हर स्तर पर भ्रष्टाचार ने की हदें पार..अब उठानी होगी आवाज

बजरी रे बजरी तेरा रंग किया काला’..ऊपर से नीचे तक सिर्फ गड़बड़ झाला! 

अवैध परिवहन और ओवरलोडिंग ने किए हालात बद से बदतर, आधी रात के बाद ग्रामीण इलाकों की सडक़ों से बेरोक-टोक बजरी की ओवरलोड गाडिय़ों की हो रही आवाजाही

आम आदमी की काटी जा रही जेब और बजरी माफिया कूट रहे चांदी, ओवरलोडिंग के बाद भी 1800 रूपए प्रति टन के हिसाब से बेची जा रही बजरी

चंद दिनों बाद आशियाना बनाना तो दूर बल्कि सपना देखना तक होगा महंगा, इस मिलीभगत में हर स्तर के जिम्मेदार शामिल, कार्रवाई में भी हो रही खानापूर्ती


जयपुर। तमाम नियम-कायदों और खान विभाग से लेकर पुलिस प्रशासन के दावों के बावजूद भी राजधानी में धड़ल्ले से बजरी का अवैध परिवहन जारी है। राजधानी के ग्रामीण इलाकों में ना सिर्फ अवैध रूप से बजरी की सप्लाई की जा रही है, बल्कि ओवरलोडिंग से भी बजरी माफिया जमकर चांदी कूटने में जुटे हैं। आधी रात के बाद ग्रामीण इलाकों की सडक़ों से बेरोक-टोक बजरी की ओवरलोड गाडिय़ों की आवाजाही हो रही है और पिछले लंबे समय से खान विभाग या पुलिस प्रशासन ने बजरी के इस अवैध परिवहन के खिलाफ एक भी कार्रवाई नहीं की है।
इस अवैध परिवहन के बावजूद भी राजधानी में ‘अपने मकान’ का सपना देखने वाले आम आदमी को यह सपना महंगा पड़ रहा है। कारण ये है कि बनास की जो बजरी 1200 से 1300 रूपए टन मिलनी चाहिए, वो ओवरलोडिंग के बाद भी 1800 रूपए प्रति टन के हिसाब से बेची जा रही है। ये मनमाने दाम राज्य सरकार की उस मंशा पर भी पानी फेर रहे हैं, जिसमें बजरी की कीमतों को नियंत्रित करने का दावा किया गया था। राजधानी के आस-पास कालवाड़, फुलेरा, बगरू, दूदू जैसे ग्रामीण इलाकों में प्रतिदिन 30-40 बजरी के ट्रक अवैध रूप से लाए जा रहे हैं, जिसमें बनास की बजरी भी शामिल है। कहने को तो इन ट्रकों में 22-24 टन बजरी होनी चाहिए लेकिन हकीकत में 50-55 टन माल लाया जा रहा है। इस ओवरलोडिंग का दूसरा असर सडक़ों पर भी पड़ रहा है और इन इलाकों में सडक़ें भी इसके कारण क्षतिग्रस्त हो रही हैं।

पैसा लेेकर भी जनता को ठग रहे बजरी माफिया, हर स्तर पर गड़बड़ झाला
अवैध बजरी के इस काले कारोबार में आम आदमी को महंगे भाव में बजरी खरीदने के बाद भी ठगा जा रहा है। दरअसल, बजरी माफिया ने अब एक नया तरीका आम आदमी की जेब काटने का निकाल लिया है और इसमें अहम भूमिका निभा रहे हैं ट्रकों को तोलने वाले ‘कांटा संचालक’। बजरी ट्रकों को तोलने के लिए जिन कांटा पर ले जाया जा रहा है, वहां उनका वजन 8 से 10 टन ज्यादा दिखाया जा रहा है और ये अतिरिक्त पैसा बंट रहा है बजरी माफिया और कांटा संचालकों में। यानि पहले ही महंगे भाव की बजरी, इस वजन के फर्जीवाड़े से और महंगी पड़ रही है।

