सरकारी जमीन हो रही दूसरों के नाम..जिला स्तरीय समिति लगाएगी लगाम!


गैरकानूनी नामान्तरणों पर नकेल के लिए राज्य सरकार ने की विशेष व्यवस्था, सरकारी जमीन से जुड़े गैरकानूनी नामांतरणों पर निगरानी के लिए जिला स्तर पर राजकीय भूमि नामान्तरण परामर्श समिति गठित


जयपुर। राजस्व विभाग द्वारा सरकारी और कस्टोडियन जमीनों के निजी खातेदारों के नाम पर किए जा रहे गैरकानूनी नामान्तरणों की घटनाओं को रोकने के लिए राज्य सरकार ने नई व्यवस्था लागू की है। इसके तहत अब किसी भी न्यायालय के आदेश की पालना से पहले जिला कलेक्टर की अध्यक्षता में गठित एक कमेटी से अनुमति लेनी अनिवार्य होगी। यह कमेटी तय करेगी कि उस मामले में सरकार कानूनी लड़ाई लड़ेगी या आदेश को उसी स्तर पर मान्यता दी जाएगी। दरअसल, कानूनी लड़ाई लडऩे की बजाय राजस्व अधिकारी सरकार की ही जमीन को निजी खातेदारों के नाम कर रहे हैं। ऐसे ही कई मामले सामने आने के बाद राज्य सरकार ने ऐसे अधिकारियों पर नकेल कसने के लिए नई व्यवस्था की है। अब सरकारी जमीन या कस्टोडियन जमीन के मामले में किसी भी न्यायालय के आदेश की पालना से पहले जिला कलक्टर की अध्यक्षता में गठित कमेटी की इजाजत लेनी पड़ेगी। कमेटी तय करेगी कि मामले में कानूनी लड़ाई लड़ी जाए या आदेश की उसी स्तर पर पालना की जाए। यह आदेश राजस्व विभाग की ओर से जारी किए गए हैं। पिछले दिनों ऐसे कई मामले सामने आए हैं। इनमें पुराने आवंटन आदेशों का उपयोग कर फर्जी तरीके से रिकॉर्ड में अमलदरामद (जमाबंदी में नामान्तरण अपडेट करना) कर सरकारी भूमि को खुर्द-बुर्द किया गया। इससे सरकार को हानि व निजी व्यक्तियों को लाभ पहुंचाया गया। ऐसे मामले सामने आने के बाद राजस्व विभाग ने जानकारी जुटाई। इसमें पता चला कि विभिन्न न्यायालयों में सरकारी भूमि को खातेदारी देने के निर्णयों में उच्च स्तर पर अपील या नो-अपील का निर्णय कराया जाना जरूरी था। इसकी बजाय निचले स्तर पर राजस्व रिकॉर्ड में अमलदरामद कर दिया गया।


सरकारी भूमि से संबंधित नामान्तरण आवेदन अब कमेटी से ही होंगे मंजूर 
सरकारी जमीन से जुड़े ऐसे मामलों पर निगरानी के लिए राज्य सरकार ने जिला स्तर पर राजकीय भूमि नामान्तरण परामर्श समिति (जीएलएमएसी) का गठन किया है। कलक्टर की अध्यक्षता में गठित कमेटी में अतिरिक्त जिला कलक्टर, उपविधि परामर्शी या संयुक्त विधि परामर्शी, प्रभारी अधिकारी भू-अभिलेख/उपखण्ड अधिकारी (मुख्यालय) भी होंगे। यह भी तय किया गया है कि सरकारी भूमि से संबंधित नामान्तरण आवेदन को पटवारी जीएलएमएससी कमेटी में पेश करेंगे। कमेटी आवंटन आदेश (न्यायिक निर्णय) से संबंधित दस्तावेज का परीक्षण करेगी। इस आधार पर वह अपील या नो अपील का निर्णय करेगी। न्यायालय निर्णय पर सक्षम स्तर से अपील का निर्णय लिया गया है तो कमेटी नामान्तरण आवेदन को निरस्त करने की सिफारिश भी करेगी। 

पटवारी को कमेटी के समक्ष पेश करने होंगे आवंटन आदेश और दस्तावेज
पटवारी सरकारी भूमि से जुड़े नामान्तरण मामलों को इस कमेटी के समक्ष पेश करेगा, और कमेटी आवंटन आदेश और दस्तावेजों की जांच करेगी। यदि कमेटी को लगेगा कि निर्णय पर अपील होनी चाहिए, तो नामान्तरण आवेदन को निरस्त करने की सिफारिश की जाएगी। इस आदेश को राज्य के सभी जिला कलेक्टरों को लागू करने के निर्देश दिए गए हैं, ताकि सरकारी भूमि के फर्जी हस्तांतरणों को रोका जा सके।