जिम्मेदारों की मेहरबानी पड़ रही नियम कायदों पर भारी, जिला प्रशासन के अधिकारी शिकायतें सुनने तक को तैयार नहीं, टाल मटोल कर मामले को दबाने का प्रयास
आमेर तहसील के ग्राम दौलतपुरा में चलती है मैसर्स निर्मल प्रोपकान प्रा. लि. की मनमर्जी, सरकारी जमीन पर कब्जे के बाद भी सरकारी कारिंदें मौन; मिलीभगत पर उठने लगे सवाल
जयपुर। राजधानी में अगर सरकारी जमीन पर कहीं कब्जा हो रहा हो तो आपको जिला प्रशासन के अधिकारियों को शिकायत नहीं करनी चाहिए। क्योंकि सिर्फ ये जानकारी काफी नहीं है कि किस खसरे पर कब्जा हुआ और किसने किया। साहब को ये जानकारी भी आपको ही देनी होगी कि कब किया, कितनी जमीन पर किया। कुल मिलाकर आपकी शिकायत तभी गंभीरता से ली जाएगी, जबकि आपके पास जमीन पर कब्जेदारों की पूरी जन्मपत्री हो। अन्यथा ये कहकर टाल दिया जाएगा कि जब पूरी जानकारी हो तभी बात करना। यानि किसी भी प्रकरण से जुड़े तथ्यों की प्रारंभिक जानकारी प्रशासन के लिए काफी नहीं है। तमाम जानकारी जब शिकायतकर्ता उपलब्ध करवाएगा तभी उसकी शिकायत को सुना जाएगा। मामला जुड़ा है राजधानी के निकट आमेर तहसील के ग्राम दौलतपुरा में धड़ल्ले से हो रहे सरकारी जमीन पर कब्जे से।
मौके पर मैसर्स निर्मल प्रोपकान प्रा. लि. के नाम से कंपनी के निदेशकों ने जेडीए की जमीन पर कब्जा कर लिया। मौके पर मौजूद नाले को पाटकर समतल कर दिया और उस पर सडक़ डालने की तैयारी कर ली। जमीन पर एसडीएम कोर्ट और रेवेन्यू बोर्ड के स्टे के बावजूद अपनी जमीन का बिना भू रूपांतरण करवाए दिन-रात काम चलाया जा रहा है। हर दिन अपने स्वामित्व की जमीन के आस-पास स्थित सरकारी जमीन पर अतिक्रमण बढ़ाया जा रहा है। इसके बाद भी मजाल है जो कोई सरकारी कारिंदा मौके पर काम रूकवाने पहुंच जाए। क्योंकि कंपनी के निदेशकों में एक नाम आदर्श नगर से विधायक रफीक खान का भी है।
अक्षर एन्क्लेव की शिकायत सुनते ही उखड़ गए एसडीएम
इस मामले में अहम बात ये है कि जयपुर जिला प्रशासन के जिन अफसरों की दस्तावेजी कार्रवाई के बाद इस पूरे गोरखधंधे का खुलासा हुआ, अब वो ही इस मामले से पल्ला झाड़ रहे हैं। इस जमीन पर आमेर एसडीएम ने धारा 177 की कार्रवाई का नोट लगा रखा है। इसके साथ ही मौके पर तथा राजस्व रिकॉर्ड में यथास्थिति बनाए रखने के आदेश भी जारी कर रखे हैं। लेकिन अब स्थिति अलग है। मामले की जानकारी के लिए जब हमारा समाचार की तरफ से एसडीएम आमेर बजरंग लाल स्वामी से बात की गई तो पहले तो उनका स्वाभाविक सवाल था कि ग्राम दौलतपुरा के किन खसरा नंबरों से जुड़ा मामला है। इसके बाद जब उन्हें खसरा नंबरों की जानकारी दी गई तो उन्होंने उन खसरा नंबरों के रकबे की जानकारी मांग ली। कह दिया कि रकबे की जानकारी क्यों नहीं है आपको। जब जानकारी हो तभी बात करना। अब सवाल ये उठता है कि जमीन के स्वामित्व की पहचान उसके खसरा नंबरों से होगी या रकबे से।
करीब 30-35 बीघा पर आवासीय योजना की तैयारी
