इस बार सर्दी ने छुड़ा दिए किसानों के पसीने..दिसम्बर ने दिया बड़े नुकसान का ‘रेड अलर्ट’!

दिसंबर का एक सप्ताह बीता लेकिन नहीं छूटी ’धूजणी’, पारा नहीं गिरा तो होगा बड़ा नुकसान, बढ़े पारे ने दिया फसलों को झटका

आगे भी तापमान नहीं गिरा तो रबी सीजन पर होगा सीधा असर, सबसे ज्यादा नुकसान गेहूं और चने की फसल पर

जयपुर। मानूसन के दौरान इस साल गिरी भारी बारिश ने प्रदेश में सालों से सूखे ताल-तलैये भी भर दिए। इसके बाद उम्मीद थी कि सर्दी भी प्रदेश में कड़ाके की पड़ेगी लेकिन ऐसा हुआ नहीं है। दिसंबर का पहला सप्ताह बीत गया है और सर्दी के तेवर ढीले पड़े हैं। पिछले करीब 20 दिनों में एक-दो दिनों को छोड़ दिया जाए तो तापमान सामान्य से अधिक ही रहा है। आगे भी इस सीजन में ठंड कम पडऩे के आसार जताए जा रहे हैं और यही कारण है कि सर्दी ने किसानों को ‘रेड अलर्ट’ दे दिया है। दरअसल, अगर अगले एक दो सप्ताह में भी सर्दी के तेवर तीखे नहीं हुए तो फसलों को भारी नुकसान होना तय है। ऐसा एक-दो नहीं बल्कि रबी की सभी फसलों को के साथ होने वाला है। सबसे ज्यादा नुकसान गेहूं और चने की फसल पर पड़ेगा। मौसम के इन हालातों को देखते हुए प्रदेश के कृषि वैज्ञानिकों और कृषि विशेषज्ञों ने भी किसानों के लिए एडवाइजरी जारी करनी शुरू कर दी है। कृषि विशेषज्ञों की मानें तो सर्दी नहीं पडऩे से गेहूं की फसल में फोर्स मेच्युरिटी होने से गेहूं का दाना छोटा रहने की संभावना है। वहीं सरसों, मटर में मोइला और चने की फसल में रोग लगने की आशंका व्यक्ति की गई है। इससे भी फसल की पैदावार पर विपरीत असर पड़ेगा। पैदावार कम होने से किसानों को आर्थिक नुकसान होगा। रबी सीजन की फसल के अनुरूप अगर तापमान नहीं होता है तो पौधों की जड़ो में भी वृद्धि रुक जाती है, जिसकी वजह से पौधा पोषण लेना बंद कर देगा और फसल की पैदावार प्रभावित हो जाएगी।


बेहद खराब है मौसम के मिजाज, अब मावठ का बेसब्री से इंतजार
प्रदेश में इन दिनों मौसम के मिजाज खराब ही हैं। मानसून समाप्त होने के बाद से प्रदेश में बिलकुल बारिश नहीं हुई है। जबकि अब तक सामान्यतौर पर मावठ के एक-दो दौर हो जाते हैं। बारिश नहीं होने के कारण मौसम की नमी खत्म हो गई है और तापमान के सामान्य से ज्यादा रहने का ये भी एक बड़ा कारण है। इसके कारण जहां एक तरफ मौसमजनति रोगों की मार ज्यादा पडऩे लगी है। वहीं सबसे ज्यादा असर प्रदेश के किसानों पर पडऩे की आशंका खड़ी हो गई है। दरअसल, कम सर्दी में बीज सही ढंग से अंकुरित नहीं होंगे और पैदावार प्रभावित होगी। अमूमन नवंबर के मध्य तक प्रदेश में सर्दी असर दिखाने लगती है। लेकिन इस बार हालात बिलकुल विपरीत हैं। सिर्फ सुबह और शाम को ही हल्की सर्दी का अहसास होता है, गर्म कपड़े अभी तक भी नहीं निकले हैं। बारिश के अभाव में वातावरण में नमी नहीं है। इस वजह से ना कोहरा छाया है और ना मावठ हुई, जबकि रबी की फसल को ये लाभ देने वाले हैं। 

मौसम विभाग ने भी चेताया, इस बार शीतलहर के दिन रहेंगे कम

मौसम विभाग की मानें तो अगले सप्ताह से प्रदेश में सर्दी अपना असर दिखाना शुरू करेगी। तापमान में 2 से 4 डिग्री तक की गिरावट आ सकती है। इसके अलावा आगामी दिनों में पश्चिमी विक्षोभ के असर से राज्य में सर्दी का असर और तेज होने की संभावना है। दिसंबर के दूसरे सप्ताह से प्रदेश के लगभग सभी जिलों के तापमान में गिरावट देखने को मिलेगी, जिससे कंपकंपी वाली सर्दी महसूस होगी। वहीं दिसंबर के तीसरे और चौथे सप्ताह से कड़ाके की सर्दी का दौर शुरू हो जाएगा। मौसम विभाग के अनुसार इस बार राजस्थान में दिसंबर के मध्य से जनवरी तक कड़ाके की सर्दी रहने वाली है। इसके बाावजूद इस बार शीतलहर के दिन पिछले सालों की तुलना में कम रहने की आशंका जताई गई है।