सबसे बड़े फर्जीवाड़े पर ‘किसकी मेहरबानी’..सबूतों की भरमार; फिर भी ‘जांच से इंकार’!

ऐसा कोई सगा नहीं जिसे हमने ठगा नहीं..पर्दाफाश


म्यूचअल हाऊसिंग को-ऑपरेटिव सोसायटी के घोटालों की लंबी फेहरिस्त, तमाम दस्तावेज और सबूत साफ दर्शा रहे गड़बड़ी लेकिन पुलिस महकमा और जिम्मेदार कार्रवाई से बच रहे


सिरसी रोड़, बिशनावाला स्थित नारायणपुरी ब्लॉक-ए में मनमानी का खुला खेल, यहां हर नियम को रखा गया तांक पर, करणी विहार थाने से प्रकरण को स्थ्साानांतरित करने की उठी मांग


जयपुर। म्यूचअल हाऊसिंग को-ऑपरेटिव सोसायटी लिमिटेड की आवासीय योजना ‘नारायणपुरी ब्लॉक-ए’ भूखंडधारियों से धोखाधड़ी की बड़ी मिसाल बनकर उभरी है। मामला इस कारण और भी गंभीर हो चला है कि पुलिस जांच में भी समिति पदाधिकारियों से मिलीभगत की जा रही है। बैकडेट में पट्टे जारी होते रहे। भूखंड का भुगतान समिति चैक से 2013 में ले रही है और भुगतान की रसीद 1995 की ली जा रही है। ऐसे तमाम सबूत होने के बाद भी करणी विहार थाना पुलिस पूरी तरह समिति के पदाधिकारियों पर ही मेहरबान दिखाई दे रही है। ना तो शिकायतकर्ताओं के तथ्यों की पड़ताल की जा रही है और ना ही उनके द्वारा पेश दस्तावेजों के आधार पर समिति पदाधिकारियों से पूछताछ हो रही है। ऐसे में पीडि़त भूखंडधारी दर-दर भटकने को मजबूर हो रहे हैं। 
गौरतलब है कि कानून का यह सर्वमान्य सिद्धान्त है कि किसी भी व्यक्ति के साथ कोई घटना कारित होती है या उसके साथ कोई चिटिंग एवं बेईमानी कारित होती है, तो उसके द्वारा सम्बंधित विभाग में कानूनी कार्यवाही की जाती है। परन्तु उक्त प्रकरण में आज तक ऐसा नहीं हुआ है। जबकि समिति के पूर्व सचिव दिनेश चौधरी एवं अध्यक्ष संजीव झाझडिय़ा द्वारा अपने पद का दुरूपयोग कर एवं समिति का रिकॉर्ड उनके पास होने का बेजा इस्तेमाल करते हुये एवं नारायणपुरी-ए स्कीम की जमींन पर अवैध रूप से कब्जा करने की नियत से समिति के रिकॉर्ड में हेरा-फेरी करते हुये बेईमानी एवं धोखाधड़ी कारित की गई। ऐसे में अब इस जांच को अंयत्र एजेंसी से करवाना जरूरी हो चला है। 

ऐसे जारी किए फर्जीवाड़े से भूखंडों के पट्टे, फिर भी जिम्म्ेदार मौन
नारायणपुरी-ए में भूखण्ड संख्या-ए-57 का पट्टा दिनांक-07.05.1995 को जारी किया गया है। जबकि पट्टा हासिल करने वाली महिला की शादी वर्ष 2000 में हुई थी। लेकिन, उन्हें पत्नी दर्शाते हुए पट्टा 1995 में जारी हो गया। साफ है कि उक्त पट्टा बैंक डेड में समिति के पूर्व सचिव दिनेश चौधरी एवं पूर्व अध्यक्ष संजीव झाझडिया द्वारा जारी किया गया है। इसके अलावा अन्य कई विवाद भूखण्डों के सम्बंध में आये वो समिति के पूर्व सचिव दिनेश चौधरी एवं अध्यक्ष संजीव झाडाडिया की मिलीभगत से आए हैं। लेकिन करणी विहार थाने ने इन तथ्यों पर गौर ही नहीं किया। अनुसंधान अधिकारी ने ना तो इस सम्बंध में परिवादी से पूछताछ की और ना ही इस बिन्दू की जांच की। ऐसे में साफ है कि मामले की जांच में पुलिस और सोसाइटी संचालकों की मिलीभगत रही।


