कृषि भूमि हो रही बंजर..किसान हो रहा कर्जदार सोच-समझकर खरीदे ‘चौमूं की सब्जियां’..अब इनमें किया जा रहा ‘जहर का छिडक़ाव’!

जयपुर/चौमूं। प्रदेश की राजधानी जयपुर के ग्रामीण क्षेत्र की आय का मुख्य स्रोत कृषि एवं पशुपालन रहा है। लेकिन, विगत एक दशक में यहां की बहुप्रवाही एवं अंत:प्रवाही नदियों के मृतप्राय हो जाने और प्राकृतिक जल स्रोतों बांधों, तालाबों, जोहड़ी, बावडिय़ों आदि के जल प्रवाह एवं जल भराव क्षेत्र में अतिक्रमण व औद्योगिक इकाइयों के संचालन के चलते आज संपूर्ण जयपुर ग्रामीण क्षेत्र का भूजल स्तर तेजी से सैकड़ों मीटर नीचे चला गया है और यह डार्क जोन घोषित हो चुका है। ऐसे में जयपुर ग्रामीण क्षेत्र में कृषक, कृषि एवं पशुपालकों के समक्ष रोजगार व जीवन संकट खड़ा हो गया है । क्षेत्र में केवल पीने जितना लेकिन अशुद्ध व फ्लोराइडयुक्त जल ही शेष रह गया है, वह भी कुछ ही भू भाग में। 
ऐसे में विशेषत: चौमंू क्षेत्र व उसके आसपास के क्षेत्र में झोलाछाप ड्रग्स निर्माता कंपनियां की निकल पड़ी है जो न केवल कृषि में प्रयुक्त रसायनों का निर्माण कर रही है, बल्कि इंसानी व पशुओं के इलाज में काम आने वाली नकली दवाइयां का निर्माण धड़ल्ले से कर रही है। जयपुर ग्रामीण क्षेत्र में अपने पैर पसार चुके ड्रग्स माफिया अपनी अवैधानिक ड्रग्स निर्माता औद्योगिक इकाइयों में तैयार नकली दवा उपकरणों और अनाज, फल सब्जी के बीजों का बेचान झूठे विज्ञापनों, प्रलोभनों एवं गारंटियों के द्वारा भोले-भाले किसानों को कर रही है। किसानों को सैकड़ों से हजारों रुपए किलो के भाव के रबी, खरीफ एवं जावद की फसलों और सब्जियों के बीज बेचने का काम किया जा रहा है। कमीशन के इस काले कारोबार में वाले  लिप्त दवा विक्रेताओं को ड्रग्स कंपनियां न केवल देश बल्कि विदेशों में टूर करवा रही हैं। कंपनियों द्वारा दिए गए लक्ष्य अथवा उसे अधिक दवा बेचने वाले इन झोलाछाप दवा विक्रेताओं, कृषि विभाग एवं चिकित्सा विभाग के अधिकारियों को मोटा कमीशन पहुंचाया जा रहा है ।

