ब्रिगेडियर महिंद्रा आर्य
आजाद हिंद फौज
तीसरा विश्व युद्व जो की मनोवैज्ञानिक और आर्थिक रूप से लड़ा जा रहा है जिसके अंतर्गत निजीकरण डिजिटलीकरण का प्रभाव देखने को मिल रहा है। अब तक के बानी समस्त सरकार है जिनके द्वारा बाहरी आतंकवाद के लिए कार्य किया जा रहा है। जबकि राष्ट्र में आंतरिक आतंकवाद को खत्म करने की दिशा में कोई भी सकारात्मक कदम नहीं उठाया गया है। भारत की सरकारों द्वारा निर्धारित की गई कुशल अर्ध कुशल व सहायक मजदूरों की मजदूरी वही वास्तविकता में आज तक इन्हें नहीं मिल पाई। इसी व्यवस्था के अंतर्गत न्यायपालिकाओं के द्वारा दिए गए अनेक निर्णय जिनकी पालना ही नहीं हो पाई। अभी वर्तमान में हम देख रहे हैं की राष्ट्र में एक आवाज सुनाई देती है, संविधान बचाना है परंतु यह राजनीतिक दल यह नहीं बताते संविधान बचाना किस होता है, संविधान को खतरा किसे होता है अगर वास्तविकता के धरातल पर देखें प्रशासन को संचालित करने वाली व्यवस्था शासन की व्यवस्था होती है। अनेक समाचार पत्रों के माध्यम से यह देखने को मिलता है शासन किस प्रकार प्रशासन को संचालित करता है जिसके अंतर्गत राष्ट्रीय स्तर के पदाधिकारी भी नेताओं और मंत्रियों के सेवाओं में किस स्तर तक कार्य करते हैं अनुच्छेद 71 के अंतर्गत कर्तव्य के विरुद्ध आचरण करने पर सेवा मुक्ति होनी चाहिए वास्तविकता के धरातल पर देखें तो कर्मचारी और अधिकारियों के द्वारा आने कैसे उदाहरण हो जहां कर्तव्य के विरुद्ध आचरण किए जाते हैं परंतु आज तक अनुच्छेद 71 के अंतर्गत सेवा मुक्ति जैसे सकारात्मक कदम नहीं उठाए गए वह अनुच्छेद 41 का सार्वजनिक रूप से हनन होता है सड़क के किनारे फुटपाथ पर आम आदमी को संवैधानिक रूप से प्राप्त अधिकार भरण पोषण का अगर फुटपाथ पर कोई व्यक्ति अपना भरण पोषण कर रहा होता है उसका कैसे शोषण होता है यह वास्तविकता के धरातल पर अचानक निरीक्षण कर कर देखा जा सकता है किसी व्यवस्था के अंतर्गत वित्तीय प्रबंधन का कैसे दुरुपयोग होता है यह बहुत आसानी से देखा जा सकता है तो इन सब विडंबनाओ से मुक्त होने के लिए भ्रष्टाचार मिलावट खोरी रिश्वतखोरी जो इसके अभिनेत्र के अंतर्गत हैं संचालित उसे पर राष्ट्रीय द्रोह घोषित कर मृत्युदंड का प्रावधान आना चाहिए पर ऐसा न होकर कुछ समय पूर्व राजस्थान में धर्मांतरण को लेकर कैबिनेट में प्रावधान ले गए यही अभी जातिगत जनगणना को कैबिनेट के द्वारा पारित किया गया जातियों के आधार पर क्या एकता और अखंडता का विभाजन नहीं ऐसे अनेक प्रश्न चिन्ह है जो इस व्यवस्था को अंकित करते हैं इसी दिशा में स्वतंत्र राष्ट्र सेवा आजाद हिंद फौज के द्वारा इसका विरोध कर कर संवैधानिक रूप से अनुच्छेद 32 के अंतर्गत सर्वाेच्च न्यायालय में जनत याचिका लगाई गई अत्यंत दुर्भाग्य की बात है यह कार्य उन राजनीतिक दलों को करना चाहिए थाजो अपने आप को राष्ट्रीय भक्ति राष्ट्रवादी होने का दावा करते हैं परंतु आज तक किसी ने भी ऐसा सकारात्मक कदम नहीं उठाया विवश होकर अवतनिक रूप से कार्य कर रहे राष्ट्रीय भक्तों के द्वारा स्वतंत्र राष्ट्र सेवा के रूप में आजाद हिंद फौज इस दिशा में काम कर रही है। देश के समस्त राष्ट्रवादी सुभाषवादी और राष्ट्रीय भक्तों को आवाहन करती है कम से कदम मिलाकर राष्ट्र को समृद्धि शैली बनाएं। भारत को गणतंत्र से सच्चा लोकतंत्र स्थापित करें । भारत को गणराज्य से सब राज्य बनाने की दिशा में कार्य करें। व्यक्ति की आजादी ना हो देश की आजादी हो। उसी दिशा में कार्य करें।
. ब्रिगेडियर महिंद्रा आर्य
आजाद हिंद फौज जय हिंद जय भारत जय सुभाष