जयपुर। धैर्य, दृढ़ संकल्प, जुनून और जिद की एक शक्तिशाली कहानी 'ए एम नाइक: द मैन हू बिल्ट टुमॉरो' इस लीडर के पीछे के व्यक्ति और उसके द्वारा व्यापार और उद्योग से लेकर राष्ट्र-निर्माण और परोपकार तक गढ़ी गई कई—कई दुनियाओं पर एक दुर्लभ नजर डालती है। आखिर इस व्यक्ति में ऐसा क्या है जो अपने जीवन का आदर्श लक्ष्य हासिल होते ही अगले लक्ष्य की ओर चलना शुरू कर देता है?
1964 में 22 बाईस वर्षीय इंजीनियरिंग स्नातक ए एम नाइक ने लार्सन एंड टुब्रो में भर्ती के लिए एक विज्ञापन देखा और एप्लाई किया। अपने अंतिम साक्षात्कार में लगभग असफल होने के बावजूद, नाइक को काम पर रखा गया। 'मैंने 38 इंजीनियरों को बर्खास्त कर दिया है - 39वें नंबर पर मत आ जाना', यह बात नाइक के बॉस टी. बेकर ने काम पर उसके पहले दिन उससे कही थी। इस प्रकार अथक परिश्रम, उत्साह और उल्लेखनीय उपलब्धियों का युग शुरू हुआ, जिसने न केवल एलएंडटी के पदों के क्रम में नाइक को ऊपर उठाया, बल्कि कंपनी को पचास से अधिक देशों में मौजूदगी के साथ एक मल्टीनेशनल ग्रुप में बदलने में भी मदद की।
81 साल की उम्र में भी ऐसा क्या है जो नाइक को एनर्जी का पावरहाउस और काम में व्यस्त रहने वाला बनाता है? उनमें ऐसी क्या बात है जो निस्वार्थ रिश्ते बनाने के लिए प्रेरित करती है? ऐसा क्या है जो उनके साथ काम करने वालों को किसी भी कार्य के लिए अतिरिक्त प्रयास करने के लिए प्रेरित करता है?
लार्सन एंड टुब्रो के एमेरिटस चेयरमैन ए. एम. नाइक कहते हैं, 'मैंने हमेशा एक नए कल के निर्माण में अपना योगदान देते हुए राष्ट्र, उद्योग और समाज की सेवा करने की स्थिति में होने के लिए खुद को भाग्यशाली माना है। मुझे बहुत ख़ुशी होगी अगर एक छोटे से गांव से व्यवसाय की दुनिया तक की इस यात्रा से मिले सबक वर्तमान और भावी पीढ़ियों के लिए किसी काम आ सकेंगे।'
प्रिया कुमार कहती हैं, 'ए. एम. नाइक अंतर्दृष्टि और प्रेरणा का विश्वविद्यालय हैं इस किताब को लिखना मेरे लिए पेशेवर विकास की यात्रा रही है, और मुझे उम्मीद है कि यह अपने पाठकों को भी यही प्रेरणा देगी।'
जयराम एन. मेनन कहते हैं, 'हर कोई जानता है कि किताबें पढ़ना शिक्षाप्रद है। मैंने पाया कि लिखना इससे भी अधिक शिक्षा देने वाला हो सकता है! इस किताब को लिखना मेरे लिए एक सबक है कि आप कैसे बड़े सपने देखें जो मैंने पहले कभी नहीं देखे हैं।'
सचिन शर्मा, एसोसिएट पब्लिशर, हार्पर कॉलिन्स कहते हैं, 'ए. एम. नाइक का अनुकरणीय जीवन इस बात का प्रमाण है कि कड़ी मेहनत और जुनून पहाड़ों को भी हिला सकता है। जहां एलएंडटी और इसे आगे बढ़ाने वाले नाइक की सफलता की कहानी सर्वविदित है, प्रिया कुमार और जयराम मेनन ने हमें इस लीडर के दिल और दिमाग से रूबरू करवाने का शानदार काम किया है।