खतरनाक कीटनाशकों से बंजर होती जा रही कृषि भूमि, पशु-पक्षियों की प्रजातियां भी लुप्त
जहरीली दवाओं से फलने-फूलने वाली इन फसलों के फल या बीज लगने तक उसमें लाखों रुपए की दवाइयां देने के लिए खतरनाक कीटनाशकों के प्रयोग के लिए प्रोत्साहित किया जाता है। परिणामस्वरूप आज संपूर्ण जयपुर ग्रामीण क्षेत्र की कृषि भूमि की उपजाऊ मृदा बंजर हो गई है और नशीली दवाओं की आदी हो चुकी है। कृषि में प्रयुक्त इन खतरनाक विषैले कीटनाशकों के तेजी से प्रचलन के कारण, जयपुर ग्रामीण की सैकड़ों की तितली, पशु, पक्षियों की प्रजातियां सहित यहां की वनस्पति जातियां विलुप्त हो चुकी है। विषैली नस्ल की कीट प्रजाति, वनस्पति एवं खरपतवार जिनमें गाजर घास, विलायती बबूल, लैंटाना कैमारा, सत्यानाशी का तेजी से जंजाल फैलता जा रहा है। कृषि में प्रयुक्त इन नकली प्रमाणित कीटनाशकों का दुष्प्रभाव ना केवल पशु पक्षियों पर पड़ रहा है बल्कि किसानों एवं मजदूर परिवारों भी इससे बेहद रूप से प्रभावित हो रहे हैं।चौमूं में खुल चुके डेढ़ से ज्यादा निजी अस्पताल और सैकड़ों की संख्या में मेडिकल स्टोर
चौमूं जैसे शिक्षा में पिछड़े क्षेत्र में भी डेढ़ सौ से अधिक निजी चिकित्सालय पनप चुके हैं और इनसे पांच गुना अधिक संख्या में मेडिकल स्टोर तथा कृषि में प्रयुक्त दवाओं के मेडिकल स्टोर खुल चुके हैं। इन बेचने वाले और इन दवाओं को बनाने वाले लोगों में किसी प्रकार की कोई क्षेत्र की योग्यता नहीं है। यह क्यों झूठेल सब्जबाग दिखाकर, क्षेत्र के किसानों को ओर अधिक कर्जदार बनाने का काम कर रही हैं । अपनी सब्जियों के लिए प्रसिद्ध चौमूं में अब जहर की मिलावट
एक जमाना था जब चौमंू सब्जी मंडी के फल, सब्जियों के भाव और गुणवत्ता की चर्चा संपूर्ण देश में होती थी। लेकिन अब चौमंू की सब्जियां में सबसे अधिक जहर मिलने की बात सामने आई है। तरुण जनकल्याण संस्थान सामाजिक संगठन के प्रदेश अध्यक्ष एवं पर्यावरणविद शिक्षक कैलाश सामोता रानीपुरा का कहना है कि जयपुर ग्रामीण क्षेत्र के इंसानी दुनियां, पशु पक्षियों एवं कीटों की प्रजातियों सहित यहां की संपूर्ण जैव विविधता के लिए खतरा उत्पन्न हो गया है। झोलाछाप कृषि में प्रयुक्त कीटनाशक बेचने वाले दवा निर्माता पर विक्रेता तो है ही साथ ही इंसानी इलाज में काम में आने वाली दवा निर्माताओं की शरणस्थली भी बन चुका है। 

मिलावटी डेयरी उत्पादों के लिए बदनाम हो रहा चौमंू-गोविंदगढ़
इसके साथ ही जयपुर ग्रामीण क्षेत्र के चौमंू-गोविंदगढ़ इलाके में सर्वाधिक मात्रा में मिलावटी डेयरी प्रोडक्ट्स जैसे दूध, मावा, पनीर, क्रीम, मिठाइयां, आदि का निर्माण बेझिझक धड़ले से हो रहा है, जिसमें शासन प्रशासन की मिली भगत से इंकार नहीं किया जा सकता। अत: समय रहते मानवता एवं कृषि व किसी को बचाने के लिए हमें अवैधानिक रूप से कृषि एवं मानव स्वास्थ्य में काम आने वाली नकली दवा निर्माता कंपनी और बेचान करने वालों के इस काले कारोबार पर अंकुश जरूर लगाया जाना चाहिए।मथानिया मिर्च को मिल सकता है जीआई टैग..फ्रांस का प्रतिनिधि मण्डल तलाश रहा संभावनाएं!फ्रेंच एम्बेसी के इंटेलेक्चुअल प्रोपर्टी काउन्सलर के नेतृत्व में शुरू हुआ नौ दिवसीय दौरा, विभिन्न विभागों में बैठकों द्वारा की शुरूआत, किया जाएगा अध्ययन