिल करने वाले कस्वां इस बार भाजपा प्रत्याशी को चुनौती दे रहे हैं। बीजेपी ने पैरा ओलंपियन देवेंद्र झाझडिय़ा को चुनाव मैदान में उतरा है। झाझडिय़ा और उनका परिवार अभी तक राजनीति से दूर रहा। अंतरराष्ट्रीय खिलाड़ी होने के नाते पार्टी ने उन्हें चुनाव मैदान में उतार दिया। उनके प्रचार के लिए पीएम मोदी 2 अप्रैल को चूरू में सभा कर चुके हैं।


दौसा की राजनीति ने तो सभी को हिला डाला, जाने क्या हो जाए?
दौसा लोकसभा सीट पर बीजेपी ने बस्सी के पूर्व विधायक कन्हैयालाल मीणा को चुनाव मैदान में उतारा है। कॉलेज पूरी करने के तुरंत बाद कन्हैयालाल मीणा बस्सी के सरपंच बन गए थे और सरपंच रहते हुए ही उन्होंने वर्ष 1990 में विधानसभा चुनाव में ताल ठोक दी थी। निर्दलीय चुनाव लड़ते हुए वे विधायक बन गए थे। बाद में वे बस्सी के चार बार विधायक बने। हालांकि दो बार उन्हें हार का सामना भी करना पड़ा। बीजेपी के केंद्रीय नेतृत्व ने उन्हें दौसा से संसद जाने का टिकट दिया है। कन्हैयालाल मीणा के सामने कांग्रेस ने पूर्व मंत्री और मौजूदा विधायक मुरारी लाल मीणा को चुनाव मैदान में उतारा है। मुरारी लाल मीणा कई बार विधायक रह चुके हैं। ऐसे में उन्हें भी एक मजबूत नेता के रूप में देखा जा रहा है।


गंगानगर में पुराने खिलाडिय़ों का मुकाबला नए चेहरे से, होगा जोरदार संघर्ष
गंगानगर लोकसभा सीट से भाजपा ने प्रियंका बैलान को चुनाव मैदान में उतारा है। वे अनूपगढ नगर परिषद की सभापति हैं। वे युवा और उभरती नैत्री हैं। उन्होंने अभी तक विधानसभा चुनाव नहीं लड़ा। पार्टी ने उन्हें सीधे लोकसभा चुनाव लडऩे का मौका दिया है। उधर, कांग्रेस ने कुलदीप इंदौरा को चुनाव मैदान में उतारा है। इंदौरा गंगानगर के जिला प्रमुख हैं और कांग्रेस के राष्ट्रीय सचिव भी हैं। उनके पिता हीरालाल इंदौरा पूर्व में मंत्री रहे हैं।


जयपुर शहर में सिर्फ जय श्रीराम और हारे का सहारा का मुद्दा हावी
जयपुर शहर लोकसभा सीट से भाजपा ने मौजूदा सांसद रामचरण बोहरा के बजाय मंजू शर्मा को प्रत्याशी बनाया। मंजू शर्मा बीजेपी के पूर्व प्रदेशाध्यक्ष और कई बार विधायक रहे दिवंगत भंवरलाल शर्मा की बेटी हैं। कांग्रेस ने पहले सुनील शर्मा को प्रत्याशी बनाया था लेकिन बाद में विवाद हुआ तो प्रताप सिंह खाचरियावास को प्रत्याशी घोषित किया। प्रताप सिंह कह चुके हैं कि उन्होंने तो पार्टी से टिकट मांगा ही नहीं और ना ही उन्होंने तैयारी की। पार्टी ने टिकट दे दिया है, इसलिए वे चुनाव लड़ रहे हैं। जयपुर में कांग्रेस खुद अपने आप को कमजोर मानकर चल रही है। खाचरियावास कह चुके हैं कि वे तो अब श्याम बाबा के भरोसे चुनाव लड़ रहे हैं।


जयपुर ग्रामीण में युवा कांग्रेस प्रत्याशी के सामने अनुभवी राव राजेंद्र सिंह
जयपुर ग्रामीण लोकसभा सीट से भाजपा ने पूर्व मंत्री और विधानसभा के उपाध्यक्ष रहे राव राजेंद्र सिंह को प्रत्याशी बनाया। ग्रामीण क्षेत्र में राव राजेंद्र सिंह का अच्छा प्रभाव माना जाता है। हालांकि वे लोकसभा का चुनाव पहली बार लड़ रहे हैं। 5 अप्रैल को पीएम मोदी खुद राव राजेंद्र सिंह के समर्थन में चुनावी सभा को संबोधित करने के लिए कोटपूतली आए थे। उधर, कांग्रेस ने एक युवा नौजवान अनिल चौपड़ा तो टिकट किया। अनिल चौपड़ा राजस्थान विश्वविद्यालय के छात्रसंघ अध्यक्ष रह चुके हैं। वे पिछले 5 साल से जयपुर ग्रामीण क्षेत्र में सक्रिय हैं। पार्टी ने उनकी सक्रियता को देखते हुए चुनाव मैदान में उतारा है। और, इस बार वे इस मामले में बढ़त लेते भी नजर आउ रहे है। 


