कुख्यात गौतस्कर को जमानत मिलने के बाद प्रदेश में नई सियासी जंग..

गौवंश को आवारा नहीं ‘निराश्रित’ कहना जरूरी..लेकिन सरकार ने ही छोड़ दिया इंसाफ का ‘साथ’!

सुप्रीम कोर्ट में राज्य सरकार की तरफ से पैरवी के लिए नहीं भेजे गए वकील, इसी आधार पर 2021 में गिरफ्तार गौतस्कर नजीम को मिली जमानत, सरकार आई बैकफुट पर 

इधर, गोपालन विभाग ने जारी किया आदेश, कहा-गायों के लिए आवारा शब्द नहीं बल्कि निराश्रित या बेसहारा कहना जरूरी, दोनों मामलों पर विपक्ष राज्य सरकार पर हमलावर

जयपुर। प्रदेश में एक नए सियासी बवाल की सुगबुगाहट शुरू हो गई है। मामला गौवंश से जुड़ा है। एक ओर तो सरकार ने आदेश जारी कर गौवंश को आवारा कहने-लिखने पर रोक लगा दी है, इसकी जगह निराश्रित या बेसहारा लिखना जरूरी किया गया है। वहीं दूसरा मामला एक गौतस्कर को मिली जमानत से जुड़ा है। दरअसल, सुप्रीम कोर्ट ने राजस्थान के कुख्यात गौ तस्कर नाजिम खान को जमानत दे दी है। फैसले में लिखा गया कि राजस्थान सरकार की तरफ से काउंसलर पेश नहीं हुए इसलिए जमानत देनी पड़ी, जबकि सुप्रीम कोर्ट में सरकार के 4-4 एएजी लगा रखे हैं। मामला करौली जिले के एक कुख्यात गौ तस्कर नाजिम खान का है। राजस्थान पुलिस ने 2021 में नजीम और उसके सहयोगियों को गौ तस्करी के आरोप में गिरफ्तार किया था। हाईकोर्ट तक नजीम की जमानत नहीं हुई, लेकिन सुप्रीम कोर्ट में राजस्थान सरकार की तरफ से नजीम की जमानत याचिका के खिलाफ वकालत नामा भी नहीं लगाया गया। इसके चलते सुप्रीम कोर्ट ने नजीम को जमानत दे दी। साथ ही अपने फैसले में इसका जिक्र भी किया। सुप्रीम कोर्ट ने अपने फैसले में लिखा है, 8 अक्टूबर 2024 को राजस्थान सरकार को नोटिस दिया जा चुका था, उसके बावजूद राजस्थान सरकार की तरफ से किसी ने वकालत नामा नहीं भरा और कोई प्रस्तुत भी नहीं हुआ। सुप्रीम कोर्ट ने कहा स्टेट काउंसिल के नहीं होने की वजह से आरोपियों के पुराने आपराधिक रिकॉर्ड प्रस्तुत नहीं होने के कारण आरोपियों को जमानत दी जा रही है। नाजिम के ऊपर आरोप था कि वो और उसके सहयोगी 26 गौवंशों को लेकर उत्तर प्रदेश जा रहे थे। इस बीच उन्हें पकड़ लिया गया। राजस्थान पुलिस ने उनके ऊपर धारा 3, 5, 8, 9 और 10 के तहत केस दर्ज किया था। इस मामले में उसने जमानत के लिए सेशन कोर्ट का दरवाजा खटखटाया था, जहां से उसे कोई राहत नहीं मिली थी। इसके बाद वह हाई कोर्ट पहुंचा, जहां से भी उसे झटका लगा था।

