बुद्ध की शिक्षाओं का आधुनिक समाज में प्रभाव :- निरंजन कुमार

बुद्ध का जन्म 563 ईसा पूर्व में बैसाख मास की पूर्णिमा के दिन कपिलवस्तु (वर्तमान नेपाल में) के पास लुंबिनी में राजकुमार सिद्धार्थ के रूप में हुआ था।भगवान बुद्ध का जन्म, ज्ञान प्राप्ति (बुद्धत्व या संबोधि) और महापरिनिर्वाण ये तीनों वैशाख पूर्णिमा के दिन ही हुए थे। राजपाठ का मोह त्यागकर संसार को जरा, मरण, दुखों से मुक्ति दिलाने के मार्ग एवं सत्य दिव्य ज्ञान की खोज में रात्रि में तपस्वी बनने के लिए 29 वर्ष की आयु में वन की ओर चले गए। इस घटना को महाभिष्क्रमण कहते हैं। बुद्ध सात साल तक भटकते रहे और 35 साल की उम्र में निरंजना नदी के तट पर एक पीपल के पेड़ के नीचे ध्यान करते हुए उरुवेला में वर्षों की कठोर साधना के पश्चात उन्हें ज्ञान की प्राप्ति हुई और वे सिद्धार्थ गौतम से भगवान बुद्ध बन गए। इस पीपल पेड़ को ‘बोधि वृक्ष’ के रूप में जाना जाने लगा और यह स्थान बोधगया (बिहार में) बन गया। ‘बुद्ध’ शब्द का अर्थ है ‘प्रबुद्ध’। बौद्धकालीन शिक्षा वर्तमान में भी प्रासंगिक है जो शिक्षा मानव कल्याण हेतु है। बुद्ध ने अपने व्यक्तिगत अनुभव से दुःख को पहचाना एवं इससे मुक्ति हेतु सही मार्ग बताया। बुद्ध के बताये मार्ग पर चलकर मनुष्य अपने दुःखों से मुक्ति पा सकता है। बुद्ध का पंचशील, मनुष्य को सत्य बोलने, झूठ न बोलने, किसी स्त्री से व्यभिचार न करने, जीव हत्या न करने तथा मादक पदार्थों से दूर रहने की प्रतिज्ञा करता है। इन प्रतिज्ञाओं का पालन करते हुए व्यक्ति अपने आप को श्रेष्ठ बना सकता है और बुद्ध के बताये अष्टांगिक मार्ग पर चलकर मनुष्य मोक्ष की प्राप्ति कर सकता है। आजकल मनुष्य नैतिक मूल्यों से गिरता जा रहा है, यदि वह बौद्धकालीन शिक्षा का अनुसरण करें, तो वह अपना, अपने परिवार का तथा समाज का कल्याण करते हुए एक अच्छे समाज का निर्माण कर सकता है। बौद्ध कालीन शिक्षा सभी वर्ग के लोगों के लिए खुली थी, केवल चण्डाल को छोड़कर। बौद्ध कालीन शिक्षा में मनुष्य का विकास किया जाता था, मनुष्य को भिक्षु जीवन तथा भौतिक जीवन के लिए तैयार किया जाता था। आधुनिक समाज में भी बुद्ध की शिक्षाओं का गहरा प्रभाव देखा जा सकता है, बुद्ध की शिक्षाओं में ध्यान का विशेष स्थान है। समाज में ध्यान और योग का महत्व अत्यधिक बढ़ गया है। मानसिक तनाव, चिंता और अवसाद जैसी समस्याओं से निपटने के लिए ध्यान एक प्रभावी उपाय साबित हुआ है। विपश्यना, जिसे बुद्ध ने प्रचारित किया था, आज की जीवनशैली में मानसिक शांति और स्थिरता प्रदान करती है। बुद्ध ने अपने अनुयायियों को पाँच शील का पालन करने की सलाह दी: अहिंसा, चोरी न करना, असत्य भाषण न करना, व्यभिचार न करना और मादक पदार्थों का सेवन न करना। आधुनिक समाज में नैतिकता और जीवन मूल्यों की कमी एक बड़ी चुनौती है। बुद्ध की ये शिक्षाएँ व्यक्ति और समाज को नैतिकता के उच्च मानकों पर चलने के लिए प्रेरित करती हैं।
