जोधपुर@ नगर निगम दक्षिण में पूर्ण बहुमत मिलने के बाद भाजपा की तरफ से वनिता सेठ महापौर पद की प्रत्याशी होगी। वहीं नगर निगम उत्तर में भाजपा के पास बहुमत नहीं है, लेकिन पार्टी ने एहतियात के तौर पर डॉ. संगीता सोलंकी को अपना प्रत्याशी घोषित किया है दूसरी तरफ गुटबाजी में उलझी कांग्रेस ने देर से ही सही लेकिन अपने प्रत्याशी तय कर दिए हैं। कांग्रेस ने दक्षिण नगर निगम से मेयर पद के लिए पूजा पारीक को अपना प्रत्याशी बनाया है, जबकि उत्तर में कुंती देवड़ा को अपना दावेदार बनाया है। मुख्यमंत्री अशोक गहलोत के हस्तक्षेप के बाद दोनों के नाम तय हो सके हैं।
नगर निगम दक्षिण क्षेत्र में भाजपा ने पूर्ण बहुमत हासिल किया है। वहीं, उत्तर में कांग्रेस को पूर्ण बहुमत है। ऐसे में वनिता सेठ और कुंती देवड़ा का मेयर बनना लगभग तय माना जा रहा है।
खींचतान के बाद वनिता का नाम तय हुआ
महापौर पद के चयन को लेकर भाजपा में अंदरूनी लड़ाई चरम पर रही। निगम चुनाव में वसुंधरा राजे के खेमे की उपेक्षा के बाद अब दक्षिण निगम महापौर पद को लेकर राजे व शेखावत का खेमा पूरी तरह से सक्रिय हो गया था। शेखावत खेमा इंद्रा राजपुरोहित का समर्थन कर रहा था तो वसुंधरा खेमे के नेता वनिता सेठ के लिए लॉबिंग करने में जुटा था। हालांकि अंतिम फैसला केंद्रीय जलशक्ति मंत्री शेखावत व प्रदेशाध्यक्ष डॉ. सतीश पूनिया के साथ महामंत्री संगठन चंद्रशेखर, जिलाध्यक्ष देवेंद्र जोशी, राज्यसभा सांसद राजेंद्र गहलोत की पांच सदस्यीय कोर कमेटी ही को करना था। और आखिरकार वनिता सेठ के नाम पर मुहर लग गई।
वनिता सेठ भाजपा की वरिष्ठ कार्यकर्ता और महिला मोर्चा की पूर्व प्रदेश अध्यक्ष रह चुकी हैं। इससे पहले वनिता सेठ कोनकोर की डायरेक्टर भी रह चुकी हैं। वे पूर्व में शिक्षिका रह चुकी हैं। वहीं इंद्रा राजपुरोहित के पक्ष में सबसे बड़ी बाधा यही आई कि वे बहुत अधिक मृदुभाषी है। साथ ही बीकानेर में भी इसी समाज की सुशीला कंवर राजपुरोहित को महापौर बनाया हुआ है। ऐसे में एक ही जाति के दो लोगों को दो शहरों की बागडोर सौंपने से गलत मैसेज जा सकता था।
इसलिए भी चुना वनिता का नाम- प्रदेश में कांग्रेस की सरकार है। ऐसे में यह तय है कि राज्य सरकार से पर्याप्त सहयोग नहीं मिलने वाला है। ऐसे में पार्टी को एक दबंग और तेजतर्रार महिला नेता की दरकार थी। जो नगर निगम दक्षिण की प्रभावी पैरवी कर सके। इन मापदंडों पर वनिता सेठ खरी उतरी।
इसलिए गहलोत ने चुना कुंती देवड़ा का नाम
कुंती देवड़ा कांग्रेस के वरिष्ठ नेता रहे मानसिंह देवड़ा की बेटी हैं। 1998 में जब गहलोत पहली बार सीएम बने थे तो उस समय वह विधायक नहीं थे। ऐसे में कुंती के पिता मानसिंह देवड़ा ने सरदारपुर विधानसभा सीट खाली की थी। कहा जाता है कि मानसिंह का वह एहसान अशोक गहलोत भूले नहीं। इसी वजह से कुंती को तव्वजो दी गई है। कुंती को कांग्रेस पार्षदों का भी समर्थन था।