प्रदेश के 80 से अधिक फिटनेस सेंटर 31 मार्च के बाद से बंद, ऑटोमेटिक टेस्टिंग स्टेशन (एटीएस) की सुविधा नहीं होने के कारण केन्द्रीय परिवहन मंत्रालय के आदेश पर लगाया था प्रतिबंध
हजारों अनफिट वाहन या तो सडक़ों पर लगा रहे हैं सरपट दौड़, कई ट्रांसपोर्टरों ने खड़ी कर दी गाडिय़ां, दूसरे राज्यों में जाकर लेना पड़ रहा सर्टिफिकेट
जयपुर। परिवहन विभाग की ढुलमुल कार्यशैली के कारण प्रदेश में सडक़ सुरक्षा मजाक बन रह गई है। क्योंकि, प्रदेश में इस समय 10 हजार से अधिक वाहन ऐसे हैं जिनकी फिटनेस नहीं हो पा रही है। विभाग की लापरवाही से प्रदेश के 80 से अधिक फिटनेस सेंटर बंद पड़े हैं लेकिन परिवहन विभाग के अधिकारियों के पास इस समस्या का समाधान करने के लिए कोई प्लान नहीं है। प्रदेश में एक अप्रैल से वाहनों की फिटनेस करने वाले निजी सेंटर बन्द हैं। फिटनेस सेंटर्स के पास ऑटोमेटिक टेस्टिंग स्टेशन (एटीएस) की सुविधा नहीं होने के कारण केन्द्रीय परिवहन मंत्रालय के आदेश पर इन्हें बन्द कर दिया गया है। मंत्रालय ने 31 मार्च तक सेंटर्स को एटीएस की मान्यता लेने के निर्देश दिए थे। लेकिन राजस्थान के दो सेंटर को छोडक़र किसी ने एटीएस की मान्यता नहीं मिली। ऐसे में अब राज्य के 83 फिटनेस सेंटर्स की आईडी को परिवहन विभाग ने बंद कर दिया है। इसके बाद से यहां होने वाली वाहनों की फिटनेस भी बंद हो गई है। जो आदेश जारी हुए हैं, उनमें लिखा हुआ है कि प्रादेशिक परिवहन का पंजीकरण प्राधिकरण के अधिकार क्षेत्र में जहां चालू है वहां केवल एटीएस पर ही परिवहन वाहनों का परीक्षण होगा इसके अलावा अगर जिन जिलों या जिन प्रादेशिक परिवहन कार्यालयों के अधिकार क्षेत्र में एटीएस की उपलब्धता नहीं है वहां और चरणबद्ध तरीके से जारी रखने की योजना है, इसके बाद भी परिवहन विभाग ने बिना पर्याप्त एटीएस की उपलब्धता के ही सभी फिटनेस सेंटरों की आईडी बंद कर दी, इस कारण पांच दिनों में करीब 10 हजार वाहन अनफिट खड़े हुए हैं। इन वाहनों में यात्री बस से लेकर ट्रक भी शामिल है। अगर इनमें से कोई भी वाहन संचालित होता है और हादसा भी हुआ तो बीमा भी नहीं मिलेगा।
परिवहन विभाग ने नहीं की कोई वैकल्पिक व्यवस्था, रोजाना करोड़ों का नुकसान
राज्य में रोज फिटनेस सेंटर्स पर करीब ढाई हजार वाहनों की फिटनेस की जाती है। खास बात है कि इसके बाद भी परिवहन विभाग ने अभी तक वाहनों की फिटनेस के लिए वैकल्पिक इंतजाम नहीं किए हैं। राज्य में फिटनेस सेंटर बन्द होने से विभाग को रोज एक करोड़ का नुकसान हो रहा है। विभाग को प्रति वाहन फिटनेस पर चार हजार रुपए टेक्स के प्राप्त होते हैं। ऐसे में फिटनेस नहीं होने के कारण वाहनों को मजबूरी में दूसरे राज्य में जाकर फिटनेस करानी पड़ रही है। राज्य में जयपुर और किशनगढ़ में एटीएस फिटनेस सेंटर चालू हैं। लेकिन वाहनों की लिमिट निर्धारित होने के कारण ये सीमित ही वाहनों की फिटनेस कर पा रहे हैं। राज्य में फिटनेस सेंटर बन्द होने से ट्रांसपोर्ट व्यापार पर असर पड़ा है। जयपुर सहित प्रदेश के कई ऑपरेटर ने अनफिट वाहन खड़े कर दिए हैं।
फिलहाल लाइसेंस जारी होने की उम्मीद नहीं, डेढ़ साल से लंबित है प्रकरण
दरअसल, केंद्रीय परिवहन मंत्रालय ने सभी फिटनेस स्टेशनों को 31 मार्च 2025 तक ऑटा मेटेड करने के निर्देश दिए थे। इस तारीख तक प्रदेशभर के फिटनेस स्टेशन अपग्रेड नहीं हो पाए, तो वाहनों की फिटनेस जांच बंद हो गई। राज्य सरकार ऑटो मेटेड फिटनेस स्टेशन की पॉलिसी में कुछ बदलाव चाहती है, इसके बाद ही लाइसेंस जारी करेगी। लेकिन यह बदलाव डेढ़ साल से लंबित है। जबकि इसके लिए फिटनेस सेंटरों ने आवेदन किया हुआ है। केंद्रीय परिवहन मंत्रालय की गाइडलाइन के मुताबिक राज्य सरकार को इन फिटनेस स्टेशनों के लिए प्री-रजिस्ट्रेशन सर्टिफिकेट (पीआरसी) जारी करना था। इसके बाद ये स्टेशन 6-8 महीने में ऑटोमेटेड होने थे। परिवहन विभाग इनकी जांच कर इन्हें ऑटोमेटेड फिटनेस स्टेशन होने का लाइसेंस जारी करता और केंद्रीय मंत्रालय इन्हें चलाने की स्वीकृति देता। लेकिन राज्य सरकार की ओर से केवल दिसंबर 2023 तक ही पीआरसी जारी हुई उसके बाद पॉलिसी बदलने के लिए इन्हें बंद कर दिया।