नए जिलों और संभागों के रद्द होने का साइड इफेक्ट...

बड़े फैसले पर बड़ा सवाल..9 जिलों में छिड़ गया बवाल!


कई जगह हाईवे जाम और बाजार रहे बंद, सडक़ों पर उतरे लोगों ने किया आंदोलन का ऐलान, कांग्रेस ने भी दी बड़े आंदोलन की चेतावनी; जगह-जगह विरोध-प्रदर्शन


पूर्व मुख्यमंत्री ने साधा निशाना तो पीसीसी चीफ डोटसरा ने कसा तंज, सियासत गर्म; अब सियासी फायदे-नुकसान को भांपने की कवायद, प्रभावित जिलों में भाजपा में भी फूट

जयपुर। भजनलाल सरकार के द्वारा शनिवार को कैबिनेट मीटिंग में अहम फैसला लिया। भजनलाल सरकार ने गहलोत राज में बने 9 नए जिले को रद्द कर दिया। इसके बाद लोगों ने जिलों को खत्म करने के सरकार के फैसले के खिलाफ अलग-अलग जगहों पर विरोध प्रदर्शन शुरू कर दिया। इन जिलों को खत्म करने के विरोध में रविवार को राजस्थान के कई हिस्सों में विरोध प्रदर्शन देखने को मिला। अनूपगढ़ में तो बड़ी संख्या में लोग इक_ा हुए और हाईवे को ही जाम कर दिया। इस दौरान हाईवे पर वाहनों की लंबी कतार नजर आई। इसके अलावा नीमकाथाना में लोगों ने टायर जलाकर अपना विरोध दर्ज कराया। भजनलाल सरकार ने जिन 9 नए जिलों को खत्म किया है, उनमें अनूपगढ़, दूदू, गंगापुरसिटी, जयपुर ग्रामीण, जोधपुर ग्रामीण, केकड़ी, नीम का थाना, सांचौर और शाहपुरा शामिल हैं। इसके अलावा सरकार की तरफ से बांसवाड़ा, सीकर और पाली संभाग को भी निरस्त करने का फैसला किया गया है। अब सरकार के इसी फैसले को लेकर सडक़ों पर हैं। वहीं, कांग्रेस ने भी राजस्थान में एक जनवरी के बाद बड़े आंदोलन की चेतावनी दी है। रविवार को शाहपुरा जिला बनाओ संघर्ष समिति के लोगों ने बाजार बंद करवाए। वहीं नीमकाथाना में टायर जलाकर प्रदर्शन किया। इसके साथ ही अनूपगढ़ व्यापार मण्डल में विभिन्न सामाजिक और व्यापारिक संगठनों के पदाधिकारियों की बैठक आयोजित हुई। जिसके बैठक में नेशनल हाईवे नंबर 911 को जाम करने का निर्णय लिया गया और काफी इसके बाद नेशनल हाईवे नंबर 911 को जाम कर दिया गया है और सांचौर में भी प्रदर्शन शुरू हो गया है।


राजनीतिक विद्वेश का लगा आरोप, दूदू-सांचौर और अनूपगढ़ में आंदोलन शुरू
सांचौर जिला समाप्त करने के विरोध में पूर्व राज्य मंत्री सुखराम बिश्नोई ने सरकार पर राजनीतिक विद्वेष के आरोप लगाते हुए कहा कि सोमवार को कलेक्टर कार्यालय के आगे महापड़ाव करेंगे। अनूपगढ़ में जिला बनाओ संघर्ष समिति ने प्रदर्शन किया। अनूपगढ़ जिला बनाओ संघर्ष समिति के अध्यक्ष सुरेश बिश्नोई ने कहा कि हम लोग बहुत ठगा सा महसूस कर रहे हैं कि इतनी मेहनत के बाद जिला बनाया गया और उसके बाद उसे समाप्त कर दिया गया। वहीं नीमकाथाना में छात्र संगठनों ने बंद का आह्वान किया। जिसमें पूर्व मंत्री राजेन्द्र गुढ़ा ने कहा कि हम पुरजोर शब्दों में इस फैसले का विरोध करते हैं। दूदू जिले को निरस्त करने के निर्णय के विरोध में दूदू के लोगों व कांग्रेस कार्यकर्ताओं ने प्रदर्शन किया। यहां पुलिया के नीचे कांग्रेस प्रवक्ता त्रिलोक सिंह चौधरी, आरीफ शेख, बीसी भाकर, विनोद दायमा के नेतृत्व में कार्यकर्ताओं ने उपमुख्यमंत्री प्रेमचंद बैरवा के खिलाफ जमकर नारे लगाए।