लीजधारक भी नियमों के खिलाफ कर रहे बजरी का स्टॉक
बजरी का स्टॉक करने में लीज धारक भी जमकर फर्जीवाड़ा कर रहे हैं। नियमानुसार कोई भी लीज धारक अपने लीज क्षेत्र से पांच किलोमीटर क्षेत्र में ही बजरी का स्टॉक कर सकता है। इसके बावजूद कई रसूखदार इस दायरे के बाहर भी बजरी का स्टॉक कर रहे हैं। टोंक जिले के बजरी लीज धारक खनन विभाग की मिली भगत से बजरी के स्टॉक की आड़ में सवाई माधोपुर जिले की सीमा में स्थित बनास नदी से अवैध बजरी का खनन कर रहे हैं। हर दिन करीब 500 से 600 वाहन बजरी लेकर जा रहे हैं। लीज धारक रवन्ना के नाम पर बजरी वाहनों को महज टीपी के दस्तावेज देकर अवैध बजरी खनन और परिवहन को वैध बता रहे हैं। ऐसा नहीं है कि खान विभाग के आला अधिकारियों को इस पूरे गोरखधंधे की खबर नहीं है लेकिन सभी ने चुप्पी साध रखी है।

जब्त बजरी की नीलामी में भी बड़ा खेल, कार्रवाई का होता है महज ढकोसला
कहने को तो खान विभाग अवैध बजरी खनन पर कार्रवाई कर, बजरी स्टॉक जब्त भी करता है। लेकिन इस जब्त स्टॉक से भी अब बजरी माफिया चांदी कूट रहे हैं। दरअसल, सवाई माधोपुर क्षेत्र के चौथ का बरवाड़ा, शिवाड़, महापुरा, भगवतपुरा और टोंक जिले में जब्त बजरी की खान विभाग ने नीलामी की थी। बजरी नीलामी में हिस्सा लेने वालों को रवन्ना बजरी बेचने के लिए जारी किए गए, लेकिन यह रवन्ना ही अवैध बजरी खनन को बढ़ावा देने में सहायक साबित हो रहे हैं। ट्रकों को करीब 11 टन बजरी के रवन्ना जारी किए गए, लेकिन इसकी आड़ में 80 टन तक का परिवहन एक-एक गाड़ी में किया जा रहा है। इतना ही नहीं बजरी स्टॉक के साथ-साथ बनास नदी के पास सिवायचक जमीन से भी बजरी निकाल कर बेची जा रही है। सवाई माधोपुर क्षेत्र से ये बजरी के ट्रक झिलाय, बरौनी, निवाई, चाकसू, सांगानेर होते हुए जयपुर पहुंच रहे हैं।  

मौके पर गड़बड़ी पाए जाने के बाद भी कार्रवाई में बरती जा रही कोताही
बजरी माफिया पर कार्रवाई के नाम पर भी खान विभाग औपचारिकता पूरी कर रहा है। दो दिन पूर्व सवाई माधोपुर के शिवाड़ क्षेत्र में खान विभाग ने कार्रवाई कर दो स्थानों पर कुल 1200 टन बजरी का स्टॉक जब्त किया है। विभाग को शिकायत मिली थी कि बजरी की कम मात्रा का रवन्ना काटकर अधिक बजरी का परिवहन किया जा रहा है। इस पर जयपुर और भरतपुर के अधिकारियों की टीम ने कार्रवाई की। मौके पर पोकलेन मशीन को भी जब्त किया गया। लेकिन बजरी माफिया के खिलाफ कोई मुकदमा दर्ज नहीं करवाया गया है। हालांकि खान विभाग मामले में विस्तृत जांच करवा रहा है लेकिन सवाल ये उठता है कि जब मौके पर कार्रवाई में गड़बड़ी पकड़ ली गई थी तो मुकदमा दर्ज कर कानूनी कार्रवाई क्यों नहीं की जा रही है। जांच का इंतजार क्यों किया जा रहा है।