पुलिस जांच में झोल ही झोल, जमकर किया सोसाइटी को उपकृत
म्यूचअल हाऊसिंग को-ऑपरेटिव सोसायटी लिमिटेड के पूर्व सचिव दिनेश चौधरी एवं भूतपूर्व अध्यक्ष संजीव झाझडिया ने समिति का रिकॉर्ड प्रशासन/अवसायक अथवा रजिस्ट्रार सहकारी समिति को नहीं दिया। जबकि इनके द्वारा बार-बार रिकॉर्ड सौंपने के लिए समिति को नोटिस जारी किए जाते रहे। अब करणी विहार थाना पुलिस सोसायटी को उपकृत करने पर तुली हुई है। यही कारण है कि उसी रिकॉर्ड को सही माना जा रहा है, जो समिति के इन दोनों पदाधिकारियों से मिला है। शिकायतकर्ताओं द्वारा पेश रिकॉर्ड को संज्ञान पर ही नहीं लिया जा रहा। जबकि सोसाइटी के रिकॉर्ड में किए फर्जीवाड़े की तस्वीर योजना के भूखंड संख्या ए-13 से स्पष्ट होती है। ये भूखंड संख्या ए-13, 20.05.1995 को आवंटित किया गया। इसके बाद सोसाइटी ने उक्त पट्टा 04.06.1995 को अन्य के नाम ट्रांसफर कर दिया गया। 
इसके बाद इसी भूखंड को 20.09.2013 को बेच दिया। भूखंड की राशि का भुगतान चैक के माध्यम से वर्ष 2013 में ही किया। जबकि सोसायटी द्वारा भुगतान की रसीद और पट्टा जारी करने की तारीख 18.06.1995 दर्शाई गई है। अब ये सवाल उठता है कि जब भूखंड की राशि का भुगतान 2013 में किया गया, तो भुगतान प्राप्ति की रसरीद और पट्टा 18.06.1995 की तारीख में कैसे जारी हुआ। बावजूद उक्त तथ्य एवं इसके सम्बंध में दस्तावेज उपलब्ध करवाने के बावजूद भी अनुसंधान अधिकारी द्वारा इस सम्बंध में कोई जांच, पूछताछ एवं रिकॉर्ड परिवादी से नहीं लिया गया।


कई भूखंडों के पट्टे-रसीदों में गड़बडिय़ां, तारीखों में 15 साल का अंतर००
समिति ने इसी तरह एक ही भूखंड के अलग-अलग आवंटन पत्र और पट्टे एवं भुगतान की रसीदों में फर्जीवाड़ा कर रखा है। भुगतान प्राप्ति और उसकी रसीद की तारीखों में 15-15 साल का अंतर है। योजना के भूखण्ड संख्या-ए-13, ए-42, ए-51, ए-57, ए-118 एवं ए-125 सहित विभिन्न भूखण्डों के दस्तावेजों में यही फर्जीवाडा किया गया है। इसके बाद भी पुलिस मौन है। स्पष्ट है कि सोसायटी के पूर्व सचिव एवं अध्यक्ष ने समिति का रिकॉर्ड अपने पास रखकर पूरे रिकॉर्ड में हेराफेरी की। अब स्थिति ऐसी है कि शिकायतकर्ता और प्रभावित भूखंडधारी इस तथ्यात्मक जानकारी को लेकर करणी विहार थाने के चक्कर लगा रहे हैं। लेकिन थाना पुलिस समिति को क्लीन चिट देने पर आमादा है।


छापे के दौरान सोसायटी से बड़ी संख्या में जब्त किए गए थे दस्तावेज
जानकारी के अनुसार म्यूच्यूअल गृह निर्माण सहकारी समिति को अपना सारा रिकॉर्ड अवसायक को जमा कराना था। लेकिन समिती के कारिंदो ने ऐसा नहीं किया। सहकारिता विभाग को इन समितियों के खिलाफ लगातार शिकायतें मिल रही थी कि यह अभी भी अवैध कारोबार के धंधे में शामिल हैं। इसी सूचना पर साल 2023 में म्यूच्यूअल गृह निर्माण सहकारी समिति के विभिन्न ठिकानों पर छापे मारे गए थे। इस दौरान म्यूच्यूअल गृह निर्माण सहकारी समिति के सिरसी रोड और चोमू हाउस सर्किल स्थित ठिकानों पर छापेमारी की गई थी। इनके कर्ता-धर्ता शंकर लाल शर्मा और दिनेश चौधरी के कार्यालयों दस्तावेज बरामद किए थे। समिति के ठिकानों से रसीद बुक, कार्यवाही विवरण, अलॉटमेंट रजिस्टर और सदस्यता सूची आदि दस्तावेज बरामद किए गए।