कृषि वैज्ञानिक शोध कर विकसित करें उन्नत किस्में - डॉ अरुण कुमार
बैठक में किसानों के लिए की गई लाभकारी सिफारिशें
जोधपुर। कृषि विश्वविद्यालय जोधपुर में दो दिवसीय क्षेत्रीय अनुसंधान एवं प्रसार सलाहकार समिति की बैठक (जर्क) का आयोजन किया गया। कृषि विश्वविद्यालय के कुलपति डॉ अरुण कुमार ने कहा कि पश्चिमी राजस्थान में जलवायु को देखते हुए उन्नत कृषि उत्पादन के लिए कई विषम परिस्थितियां है, ऐसे में आवश्यक है कि कृषि वैज्ञानिक निरंतर परिश्रम कर जलवायु के अनुकूल किस्मों का विकास कर किसानों के खेतों तक उन्नत बीज पहुंचाएं। डाॅ0 एम.एम. सुंदरिया, निदेशक अनुसंधान, ने बैठक में आये हुए वैज्ञानिकों एवं कृषि विभाग के अधिकारियों को सम्बोधित करते हुए कहा कि सिंचाई के पानी, मृदा में कार्बनिक पदार्थों व सूक्ष्म पौषक तत्त्वों की कमी व मृदा स्वास्थ्य में गिरावट जैसी कई कृषि चुनौतियां है। इनसे निपटने के लिए कृषि वैज्ञानिकों से उन्होंने आह्वान किया कि ऐसे अनुसंधान करें ताकि इन चुनौतियों का सामना किया जा सकें तथा किसानों की आय में बढ़ोतरी हो सकें।
विभिन्न कृषि अनुसंधान संस्थाओं ने लिया भाग
कृषि में अनुसंधान सलाह एवं नये अनुसंधान कार्यक्रम को तय करने हेतु रबी 2024-25 की इस बैठक में जोधपुर, बाड़मेर, व नागौर, जिलों में स्थित विभिन्न कृषि अनुसंधान संस्थान, काजरी, कृषि अनुसंधान केन्द्र, कृषि विज्ञान केन्द्र तथा कृषि विभाग में कार्यरत कृषि वैज्ञानिक व कृषि अधिकाारियों ने भाग लिया। इस बैठक में रबी 2023-24 में हुए अनुसंधानों की समीक्षा की एवं रबी 2024-25 हेतु नये अनुसंधान कार्यक्रम तय किये गये।
बैठक में किसानों के लिए की गई सिफारिशें
1. कृृषि विश्वविद्यालय, जोधपुर द्वारा सरसों की किस्मों पीडीजेडएम 33, पीएम 32, आरएच 725, आरएच 761 एवं तारामीरा की किस्मों आरटीएम 1355 एवं आरटीएम 1624 की सिफारिश की गई।
2. अरण्डी की फसल में मृदा स्वास्थ्य एवं उत्पादकता बढ़ाने के लिए अरंडी़ग्वार एवं अरंडी़मूंग के अंतः शस्यन को अपनाने की सिफारिश की गई है।
3. गेहूं की फसल में अच्छी उत्पादकता एवं उपज प्राप्त करने के लिए सिफारिश किए गए उर्वरक (45 किलो नाइट्रोजऩ40 किलो फास्फोरस)़रेडी बोयोमिक्स़प्रथम सिंचाई के समय खड़ी फसल में यूरिया (22.5 किलो/है.)़ 30 एवं 60 दिन बुवाई के पश्चात् नेनो यूरिया का पर्णीय छिड़काव करें।
4. गेंहू की फसल में उत्पादकता बढ़ाने के लिए 100ः अनुकूल एन पी़30 किलो पोटाश डालने की सिफारिश की गई।
5. केमोमाइल की फसल में फूल आने के समय 100 पीपीएम एनएए के छिड़काव की सिफारिश की गई है।
6. चिया की फसल में खरपतवार नियंत्रण एवं अधिकत्म उपज प्राप्त करने के लिए बेंटाजाॅन 48ः एसएल/ 750 ग्राम सक्रिय तत्व/है. को 30 दिन बुवाई के बाद छिड़काव करने की सिफारिश की गई।
7. जीरा की फसल में छाछ्या एवं अल्टरनेरिया झुलसा के प्रबंधन के लिए ट्राइसाइक्लोजाॅल 45ः़ हेक्साकोनाजाॅल 10ः डब्लयू जी/ 500 ग्राम/है. की दर से रोग के प्रारंभिक लक्षण दिखने पर एवं 15 दिन बाद पर्णीय छिड़काव करने की सिफारिश की गई।
8. मेथी की फसल में पत्तियों पर आने वाले रोगों की रोकथाम के लिए एजोक्सीस्ट्रोबिन 8.3ः़मेंकोजेब 66.7ः डब्लयू जी//ली. दो पर्णीय छिड़काव करने की सिफारिश की गई।
9. प्याज की फसल में पर्णजीवी(थ्रिप्स) के अतिरिक्त प्रबंधन के लिए प्रोफेनोफाॅस 50 ई.सी./ली. पानी में घोल बनाकर 15 दिन के अंतराल पर छिड़काव करने की सिफारिश की गई।
इस अवसर पर निदेशक प्रसार शिक्षा, डाॅ. प्रदीप पगारिया ने कहा कि किसानों की समस्याओं के आधार पर निदान हेतु आने वाली रबी में हमारे वैज्ञानिकों द्वारा अनुसंधान किया जावेगा। डाॅ. जी.आर. मटोरिया, अतिरिक्त निदेशक कृषि प्रसार, जोधपुर ने 11 नई किस्मों के प्रस्तावित होने पर कृषि अनुसंधान केंद्र, मंडोर के वैज्ञानिकों को बधाई दी। डाॅं सीताराम कुम्हार, अधिष्ठाता व संकाय अध्यक्ष ने आशा जताई कि कृषि विश्वविद्यालय जोधपुर द्वारा विकसित किस्मों का बीज उत्पादन हो रहा हैं, जो कि जल्द ही किसानों को उपलब्ध होेंगे। डाॅं मोतीलाल मेहरिया, क्षेत्रीय निदेषक अनुसंधान ने सभी वैज्ञानिकों व कृषि अधिकारियों कोे कृषि अनुसंधान केन्द्र के फार्म पर चल रहे विभिन्न अनुसंधान कार्यो का भ्रमण करवाया।
बैठक में बी.के. द्विवेदी, संयुक्त निदेशक कृषि, डाॅ जे.आर. भाखर, निदेशक उद्यानिकी, डाॅ आर.बी. शर्मा, संयुक्त निदेशक, बाड़मेर, मरूधर वशिष्ठ, उपनिदेशक एटीसी, डाॅ जे.आर. वर्मा अधिष्ठाता, कृषि महाविद्यालय, नागौर, डाॅ बी.एल. मीणा, कृषि विज्ञान केंद्र गुडामलानी, डाॅ एस.के. बैरवा कृषि विज्ञान केंद्र फलौदी, डाॅ एन.आर. पंवार, प्रधान वैज्ञानिक, डाॅ सुरेंद्र कुमार, समदड़ी, श्री ओ.पी. चैधरी, प्रबंधक राजस्थान राज्य बीज निगम एवं श्री शीशराम धायल, केंद्रीय प्रबंधक, राष्ट्रीय राज्य बीज निगम, जोधपुर सहित जोधपुर व बाड़मेर, जिलों के कृषि क्षेत्र के विभिन्न वैज्ञानिकों व कृषि अधिकारियों ने भाग लिया।