जेडीए जोन-7 के अधिकारियों का मिला साथ..भूमाफिया बेलगाम; इस बार तो कर दी हद पार!
जेडीए जोन-7 के ग्राम हरनाथपुरा में कृषि भूमि खसरा नं. 112/1 में 4 दुकानों के अवैध निर्माण का मामला, कृषि भूमि पर भूमाफियाओं ने हर नियम को रखा तांक पर
हद तो तब हुई जब कोर्ट के आदेशों के बाद भी जेडीए के जिम्मेदार कर रहे कार्रवाई से परहेज, नोटिस जारी कर मामले की कर दी इतिश्री, बड़े स्तर पर जारी है यह काला कारोबार
जयपुर। एक ओर राजधानी और आस-पास के क्षेत्र में अवैध निर्माण की बाढ़ आ रही है और जेडीए द्वारा इन पर लगाम लगाने के बड़े-बड़े दावे भी किए जा रहे है लेकिन जमीनी हकीकत इससे बिल्कुल विपरीत नजर आ रही है। स्थिति यह है कि कोर्ट द्वारा कृषि भूमि पर जिस निर्माण को अवैध और नियमों के विरुद्ध माना गया और जेडीए द्वारा इसकी पालना में नोटिस भी जारी कर दिया गया लेकिन कार्रवाई करने से जेडीए अधिकारी बच रहे है। अब स्थिति यह है कि अवैध निर्माण धड़ल्ले से जारी है और अधिकांश काम पूरा भी हो चुका है लेकिन जेडीए के अफसर अब तक कोई कार्रवाई नहीं कर सके है। ऐसे में भूमाफिया और जेडीए अधिकारियों की सांठ-गांठ से इंकार नहीं किया जा सकता है।
पूरा मामला है जेडीए जोन-7 के ग्राम हरनाथपुरा में कृषि भूमि खसरा नं. 112/1 में हो रहे दुकानों के अवैध निर्माण का। इस कृषि भूमि पर भूमाफिया नानूराम शर्मा पुत्र रामू उर्फ रामलाल शर्मा और लल्लूराम शर्मा पुत्र रामू उर्फ रामलाल शर्मा द्वारा धड़ल्ले से कृषि भूमि पर बिना स्वीकृति और बिना भूमि रूपान्तरण अवैध व अनाधिकृत रूप से दुकानों का निर्माण किया जा रहा है। इस अवैध निमार्ण की शिकायत जब जेडीए में की गई तो अवैध निर्माण कर्ता के विरुद्ध धारा 32, 33 जेडीए एक्ट के तहत नोटिस जारी किया और मामला अपील न्यायालय के समक्ष प्रस्तुत हुआ। इस पर न्यायालय द्वारा किसी तरह का कोई अवैध निर्माण नहीं किए जाने एवं किसी तरह की व्यावसायिक गतिविधि नहीं किये जाने के आदेश जारी किए गए। लेकिन, इसके बाद भी भूमाफिया बाज नहीं आए और धड़ल्ले से अवैध दुकानों का निर्माण होता रहा। हद तो तब हो गई जब यह सब जेडीए जोन-7 के जिम्मेदार अधिकारियों की नाक के नीचे होता रहा और अधिकारी सोते ही रहे।
कोर्ट के आदेशों के बाद भी जेडीए के जिम्मेदारों के कानों नहीं रेंगी जूं
न्यायालय के आदेश के बाद भी इस अवैध निर्माण पर कोई कार्रवाई नहीं की गई। जेडीए के संबंधित कर्मचारियों और अधिकारियों को इस बाबत कई बार शिकायत की जा चुकी है लेकिन उक्त अवैध निर्माण के हटाने के संबंध में कोई कार्रवाई नहीं की गई। जबकि जेडीए के जिम्मेदारों का विधिक दायित्व न्यायालय के आदेश की अक्षरश: पालना करना एवं जेडीए रीजन में हो रहे अवैध निर्माण एवं अतिक्रमण को हटाना है। ऐसी स्थिति में इस पूरे मामले में बड़े स्तर पर मिलीभगत के संकेत मिल रहे है। दरअसल, न्यायालय के आदेश के बाद अवैध निर्माणकर्ता द्वारा 15 दिवस में जवाब प्रस्तुत करना था एवं मौके पर किसी तरह का कोई निर्माण नहीं करना था लेकिन मौके पर लगातार अवैध व अनाधिकृत निर्माण जारी था।
जेडीए ने दिया था 7 दिन का नोटिस, फिर भी होता रहा अवैध निर्माण; कार्रवाई गौण
जानकारी के अनुसार प्रकरण की शिकायत प्राप्त होने के बाद जेडीए द्वारा मौका देखा गया और पाया गया कि मौके पर ग्राम हरनाथपुरा में कषि भूमि पर जविप्रा की बिना स्वीकृति व अनुमति एवं बिना भू-रूपान्तरण करवाए बिना ही खसरा नंम्बर 112/1 हरनाथपुरा, निवारू रोड पर 4 दुकानों का निर्माण व्यावसायिक प्रयोजनार्थ किया जा रहा था। इसके बाद जविप्रा एक्ट 1982 की धारा 32, 33 का नोटिस जारी किया गया था। जारी नोटिस के विरूद्ध न्यायालय अपीलीय अधिकरण, जविप्रा, जयपुर में अपील दायर की गई, जिसमें न्यायालय द्वारा नोटिस का जवाब प्रस्तुत किया गया था। लेकिन, यह सब फर्जी साबित हुआ। 4 अवैध दुकानों को हटाने के लिए सात दिनों का समय दिया गया था लेकिन हालात जस के तस रहे।