 बुद्ध ने जाति-पाँति और वर्ग भेदभाव का विरोध किया था। उन्होंने समता और समानता की बात की।वर्तमान समय में जाति, धर्म और वर्ग के भेदभाव की समस्या मौजूद है। बुद्ध की शिक्षाओं से प्रेरणा लेकर कई सामाजिक आंदोलनों ने समानता और समरसता की दिशा में काम किया है। भारतीय संविधान में समानता का अधिकार बुद्ध की शिक्षाओं से प्रभावित है। बुद्ध ने ज्ञान और शिक्षा पर बल दिया था और कहा था कि अज्ञानता ही सभी दुःखों का मूल कारण है। वर्तमान स्थिति में शिक्षा का महत्व सर्वोपरि है। शिक्षा के माध्यम से व्यक्ति को जागरूक और समाज को प्रगति के मार्ग पर अग्रसर किया जा सकता है।बुद्ध की शिक्षाओं में प्रकृति और पर्यावरण के प्रति सम्मान और प्रेम की बात की गई है। उन्होंने हर जीवित प्राणी के प्रति करुणा और दया का संदेश दिया। अभी के समय में पर्यावरण संरक्षण एक महत्वपूर्ण मुद्दा है। बुद्ध की शिक्षाओं से प्रेरित होकर कई संगठन और व्यक्ति पर्यावरण संरक्षण के लिए काम कर रहे हैं। वृक्षारोपण, जल संरक्षण और स्वच्छता अभियान जैसी गतिविधियाँ इन शिक्षाओं का प्रत्यक्ष परिणाम हैं। बुद्ध ने परोपकार और दूसरों की सेवा करने का महत्व बताया था। आधुनिक समाज में गैर-सरकारी संगठनों और स्वयंसेवी संस्थाओं का काम इसी सिद्धांत पर आधारित है। समाज में आपसी सहयोग और सहानुभूति का माहौल बनाने में बुद्ध की शिक्षाएँ प्रेरणा स्रोत हैं।बुद्ध की शिक्षाओं में आत्मनिरीक्षण और आत्मविकास पर जोर दिया गया है। उन्होंने कहा था कि व्यक्ति को अपने भीतर झाँकना चाहिए और अपने दोषों को दूर करने का प्रयास करना चाहिए। आधुनिक समाज में व्यक्तित्व विकास और आत्मविकास के लिए कई कार्यशालाएँ और कार्यक्रम आयोजित किए जाते हैं। इन कार्यक्रमों में बुद्ध की शिक्षाओं का समावेश करके व्यक्तियों को जीवन में संतुलन और शांति पाने के लिए प्रेरित किया जाता है। गौतम बुद्ध की शिक्षाएँ आधुनिक समाज में एक प्रकाश स्तंभ की तरह हैं, जो हमें सही मार्ग पर चलने के लिए प्रेरित करती हैं। उनके सिद्धांत न केवल व्यक्तिगत विकास और मानसिक शांति के लिए महत्वपूर्ण हैं, बल्कि सामाजिक समरसता, नैतिकता, और पर्यावरण संरक्षण के लिए भी मार्गदर्शक सिद्ध होते हैं। आज की भागदौड़ भरी जिंदगी में बुद्ध की शिक्षाएँ हमें संतुलन, शांति और सुख की ओर ले जाती हैं। बुद्ध की शिक्षाओं का प्रभाव आधुनिक समाज के हर पहलू में देखा जा सकता है, और यह प्रभाव आने वाले समय में भी प्रासंगिक रहेगा।