डोनाल्ड ट्रंप ने 47वें राष्ट्रपति के रूप में अब दूसरी बार संभाला पदभार, 100 बड़े फैसलों के जरिए निभाएंगे वादा, भारत के लिए भी ट्रंप का यह कार्यकाल काफी अहम
विदेश मंत्री एस जयशंकर सहित दुनियाभर की हस्तियों ने की डोनाल्ड टं्रप के शपथ ग्रहण में शिरकत, पूर्व राष्ट्रपति जो बाइडेन ने कार्यकाल के आखिरी दिन बड़े फैसले लेकर गर्मा दी सियासत
वॉशिंगटन। अमेरिका के इतिहास के लिए बीती रात काफी अहम साबित हुई। डोनाल्ड ट्रंप ने दूसरी बार अमेरिका के 47वें राष्ट्रपति के तौर पर पदभार ग्रहण किया। इसके लिए बड़े स्तर पर तैयारियां की गई थी। ट्रंप का दूसरा कार्यकाल भारत के लिए भी काफी महत्वूपर्ण होने वाला है। उनका शपथ ग्रहण समारोह यूएस कैपिटल बिल्डिंग के अंदर स्थानीय समयानुसार दोपहर 12 बजे और भारतीय समय के मुताबिक रात 10 बजकर 30 मिनट पर शुरू हुआ। ट्रम्प के शपथ ग्रहण समारोह में दुनियाभर से कई खास मेहमान शामिल हुए। इनमें भारतीय विदेश मंत्री एस जयशंकर भारत का प्रतिनिधित्व रहा। अन्य वैश्विक मेहमानों में चीन के उपराष्ट्रपति, जापान और ऑस्ट्रेलिया के विदेश मंत्री समारोह में शामिल हुए।
ट्रंप ने राष्ट्रपति चुने जाने के बाद ही कई वादे किए थे। फिर चाहे वह रूस-यूक्रेन संघर्ष को इसके अंत तक ले जाने का वादा हो या हमास को इस्राइल से संघर्ष न रोक पाने की स्थिति में तबाह करने की धमकी देने का दावा। उनकी ऐसी ही कुछ बातों के बाद दुनिया में बड़े स्तर पर राजनीतिक बदलाव हुए हैं।
ट्रंप ने जिस वक्त राष्ट्रपति चुनाव जीता था, तब तक इस्राइल ने लेबनान में हिज्बुल्ला के साथ-साथ गाजा में हमास को भी नेस्तनाबूत कर दिया था। हालांकि, उसे बंधकों को छुड़ाने में सफलता नहीं मिल पाई थी। इसके बाद डोनाल्ड ट्रंप ने हमास को चेतावनी दी थी कि अगर वह इस्राइली बंधकों को जल्द नहीं छोड़ता है तो उसे अंजाम भुगतने होंगे। इसके बाद खबरें आईं कि इस्राइल और हमास के बीच संघर्षविराम पर गंभीरता से विचार चल रहा है। डोनाल्ड ट्रंप के शपथग्रहण से ठीक पहले इस्राइल और हमास के बीच 15 महीने से जारी युद्ध को रोकने पर सहमति बन गई। 19 जनवरी को युद्धबंदी के लिए प्रस्तावित समय से करीब तीन घंटे बाद संघर्षविराम लागू हो गया।
डोनाल्ड ट्रंप ने अमेरिका का राष्ट्रपति चुनाव जीतने के साथ ही पड़ोसी कनाडा पर निशाना साधना शुरू कर दिया था। ट्रंप ने ट्रूडो को कनाडा का गवर्नर तक बुलाया। अमेरिका की व्यापार युद्ध शुरू करने की धमकी दी। इसे लेकर पीएम ट्रूडो को कनाडा की घरेलू राजनीति काफी विरोध का भी सामना करना पड़ा। अंतत: अपनी ही सरकार की मंत्री और नेताओं के विरोध के बीच ट्रूडो ने प्रधानमंत्री पद से इस्तीफा देने का एलान कर दिया।