किस बात के डिप्टी सीएम,आपको तो घर बैठा दिया, प्रेमचंद बैरवा की दुखती नब्ज पर डोटासरा ने रखा ‘हाथ’
पीसीसी चीफ गोविंद सिंह डोटासरा ने इस फैसले का विरोध करते हुए डिप्टी सीएम प्रेमचंद बैरवा पर भी निशाना साधा। कांग्रेस ने जन विरोधी निर्णय के खिलाफ आंदोलन करने की योजना बनाई है। डोटासरा ने तंज कसते हुए कहा कि बैरवा जी आप किस बात के डिप्टी सीएम है, जो खेला हुआ उसमें तो आपको निपटा कर घर बैठा दिया है। इधर, सरकार के इस फैसले पर कांग्रेस ने अब आंदोलन करने की हुंकार भरी है। डोटासरा ने एक तीर से दो शिकार किया। उन्होंने एक ओर डिप्टी सीएम बैरवा पर निशान साधा, तो दूदू जिला समाप्त करने पर सीएम भजनलाल पर भी सियासी हमला किया। उन्होंने कहा कि भजन लाल जी ने डीग वाला अपना जिला बचा लिया, लेकिन उपमुख्यमंत्री को निपटा दिया। 

भजनलाल सरकार का फैसला प्रदेश हित में नहीं, जिलों को खत्म करना दुर्भाग्यपूर्ण: अशोक गहलोत 
भजनलाल सरकार के इस फैसले पर पूर्व मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने सवाल खड़े किए और पूछा, अगर नए संभाग और जिले बनाना गलत था, तो सरकार ने आते ही इन्हें निरस्त क्यों नहीं किया? एक साल तक इंतजार क्यों किया? अगर ये दूरी का तर्क देते हैं तो भरतपुर और डीग की दूरी कम होने के बावजूद डीग को यथावत जिला क्यों रखा गया? उन्होंने कहा कि हमारे समय बनाए गए संभाग और जिलों को खत्म कर सरकार गिल्टी कॉन्शियस है, इसलिए सेवानिवृत्त ब्यूरोक्रेट्स से जिलों के मामले में बयान दिलवाए जा रहे हैं, ताकि जनता में इस फैसले के प्रति रिएक्शन नहीं हो। पूर्व मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने रविवार को अपने सरकारी आवास पर पत्रकार वार्ता को संबोधित करते हुए कहा कि क्षेत्रफल के लिहाज से राजस्थान सबसे बड़ा प्रदेश है। लिहाजा, प्रदेश में अभी और जिले बनने की संभावना है। वे बोले, अगर मध्यप्रदेश और गुजरात से तुलना की जाए तो यहां जिलों की संख्या कम है। मध्यप्रदेश में 51 जिले थे, अब 53 जिले बना दिए गए। उन्होंने कहा, बजट में कई घोषणाएं होती हैं, जिनकी धरातल पर मॉनिटरिंग जरूरी है। गरीब, मजदूर और किसान अपनी फरियाद लेकर 150 किमी दूर जिला मुख्यालय पर आते हैं, उन्हें कितनी तकलीफ होती है।