सरदारशहर तेरापंथ भवन के पिछे गोठी नोहरे में श्रीराम कथा के छठे दिन मुख्य यजमान लक्ष्मणराम टाक ने परिवार सहित व्यास पीठ की पूजा अर्चना की । कथा व्यास संत शंभूशरण लाटा ने कैकयी द्वारा राजा दशरथ से राम को वनवास और भरत को राजगद्दी मांगना,राम का वनवास गमन, सीता हरण, जटायु प्रसंग व भक्त शबरी माता का प्रसंग आदि का वर्णन सुनकर श्रोता भाव विभोर हो गए।संत ने कहा कि प्रभु श्रीराम दशरथ के चार पुत्र में सबसे बड़े पुत्र थे। श्री राम अपने पिता की हर बातों का पालन करते थे। चारों भाइयों में सबसे बड़े होने के नाते राम को राजपाठ का भी बहुत ज्ञान था। हर समय अपने पिता दशरथ का हाथ बंटाते थे।जैसे-जैसे प्रभु राम बड़े हुए तो दशरथ के मन में एक ही बात थी, कि मैं अपने जीते-जीते राम को आयोध्या का राजा बना कर राज तिलक कर दूं। राजा दशरथ ने अपने राज्य में युवराज राम को अपना उत्तराधिकारी घोषित कर दिया। पूरी अयोध्या नगरी प्रभु श्रीराम के राज तिलक को उतावली थी। इसी बीच माता कैकई ने राजा दशरथ से वरदान मांग लिए और श्रीराम को वनवास भेजने व भरत का राज तिलक करने की बात कही। कैकयी के आगे विवश राजा ने राज तिलक के स्थान पर प्रभु श्रीराम को 14 वर्ष का वनवास दे दिया। श्रीराम बिना कुछ सवाल किए अपने पिता राजा दशरथ की बातों को सुनकर वनवास के लिए जाने लगे। इसी बीच माता सीता और भाई लक्ष्मण भी उनके साथ वनवास के लिए निकल पड़े। अपने युवराज को वनवास जाता देख पूरी अयोध्या रो पड़ी। आज के युवाओं को भी प्रभु श्री राम की कथा से प्रेरणा लेते हुए माता पिता की आज्ञा का पालन करने का संकल्प लेना चाहिए। उन्होंने कहा कि कलयुग के बच्चे माता पिता की बातों को सुनना तो दूर उन्हे वृद्धाश्रम में भेज रहे हैं।कथा में सैन समाज के अध्यक्ष धनराज भाटी, गोपाल मारू अध्यक्ष नगरपालिका राजलदेसर, मुकेश मारू, कुलदीप स्वामी,राजेश गर्ग,जेईएन हर्षित बशीर राजलदेसर, पुरूषोत्तम जैसनसरिया,अमरीदेवी, भंवरलाल, लक्ष्मीनारायण, धनराज, इन्द्रचन्द, संतोष, रमेश,रवि, आकाश, तेजपाल चौधरी सहित बड़ी संख्या में महिलाओं, शहर गणमान्य लोगो और श्रद्धालुओं की उपस्थिति रही।
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