इस पूरे मामले पर बोले-गौपालन मंत्री, बोले-कहां चूक हुई?; जांच होगी
इस पूरे मामले पर जब मंत्री जोराराम कुमावत से बात की गई तो उन्होंने सरकार की तरफ से स्पष्टीकरण दिया। गौपालन मंत्री ने कहा कि गौ तस्करी के खिलाफ सख्त कार्रवाई होनी चाहिए। इस दिशा में हमारी सरकार काम भी करती है। कोर्ट में कहीं चूक हुई है तो इस दिशा में सरकार मामले को दिखाएगी और जिम्मेदार होगा उस पर कार्रवाई करेगी। गौवंश के संरक्षण के लिए हमारी सरकार संवेदनशील है। कानूनी गलतियां कहां हुईं, उस दिशा में हमारी सरकार काम करेगी। इस पूरे मामले पर गर्माई सियासत पर उन्होंने कहा कि राजनीति करने का काम कांग्रेस का है। हम गाय पर राजनीति नहीं करते हैं। गाय हमारे लिए सम्माननीय है। उन्होंने कहा कि सरकार से अगर चूक हुई है तो उस पर कार्रवाई करेगी। दाग जैसी कोई चीज नहीं है। सरकार ने गाय के लिए बहुत कुछ किया है और सरकार आने वाले समय में भी गोवंश की रक्षा के लिए बहुत कुछ करने जा रही है। 1177 करोड़ रुपये सरकार ने इस वर्ष खर्च किया है। गौशालाओं को अनुदान देने में जिसे गौ माता की स्थिति को सुधारा जा सके।

विपक्ष ने भाजपा को घेरा, जूली बोले- मुंह में राम, बगल में छुरी ये है असलियत
गौतस्कर को जमानत मिलने का मामला भाजपा के लिए विवाद का कारण बन गया है। नेता प्रतिपक्ष टीकाराम जूली ने भाजपा पर हमला करते हुए कहा कि गाय के नाम पर राजनीति करने वालों को इस मामले में अपनी जवाबदेही तय करनी चाहिए। नेता प्रतिपक्ष टीकाराम जूली ने सोशल मीडिया एप्स पर ट्वीट कर लिखा कि ‘गाय के नाम पर राजनीति करने वालों को इस मामले में अपनी जवाबदेही तय करनी होगी। मुंह में राम, बगल में छुरी’, ये है भाजपा वालों की असलियत। इधर, पायलट ने कहा कि राजस्थान में भारतीय जनता पार्टी की सरकार सिर्फ गौवंश का नाटक करती है। असलियत क्या है वो सबको पता है। जिस कुख्यात गौ तस्कर को पिछली कांग्रेस सरकार ने पकड़ा था वो इस सरकार की जानबूझकर की गई लापरवाही से छूट गया। आज प्रदेश के गोपालन विभाग ने एक नोटिस निकाला, जिसमें कहा गया कि गाय को आवारा नहीं कहा जाएगा, वो अपमानजनक है, उन्हें ‘निराश्रित’ या ‘बेसहारा’ कहा जाएगा। यह भाजपा सरकार सिर्फ नाम बदलने में एक्सपर्ट है। 

इस बीच सरकार का आदेश: सडक़ पर घूमते गोवंश को आवारा नहीं, निराश्रित कहें या बेसहारा
सडक़ पर घूमते गोवंश के लिए अब राजस्थान में आवारा शब्द का प्रयोग नहीं किया जाएगा। अब ऐसे गोवंशों को निराश्रित या बेसहारा कहा जाएगा। इस संबंध में राजस्थान सरकार के गोपालन विभाग ने एक आदेश जारी किया है। यह आदेश सभी विभागों के मुखिया और कलेक्टर्स को भेजा गया है, जिसमें सरकारी रिकॉर्ड में आवारा शब्द की जगह गोवंश के लिए बेसहारा या निराश्रित शब्द का प्रयोग करने को कहा गया है। पशुपालन और गोपालन मंत्री जोराराम कुमावत ने यह जानकारी दी। इसके साथ ही महाराष्ट्र की तर्ज पर गाय को राज्यमाता का दर्जा देने के सवाल पर मंत्री कुमावत ने कहा कि गाय हमारी संस्कृति में पूजनीय है। महाराष्ट्र सरकार का गाय को राज्यमाता का दर्जा देने का कदम स्वागत योग्य है। हम भी महाराष्ट्र सरकार के नियमों और कानूनों का अध्ययन करवा रहे हैं, इसके बाद आगे अच्छा फैसला लिया जाएगा।