झुंझुनूं में शुभकरण चौधरी का सीधा मुकाबला बृजेंद्र ओला से, यहां फंस सकता है पेंच

झुंझुनूं लोकसभा सीट बीजेपी ने मौजूदा सांसद का टिकट काट कर शुभकरण चौधरी को प्रत्याशी बनाया। सांसद नरेंद्र चौधरी को पिछले दिनों विधानसभा चुनाव में उतारा था लेकिन वे हार गए थे। ऐसे में उनका टिकट बदले जाने की चर्चाएं रहीं। पहले ऐसे कयास लगाए जाते रहे कि झुंझुनूं से किसी महिला नेता को बीजेपी चुनाव मैदान में उतारेगी लेकिन ऐसा नहीं किया। पार्टी ने पूर्व विधायक को प्रत्याशी बना दिया। अब शुभकरण चौधरी का मुकाबला कांग्रेस के बृजेंद्र सिंह ओला से है। ओला परिवार झुंझुनूं का कद्दावर राजनीतिक जाट घराना है। बृजेंद्र ओला गहलोत राज में मंत्री रह चुके हैं।

करौली-धौलपुर में भाजपा ने चौंकाया, कांग्रेस के दिग्गज से है सीधी टक्कर

करौली-धौलपुर लोकसभा सीट पर इंदु देवी जाटव को प्रत्याशी बनाकर बीजेपी ने सबको चौंका दिया। इंदु देवी जाटव पार्टी की एक सामान्य कार्यकर्ता हैं। वे बड़ी नेता नहीं है और ना ही कभी कोई बड़ा चुनाव लड़ा। इंदु देवी ने सिर्फ एक बार पंचायत समिति सदस्य का चुनाव लड़ा। चुनाव जीतने के बाद प्रधान बनने का मौका मिल गया क्योंकि प्रधान का पद एससी महिला के लिए आरक्षित था। एससी की तीन महिलाएं पार्षद बनी थीं, जिनमें से एक इंदु देवी को प्रधान बनने का अवसर मिल गया था। इंदु का मुकाबला कांग्रेस के भजनलाल जाटव से है। भजनलाल जाटव कांग्रेस के वरिष्ठ नेता हैं और वे गहलोत राज में मंत्री रह चुके हैं।


पहले चरण में नागौर है सबसे हॉट सीट, इस बार यहां होगा आर या पार 
नागौर लोकसभा सीट पर इस बार चेहरे तो पुराने हैं लेकिन राजनैतिक पार्टियां बदल गई हैं। नागौर से बीजेपी ने ज्योति मिर्धा को प्रत्याशी बनाया जो पूर्व में कांग्रेस के टिकट पर नागौर की सांसद रह चुकी हैं। वर्ष 2014 और 2019 में ज्योति मिर्धा कांग्रेस प्रत्याशी रहते हुए चुनाव हार भी चुकी हैं लेकिन विधानसभा चुनाव से ठीक पहले ज्योति ने कांग्रेस का हाथ छोडक़र बीजेपी के दामन थाम लिया। बीजेपी ने उन्हें नागौर से लोकसभा चुनाव में उतार दिया। ज्योति का मुकाबला पिछली बार की तरह इस बार भी राष्ट्रीय लोकतांत्रिक पार्टी के हनुमान बेनीवाल से है। बेनीवाल पिछली बार बीजेपी के साथ गठबंधन के तौर पर प्रत्याशी थे लेकिन इस बार वे कांग्रेस के साथ गठबंधन के तौर पर चुनाव मैदान में हैं। दोनों के बीच सीधी टक्कर मानी जा रही है।


सीकर में सुमेधानंद बनाम अमराराम..मुकाबला होने जा है बहुत रोचक

सीकर लोकसभा सीट से भाजपा की ओर से सुमेधानंद सरस्वती को तीसरी बार चुनाव मैदान में उतारा है। वे 2014 और 2019 में सीकर से सांसद रह चुके हैं। बीजेपी को सीकर की सीट सुमेधानंद सरस्वती के लिए सुरक्षित लगी। ऐसे में उन्हें फिर से प्रत्याशी बनाया। उधर, कांग्रेस को सीकर से कोई मजबूत प्रत्याशी नहीं मिला। कई दिनों तक कशमकश के बाद कांग्रेस ने सीपीआई से गठबंधन किया। सीपीआई ने कामरेड अमराराम को चुनाव मैदान में उतारा है। अमराराम तीन बार विधायक रह चुके हैं। उनके प्रचार में पूर्व सीएम अशोक गहलोत, पीसीसी चीफ गोविंद सिंह डोटासरा सहित तमाम कांग्रेसी नेता पूरा जोर लगाए हुए हैं।