हाईवोल्टेज ड्रामे के बीच नामांकन प्रक्रिया खत्म..फाइनल मुकाबले तय

जयपुर।प्रदेश की सभी 25 लोकसभा सीटों पर उम्मीदवारों की स्थिति साफ हो गई है। सोमवार को दूसरे चरण के मतदान के लिए नाम वापसी की आखिरी तारीख थी। बांसवाड़ा लोकसभा सीट पर भारतीय आदिवासी पार्टी से गठबंधन का ऐलान कर चुकी कांग्रेस को बड़ा झटका लगा है। यहां से कांग्रेस प्रत्याशी अरविंद डामोर ने नाम वापस नहीं लिया। कांग्रेस ने उन्हें पार्टी से निष्कासित कर दिया है। निष्कासन के बावजूद डामोर कांग्रेस के ही उम्मीदवार रहेंगे, क्योंकि निष्कासन से पहले ही पार्टी डामोर को चुनाव चिह्न दे चुकी थी। प्रदेश में बांसवाड़ा और बाड़मेर सीट पर त्रिकोणीय मुकाबला है। प्रदेश की सभी 25 सीटों पर कुल 266 उम्मीदवार मैदान में हैं। जबकि 2019 के लोकसभा चुनाव में उम्मीदवारों की कुल संख्या 249 थी। निर्वाचन आयोग से जारी रिपोर्ट के मुताबिक, पहले चरण के मतदान (19 अप्रैल) में 12 सीटों पर कुल 114 उम्मीदवार मैदान में होंगे। दूसरे चरण की वोटिंग (26 अप्रैल) में मतदाता 13 सीटों पर कुल 152 उम्मीदवारों की किस्मत का फैसला करेंगे। निर्वाचन आयोग के अनुसार, चित्तौडग़ढ़ सीट पर सबसे ज्यादा 18 उम्मीदवार मैदान में हैं। यहां दूसरे चरण में मतदान होगा। यहां हर मतदान बूथ पर दो-दो ईवीएम लगाई जाएंगी। करौली-धौलपुर में सबसे कम प्रत्याशी चुनाव मैदान में हैं। यहां पहले चरण में वोटिंग होगी। दूसरे चरण के 13 लोकसभा क्षेत्रों में नाम वापसी की अवधि समाप्त हो जाने के बाद अब 152 प्रत्याशी मुकाबले में रह गए हैं। सोमवार को नामांकन वापसी के अंतिम दिन 10 लोकसभा क्षेत्रों के कुल 31 अभ्यर्थियों ने अपने नामांकन पत्र वापस लिए हैं। इन 13 क्षेत्रों में 5 अप्रैल शुक्रवार तक 191 अभ्यर्थियों ने नामांकन किए थे, जिसमें से 8 अभ्यर्थियों ने शनिवार को ही नाम वापस ले लिए थे। सोमवार को जालोर लोकसभा क्षेत्र से सर्वाधिक 10 प्रत्याशियों ने अपने नाम वापस लिए. इसके अतिरिक्त, बाड़मेर से 6, अजमेर, पाली और कोटा लोकसभा क्षेत्रों से 3-3, भीलवाड़ा से 2 तथा टोंक-सवाई माधोपुर, जोधपुर, चित्तौडग़ढ़ और राजसमन्द लोकसभा क्षेत्रों से 1-1 प्रत्याशी ने नामांकन पत्र वापस लिए। प्रथम चरण के 12 लोकसभा क्षेत्रों में 114 प्रत्याशी चुनाव में भागीदारी कर रहे हैं। इस प्रकार, राजस्थान के सभी 25 लोकसभा क्षेत्रों में कुल 266 प्रत्याशी मुकाबले में हैं। 

बांसवाड़ा से कांग्रेस प्रत्याशी ने गठबंधन के बावजूद नाम वापस नहीं लिया
राजस्थान की बांसवाड़ा लोकसभा सीट पर सियासत ने नाटकीय रूप ले लिया है। कांग्रेस ने इस सीट से अपने उम्मीदवार अरविंद डामोर को 6 साल के लिए पार्टी से निष्कासित कर दिया है, क्योंकि उन्होंने कांग्रेस और भारतीय आदिवासी पार्टी (बीएपी) के बीच गठबंधन होने के ऐलान के बाद नाम वापस नहीं लिया। दिलचस्प बात यह है कि निष्कासन के बावजूद डामोर कांग्रेस के ही उम्मीदवार रहेंगे, क्योंकि निष्कासन से पहले ही पार्टी डामोर को चुनाव चिह्न दे चुकी थी। पहले यहां से कांग्रेस और भारतीय आदिवासी पार्टी (बीएपी) के उम्मीदवारों ने नामांकन फॉर्म भरे। सोमवार को कांग्रेस ने बीएपी से गठबंधन का ऐलान कर दिया, लेकिन कांग्रेस उम्मीदवार अरविंद डामोर अचानक गायब हो गए और उनसे किसी का संपर्क नहीं हो पाया। इस घटनाक्रम के बाद अब बांसवाड़ा सीट पर कांग्रेस भले ही अपने उम्मीदवार का प्रचार न करे, लेकिन उसका प्रत्याशी मैदान में रहेगा। इस वजह से इस सीट पर भाजपा के महेंद्रजीत सिंह मालवीया, बीएपी के राजकुमार रोत और कांग्रेस के अरविंद डामोर के बीच त्रिकोणीय मुकाबला होगा।

