रची जा रही थी भारत को बदनाम करने की साजिश..अब कनाडा की ‘खालिस्तानी सरकार’ से रिश्ते खत्म!

बेतुकी बयानबाजी करके बुरी तरह फंसेगा कनाडा, भारत ने कनाडाई राजदूत को किया तलब; अपने उच्चायुक्त को भी वापस बुलाया, आखिरकार भारत सरकार ने अपनाया सख्त रवैया


भारतीय उच्चायुक्त को सिख अलगाववादी हरदीप सिंह निज्जर की कथित हत्या की जांच से जोडऩे का मामला, भारत पर बार-बार झूठे आरोप मढ़ती रही है कनाडा सरकार

नई दिल्ली। खालिस्तानियों की सरपरस्त बन रही कनाडा की जस्टिन ट्रूडो सरकार ने अपनी हदें पार कर दी है जिसके बाद अब भारत और कनाडा के रिश्ते टूट की कगार पर पहुंचे गए है। दरअसल, भारत ने कनाडा के ताजा आरोपों को बेतुका करारा दिया है। इसी के साथ भारत ने कनाडा के राजदूत को तलब भी किया है। कनाडा ने आरोप लगाया कि इंडियन हाई कमिशनर और अन्य डिप्लोमेट जांज से जुड़े एक मामले में ‘पर्सन ऑफ इंटरेस्ट’ हैं। भारत ने कनाडा के इस डिप्लोमेटिक कम्युनिकेशन को खारिज कर दिया। कनाडा ने ओटावा में भारतीय उच्चायुक्त को सिख अलगाववादी हरदीप सिंह निज्जर की कथित हत्या की जांच से जोड़ा था।
विदेश मंत्रालय ने जारी एक बयान में कहा,‘ हमें कल कनाडा से एक डिप्लोमेटिक कम्युनिकेशन प्राप्त हुआ, जिसमें कहा गया कि भारतीय उच्चायुक्त और अन्य राजनयिक उस देश में जांच से संबंधित मामले में ‘पर्सन ऑफ इंटरेस्ट’ हैं। भारत सरकार इन बेतुके आरोपों को दृढ़ता से खारिज करती है और इन्हें ट्रूडो सरकार के राजनीतिक एजेंडे का हिस्सा मानती है, जो वोट बैंक की राजनीति पर केंद्रित है।
बयान में कहा गया, ‘चूंकि प्रधानमंत्री ट्रूडो ने सितंबर 2023 में कुछ आरोप लगाए थे लेकिन हमारी ओर से कई अनुरोधों के बावजूद, कनाडा सरकार ने भारत सरकार के साथ सबूतों को साझा नहीं किया गया। एक बार फिर से बिना किसी तथ्य के दावे किए गए हैं। इससे कोई संदेह नहीं रह जाता है कि जांच के बहाने राजनीतिक फायदे के लिए भारत को बदनाम करने की एक जानबूझकर अपनाई रणनीति है। बता दें कि पर्सन ऑफ इंटरेस्ट का इस्तेमाल संयुक्त राज्य अमेरिका, कनाडा और अन्य देशों में किसी ऐसे व्यक्ति की पहचान करते समय किया जाता है जो संभवत: आपराधिक जांच में शामिल है, लेकिन जिसे गिरफ्तार नहीं किया गया या किसी अपराध का औपचारिक रूप से आरोप नहीं लगाया गया।

विदेश मंत्रालय ने कनाडाई पीएम जस्टिन ट्रूडो को बताया वोटबैंक की राजनीति से प्रेरित
विदेश मंत्रालय ने जस्टिन ट्रूडो की आलोचना करते हुए कहा, ‘उनके मंत्रिमंडल में ऐसे व्यक्ति शामिल हैं जो भारत के संबंध में चरमपंथी और अलगाववादी एजेंडे से खुले तौर पर जुड़े हुए हैं। दिसंबर 2020 में भारतीय आंतरिक राजनीति में उनके सीधे हस्तक्षेप से पता चला कि वे इस संबंध में किस हद तक जाने को तैयार हैं। उनकी सरकार एक राजनीतिक दल पर निर्भर थी, जिसके नेता भारत के संबंध में खुले तौर पर अलगाववादी विचारधारा का समर्थन करते हैं, जिससे मामला और बिगड़ गया।’ विदेश मंत्रालय ने बताया कि यह रेखांकित किया गया कि उग्रवाद और हिंसा के माहौल में ट्रूडो सरकार के कार्यों ने उनकी सुरक्षा को खतरे में डाल दिया है। 

कनाडा के उच्चायुक्त को विदेश मंत्रालय ने किया तलब, अपना राजदूत भी वापिस बुलाया
ट्रूडो सरकार की आलोचना करने के बाद कनाडाई उप उच्चायुक्त स्टीवर्ट व्हीलर को तलब किया है। उल्लेखनीय है कि पिछले साल सितम्बर में कनाडा के प्रधानमंत्री जस्टिन ट्रूडो की ओर से भारतीय मूल के कनाडाई नागरिक हरदीप सिंह निज्जर की हत्या में भारतीय एजेंटों की संभावित संलिप्तता के आरोप लगाने के बाद दोनों देशों के बीच संबंध गंभीर तनाव में चल रहे हैं। बयान के अनुसार, दिसंबर 2020 में भारतीय आंतरिक राजनीति में टूड्रो के साफ दखल ने दिखा दिया कि वे इस मामले में कितनी दूर जाने को तैयार हैं। उनकी सरकार एक ऐसे राजनीतिक दल पर निर्भर थी, जिसका नेता भारत के खिलाफ खुलेआम अलगाववादी विचारधारा का समर्थन करता है, जिससे स्थिति और बिगड़ गई।

खालिस्तानियों और अलगाववादियों की मनमानी को अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता बताता रहा है कनाडा

विदेश मंत्रालय के अनुसार कनाडा सरकार द्वारा उन लोगों का समर्थन किया जा रहा है जो अलगाववादी है और भारतीय नेताओं को जान से मारने की धमकियां देते रहे है। इन सभी गतिविधियों को अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता के नाम पर उचित ठहराया गया है। कनाडा में अवैध रूप से प्रवेश करने वाले कुछ व्यक्तियों को नागरिकता देने के लिए तेजी से काम किया गया है। कनाडा में रहने वाले आतंकवादियों और संगठित अपराध के नेताओं के संबंध में भारत सरकार की ओर से कई प्रत्यर्पण अनुरोधों की अनदेखी की गई है। कनाडाई राजनीति में विदेशी हस्तक्षेप को नजरअंदाज करने के लिए उनकी आलोचना की गई और अब उनकी सरकार ने जानबूझकर भारत को इसमें घसीटा है ताकि नुकसान को कम किया जा सके। 

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