जयपुर-दिल्ली हाईवे पर ग्राम दौलतपुरा तहसील आमेर में करीब 30 से 35 बीघा भूमि पर निजी खातेदारी एवं जेडीए की सवाई चक भूमि, गैर मुमकिन नाले व गैर मुमकिन रास्ते की भूमि को समतल कर ’अक्षर एन्क्लेव’ नाम से आवासीय योजना विकसित की जा रही है। मामला हाईप्रोफाइल है इसलिए अब प्रशासन ने मामले से चुप्पी साध ली है। मौके पर काम तेज गति से जारी है। जमीन की जेसीबी चलाई जा रही हैं और जमीन की लेवलिंग की जा रही है और सडक़ डालने की तैयारी है।
स्टे के बावजूद लगातार बढ़ रहा कब्जा, जेडीए अधिकारी भी नींद में
जबकि इस जमीन को लेकर रेवेन्यू बोर्ड का स्टे है, एसडीएम कोर्ट का स्टे है। एसडीएम स्तर पर धारा 177 की कार्रवाई की जा चुकी है। इतना ही नहीं अपनी काश्त की जमीन के अलावा मौके पर कंपनी के निदेशकों की शह पर आस-पास के खसरों में स्थित जेडीए की जमीन पर भी कब्जा कर लिया गया है। साथ ही इस जमीन के बीच में से एक नाला निकल रहा था, जिसके संबंध में अब्दुल रहमान प्रकरण का नोट लगा हुआ है और रेफरेंस भी पेश किया जा चुका है। उसे भी पाट कर कंपनी निदेशकों ने अपनी जमीन में मिला लिया है।
मौके पर इन खसरों पर चल रहा काम
कंपनी के नाम दर्ज खसरा नंबर- 1054/1496, 1055, 1056/1, 1058/1, 1059, 992/1494, 1060, 1061, 1062, 1063, 1064, 1064/2, 1064/5,
जेडीए के नाम दर्ज खसरा नंबर-1065, 1067, 1057
बिना भू रूपातंरण करवाए आवासीय योजना लाने की तैयारी
दरअसल, कंपनी ने उक्त खसरों की भूमि का आज दिनांक तक भी भू रूपांतरण नहीं करवाया है। खातेदारी भूमि का आवासीय में बिना भू रूपांतरण करवाए कॉलोनी काटी नहीं जा सकती है। यही कारण कि है कि मौके पर काम शुरू करने से पहले भूमि का भू रूपांतरण करवाने के लिए कंपनी को बार-बार नोटिस जारी किए गए। इसके बाद भी जब कंपनी ने इसकी अनदेखी की तो हल्का पटवारी की रिपोर्ट के आधार पर एसडीएम आमेर ने धारा 177 की कार्रवाई कर दी। इसके बाद भी मौके पर अवैध तरीके से काम किया जा रहा है।
जेडीए के इन खसरों पर कब्जा, निर्माणकर्ता पूरी तरह बेखौफ
निर्माणकर्ता कितने बेखौफ हैं इसका अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि एक तरफ तो जमीन का बिना भू रूपांतरण करवाए काम कर रहे हैं। वहीं दूसरे इस काम की आड़ में जेडीए के नाम दर्ज जमीन पर भी कब्जा कर लिया गया। मौके पर कंपनी निदेशक के रसूखों की आड़ में जेडीए के नाम दर्ज खसरा नंबर 1066 और 1065 पर भी कब्जा कर लिया गया है। खसरा नंबर 1066 खातेदारी में गैर मुमकिन नाला के नाम से दर्ज है। इसे पाटकर समतल कर दिया गया है। वहीं खसरा नंबर 1065 सिवाय चक है और जेडीए के नाम से दर्ज है। इस पर भी जेसीबी चलाकर अपने स्वामित्व की जमीन में शामिल कर लिया गया है। इसके अलावा खसरा नंबर 1057 जमाबंदी में गैर मुमकिन रास्ते के नाम से दर्ज है। इसे भी कब्जे में लेकर इस पर लेवलिंग कर सडक़ तैयार की जा रही है।
इनका कहना है
मामले की जानकारी मिलते ही कार्रवाई की थी। 3-4 बार निर्माणकर्ताओं को पाबंद भी किया था। जेडीए की जमीन पर भी कब्जा है, उस पर जेडीए कार्रवाई करे। 13 जनवरी से पटवारियों की हड़ताल चल रही है। इसलिए उसके बाद मौका नहीं देखा है।
मुकेश मीणा, हल्का पटवारी, ग्राम दौलतपुरा