बांसवाड़ा में आखिरी क्षणों तक उलझी रही कांग्रेस, आखिर में पड़ गई फूट

कांग्रेस ने इस सीट पर नामांकन दाखिल करने के आखिरी दिन अर्जुन बामनिया को उम्मीदवार बनाने का फैसला किया था, वहीं अरविंद डामोर से डमी कैंडिडेट के तौर पर नामांकन जमा करवाया था। बामनिया ने ऐनवक्त पर नामांकन ही दाखिल नहीं किया, इसलिए कांग्रेस ने डामोर को अपना चुनाव चिह्न दे दिया था। इस दौरान कांग्रेस और बीएपी के बीच गठबंधन को लेकर चर्चा चल रही थी, सोमवार सुबह इस पर फैसला होने के बाद कांग्रेस ने गठबंधन का ऐलान किया, लेकिन फिर डामोर ने नाम वापस नहीं लिया। डामोर के साथ ही पार्टी ने बागीदौरा विधानसभा सीट पर उप-चुनाव में कांग्रेस प्रत्याशी कपूर सिंह को भी 6 साल के लिए निष्कासित कर दिया। उन्होंने भी नामांकन वापस नहीं लिया। तकनीकी तौर पर ये कांग्रेस के उम्मीदवार रहेंगे। बीएपी ने दावा किया कि बीजेपी उम्मीदवार महेंद्रजीत सिंह मालवीया कांग्रेस उम्मीदवारों के नामांकन वापस नहीं होने देने का दबाव बना रहे थे।


बांसवाड़ा-डूंगरपुर में कांग्रेस कार्यकर्ताओं में भी आलाकमान के फैसले के बाद दिखी नाराजगी
इससे पहले कांग्रेस जिलाध्यक्ष रमेश चंद्र पंड्या ने कहा था कि गठबंधन को लेकर हम तक सूचना भी सोशल मीडिया पोस्ट के जरिए मिली। लंबे समय से गठबंधन के प्रयास चल रहे थे। इस बीच नामांकन भरने की भी बात आई और नामांकन भरा। अब फिर गठबंधन का आलाकमान ने फैसला लिया है तो निश्चित रूप से हमें यह मानना ही है। हालीांकि बीएपी प्रवक्ता प्रोफेसर जितेंद्र मीणा ने सोशल मीडिया पर लिखा था- बागीदौरा उप चुनाव में कांग्रेस के उम्मीदवार कल रात से गायब थे। बीजेपी उम्मीदवार महेंद्र जीत मालवीया की तरफ से नॉमिनेशन वापस नहीं लेने का दबाव था। अब देखते हैं कांग्रेस कैसे इस चुनौती से निपटेगी। कैसे गठबंधन धर्म निभाएगी। रविवार को कांग्रेस के प्रदेश प्रभारी सुखजिंदर सिंह रंधावा ने बीएपी के साथ दोनों सीटों (बांसवाड़ा और बागीदौरा) पर गठबंधन की घोषणा की थी। रंधावा ने एक्स पर पोस्ट लिखकर दोनों सीटों पर बीएपी को समर्थन देने की घोषणा की तो राजकुमार रोत (बीएपी) ने गठबंधन का स्वागत किया। 

आलाकमान ने जनहित में लिया फैसला, कांग्रेस कमजोर नहीं होगी: डोटासरा
भारतीय आदिवासी पार्टी(बीएपी) को समर्थन देने को लेकर प्रदेश कांग्रेस के अध्यक्ष गोविंद सिंह डोटासरा ने कहा कि इस सीट पर पार्टी आलाकमान ने जनहित में बहुत सोच-समझकर फैसला लिया है। डोटासरा ने सोमवार को पीसीसी में मीडिया से बातचीत में कहा कि लोकतंत्र को बचाने के लिए हमने इंडी गठबंधन के तहत सभी पार्टियों को जोडक़र लड़ाई शुरू की है। बांसवाड़ा-डूंगरपुर में भी गठबंधन के सामूहिक प्रयासों से ये सीट हम जीतेंगे। प्रदेश की तीन सीटों पर गठबंधन किया है। उन्होंने कहा कि बड़े लक्ष्य को हासिल करने के लिए छोटे-मोटे स्वाद छोडऩे पड़ते हैं, इसलिए हमने समान विचारधारा वालों को गठबंधन में साथ लिया है। डोटासरा ने कहा कि हनुमान बेनीवाल भी भाजपा विचारधारा के विरोधी हैं और किसानों के हक की लड़ाई के लिए हमारे साथ आना चाह रहे थे तो हम साथ क्यों नहीं लेंगे।