मां का प्रथम घंटे का दुग्धपान शिशु के लिए अमृतपान : डॉ सी बी दास गुप्ता

कोटा जे के लोन अस्पताल में रविवार को चार दिवसीय प्रशिक्षण कार्यशाला का समापन हु़वा। कार्यशाला गर्भवती व स्तनपान करवाने वाली माताओं के विषय पर आधारित थी जिसमें उनकी विशेष देखभाल और नवजात शिशु के पोषण हेतु  आवश्यक जानकारी उपलब्ध करवाई गई। कार्यशाला के संयोजक वरिष्ठ शिशु रोग विशेषज्ञ डॉ सी बी दास गुप्ता ने बताया  कार्यशाला के समापन समारोह में बतौर अतिथि सुधा मेडिकल कॉलेज के निदेशक डॉ आर के अग्रवाल, वरिष्ठ शिशु रोग  विशेषज्ञ डॉ एन के जोशी और डॉ जे के सिंघवी उपस्थित थे। कार्यशाला दुग्धपान करवाने वाली माताओं के विषय " लैक्टेशन मैनेजमेंट"  पर आधारित थी जिसमें उनकी विशेष देखभाल और नवजात शिशु के पोषण हेतु  आवश्यक जानकारी उपलब्ध करवाई गई। कार्यशाला के संयोजक वरिष्ठ शिशु रोग विशेषज्ञ डॉ सी बी दास गुप्ता ने बताया कि इस कार्यशाला में प्रदेश भर से  तेरह नर्सिंग कर्मी एवम डॉक्टर ने भाग लिया जिसे दिल्ली और इंदौर से कोटा आई राष्ट्रीय ट्रेनर डॉ संगीता रानी, उल्का जमाल, कल्पना गजारे ने प्रशिक्षण दिया।  अतिथियों द्वारा सभी तेरह प्रशिक्षणनार्थियो ने प्रमाण पत्र प्राप्त किए।  आयोजन में मुख्य वक्ता डॉ सी बी दास गुप्ता ने बताया कि अभी हमारे देश में स्तनपान को लेकर बहुत सारी नकारात्मक और विसंगतियां व्याप्त है। उन्होंने कहा कि ऐसे ट्रेनिग कार्यक्रमों से कार्यकुशलता आयेगी और हम स्तनपान विषय को ज्यादा संजीदगी से अस्पताल स्तर से भी प्रारंभ कर सकते है। प्रथम घंटे में मां का दूध सजीवनी का कार्य करता है साथ ही बच्चो में रोग प्रतिरोधक क्षमता प्रबलता से विकसित करता है। डॉ गुप्ता के अनुसार अस्पतालो को स्तनपान मित्रवत बनाना, वर्ल्ड हेल्थ आर्गेनाइजेशन द्वारा सुझाए दस प्रमुख बिंदुओं पर कार्य करना, मां को विपरीत और विशेष  परिस्थिति में भी स्तनपान करवाने के मापदंड और माता–शिशु के संपूर्ण पोषण जैसे महत्पूर्ण विषयों को कार्यशाला में शामिल किया गया। समारोह में  बतौर अतिथि डॉ आर के अग्रवाल ने कहा कि स्तनपान से महिलाओं में ब्रेस्ट कैंसर जैसे घातक रोग होने की संभावनाएं कम हो जाती है और मां ज्यादा स्वस्थ रहती है। डॉ एन के जोशी ने कहा की इस भौतिक वादी युग में वर्किंग महिलाओं को थोड़ा जिद्दीपन छोड़ना होगा ताकि वे शिशु और खुद को स्वस्थ रख सके। डॉ जे के सिंघवी ने स्त्री रोग चिकित्सक की भूमिका को रेखांकित किया और कहा कि वे माताओं को गर्भावस्था के प्रथम चरण में ही संवेदनशील बना सकती है। अंत में अतिथियों का आभार व्यक्त किया गया और उनकी सहभागिता हेतु प्रतीक चिन्ह भेट किए गए।
–इनका रहा योगदान
 इस आयोजन में सहयोग करने वाले प्रमुख  डॉ अमृता मयंगर, डॉ जितेंद्र   पारशर, डॉ एकात्म गुप्ता, डॉ नवनीत    बागला, डॉ अविनाश बंसल, भुवनेश गुप्ता, यज्ञदत्त हाड़ा, नीरजा श्रीवास्तव, कोमल गुप्ता सहित कई लोग रहे।