-कोविड सेंटरो में प्राण वायु की किल्लत...

"जीवन की हवा" को खफा रहे फैक्ट्रियों में, कर रहे मुनाफाखोरी

निजी अस्पतालों और कारखानों में 2 हजार रुपए तक में बिक रहे सिलेंडर

 इधर, सरकारी अस्पतालों में आ रहीं आक्सीजन सिलेंडरों की किल्लत

हमारा समाचार @जयपुर. राजधानी जयपुर में कोरोना बीमारी के दौरान उपयोग में ली जाने वाली आक्सीजन गैस की कालाबाजारी करने का सनसनीखेज मामला सामने आया है। सरना डूंगर स्थित शिवम गैस की ओर से जरूरतमन्द मेडिकल संस्थानों को ऑक्सीजन सप्लाई नहीं की जाकर औधोगिक इकाइयों को महंगे दामों में की जा रही है, इससे साफ जाहिर होता है कि इस गैस सप्लायर एजेंसी को मुनाफे की चिंता है न कि कोरोना मरीजों की। जहा प्रदेश में कोरोना के मामले लगातार बढ़ रहें है। गंभीर मरीजों की आक्सीजन की कमी को लेकर मौत हो रहीं है। मरीजों की जान बचाने को लेकर राज्य सरकार ने आक्सीजन सिलेंडरों को लेकर कड़े कदम उठाए है। सच यह है कि सरकारी अस्पतालों में आक्सीजन सिलेंडरों का स्टाक कम है। लेकिन गहलोत सरकार का दावा है कि उनके पास आक्सीजन सिलेंडरों की माकूल व्यवस्था है। हमारा समाचार ने आक्सीजन सिलेंडरों के मामले में ग्राउंट पर फैक्ट चैक किया। हमारा समाचार की टीम गुरुवार दोपहर में सरना डूंगर स्थित शिवम गैसेज कंपनी पहुंची। जहां आक्सीजन सिलेंडरों का बड़ा प्लांट था। गैस सिलेंडर प्लांट से सिलेंडरों को गाड़ियों में भरकर ले जाया जा रहा था। टीम ने मालुम किया तो सामने आया कि यह सिलेंडर निजी अस्पतालों और कारखानों में सप्लाई किए जा रहें है।

सिलेंडर कीमत 100 रुपए, ब्लैक में 2 हजार तक बिक रहा-

प्लांट में तैयार होने वाले आक्सीजन सिलेंडर की वास्तविक कीमत 100 रुपए है। जिसे ब्रोकर द्वारा अस्पतालों में 200 रुपए तक बेचा जाता है। लेकिन 7 सितंबर के बाद प्लांट कीमत 150 हो गई और ब्रोकर द्वारा अस्पतालों में बेचने की कीमत 250 रुपए तक हो गई।  स्टिंग में सामने आया कि कोरोना के बढ़ते मामलों की वजह से अब इन सिलेंडरो की खपत ज्यादा हो गई है। इस वजह से अब यह सिलेंडर सबसे ज्यादा निजी अस्पतालों और कारखानों में 1500 से 2 हजार रुपए तक बेचे जा रहें है।

हमारा समाचार की रिर्पोटिंग टीम के साथ हुई मारपीट 

आक्सीजन सिलेंडरों की कालाबाजारी का खुलासा करने के लिए गुरुवार को हमारा समाचार पत्र की रिर्पोटिंग टीम मौके पर पहुंची। इस दौरान रिर्पोटिंग टीम ने गैस प्लांट मालिक धर्मेंद्र शर्मा से जानकारी लेने का प्रयास किया। इस पर मालिक ने टीम को बंधक बना लिया। इसके बाद मालिक व प्लांट कर्मचारियों ने रिर्पोटिंग टीम को बंधक बनाकर पीटा। इस दौरान आरोपियों ने रिर्पोटिंग टीम का कैमरा छीना, कोडलेस माइक तोड़ा और सोने की चेन छीन ली।

इधर.....शिवम गैस का घिनौना कृत्य-

देश व प्रदेश में कोरोना बीमारी तेजी से फैल रही है और लाखों लोगों को चपेट में ले लिया है। सरकार अपने स्तर पर हर सम्भव कोशिश कर रही है लेकिन जिनका दायित्व लोगों के प्राण संकट से निकालने का है वहीं जीवन की हवा को बेच रहे हैं और मोटा मुनाफा कमा रहे हैं। कोरोना बीमारी के दौरान मरीज को सबसे अधिक आवश्यकता होती हैं तो आक्सीजन गैस की जरूरत होती है। इसके लिए बाकायदा सरकार ने सात औधोगिक इकाईयों को अधिग्रहित किया है और उनमें औषधि नियंत्रण अधिकारी लगाया है। इतना ही नहीं सरकार ने एक आदेश जारी कर कोविड सेंटरो और मेडीकल संस्थानों को ही ऑक्सीजन सिलेंडर देने का निर्देश दिया है। कोविड सेंटरो और मेडीकल संस्थानों को ऑक्सीजन की आपूर्ति के बाद शेष रहने पर ही सिलेंडर औधोगिक इकाइयों को दिया जा सकता है मगर यहा तो मामला अलग ही दिखाई दे रहा है। जीवन की हवा अर्थात ऑक्सीजन को महंगे दामों में बेच कर मुनाफा कमाया जा रहा है। जब दैनिक हमारा समाचार की टीम ने स्टिंग ऑपरेशन किया तो यह मामला पकड़ में आया। सरना डूंगर औधोगिक क्षेत्र में स्थित शिवम गैस की ओर से धड़ल्ले से निजी औधोगिक संस्थानों को ब्लैक में ऑक्सीजन दी जा रही है जबकि अस्पतालों में आज भी किल्लत चल रही है।

सरकार ने इन इकाईयों को किया अधिग्रहित-

राज्य सरकार ने कोरोना के कारण मरीजों के जीवन को बचाने के लिए कई निजी क्षेत्र की इकाइयों को अधिग्रहित किया है। इन एजेंसियों में प्रमुख हैं मलका इंजीनियरिंग बगरू, अजमेर एयर प्रोडक्ट लि. 18 वीकेआई, विलसन कायो गैसेज 16 वीकेआई, श्री हरी गैसेज प्रा लि 7 वीकेआई, शिवम गैस सरना डूंगर, अंकुर गैस एजेंसी सीतापुरा और राजस्थान एयर प्रोडक्ट 17 वीकेआई में है।