डोनाल्ड ट्रंप के चुने जाने के बाद पश्चिम एशिया में एक और बड़ा बदलाव देखा गया। दिसंबर में सीरिया में रूस समर्थित बशर अल-असद सरकार का पतन हो गया। हालांकि ट्रंप ने शपथ ग्रहण से पहले मेक अमेरिका ग्रेट अगेन रैली में अपने समर्थकों को संबोधित करते हुए कहा था- मैं यूक्रेन में युद्ध समाप्त कर दूंगा। उन्होंने पश्चिम एशिया में संघर्ष को रोकने और तीसरे विश्व युद्ध को टालने की भी बात कही थी। इस बीच माना जा रहा है ट्रंप के राष्ट्रपति पद ग्रहण करने के बाद वे रूस-यूक्रेन युद्ध को खत्म करने के लिए रूसी राष्ट्रपति से मुलाकात कर सकते हैं।
ट्रंप के शपथ ग्रहण समारोह में शामिल हुई दुनियाभर की कई हस्तियां
ट्रंप के शपथ ग्रहण समारोह में दुनिया के शीर्ष नेताओं के साथ ही उद्योग जगत के बड़े नाम शामिल हुए। ट्रंप के शपथ ग्रहण समारोह में भारत की तरफ से विदेश मंत्री एस जयशंकर शामिल हुए। इनके अलावा क्वाड देशों के विदेश मंत्री, अर्जेंटीना के राष्ट्रपति जेवियर मिलेई, हंगरी के राष्ट्रपति विक्टर ओर्बान भी शामिल हुए।चीन के राष्ट्रपति को भी न्योता भेजा गया था, लेकिन उनकी जगह चीन के उपराष्ट्रपति हान झेंग अमेरिका पहुंचे। इटली की पीएम जॉर्जिया मेलोनी भी ट्रंप के शपथ ग्रहण समारोह में शामिल हुई। मेटा सीईओ मार्क जुकबर्ग, माइक्रोसॉफ्ट के सीईओ सत्या नडेला और गूगल सीईओ सुंदर पिचई समेत कई तकनीकी दिग्गजों के भी ट्रंप के शपथ ग्रहण समारोह में शामिल हुए।
इंडियास्पोरा ने ट्रंप को बधाई दी, उम्मीद जताई कि अमेरिका-भारत संबंध और मजबूत होते रहेंगे
वैश्विक भारतीय समुदाय की गैर-लाभकारी संस्था इंडियास्पोरा ने सोमवार को अमेरिका के 47वें राष्ट्रपति के रूप में शपथ लेने पर डोनाल्ड ट्रंप को बधाई दी है और उम्मीद जताई है कि नए प्रशासन के तहत अमेरिका-भारत संबंध और मजबूत होते रहेंगे। इंडियास्पोरा के संस्थापक-अध्यक्ष एमआर रंगास्वामी ने कहा कि इंडियास्पोरा और भारतीय-अमेरिकी समुदाय की ओर से मैं अमेरिका के 47वें राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप को बधाई देना चाहता हूं। मुझे उम्मीद है कि अमेरिका में नए राजनीतिक माहौल के बीच अमेरिका-भारत संबंध और मजबूत होते रहेंगे। रंगास्वामी ने कहा कि राष्ट्रपति ट्रंप के पहले कार्यकाल के दौरान दोनों देशों के संबंध मजबूत हुए। अपने दूसरे कार्यकाल में ट्रंप ने नागरिक अधिकार, राष्ट्रीय सुरक्षा और प्रौद्योगिकी जैसे विभिन्न क्षेत्रों में कई भारतीय-अमेरिकियों को नियुक्त किया है। इनमें हरमीत कौर ढिल्लों, विवेक रामास्वामी, काश पटेल, जय भट्टाचार्य और श्रीराम कृष्णन प्रमुख हैं।
पहले ही दिन 100 के करीब कार्यकारी आदेश जारी करेंगे ट्रंप
ट्रंप पहले ही दिन करीब 100 कार्यकारी आदेश पर हस्ताक्षर करेंगे। जिन कार्यकारी आदेश पर हस्ताक्षर किए जाएंगे, उनमें आव्रजन, सीमा सुरक्षा, ऊर्जा और शासन से संबंधित आदेश शामिल हो सकते हैं। ट्रंप के एक करीबी नेता ने यह दावा किया है। ट्रम्प सरकार में व्हाइट हाउस डिप्टी चीफ ऑफ स्टा$फ पद की जिम्मेदारी संभालने जा रहे स्टी$फन मिलर ने बताया कि कार्यकारी आदेशों के तहत दक्षिणी सीमा पर आपातकाल घोषित करने, सीमाओं पर सैन्य तैनाती, तस्करों को विदेशी आतंकवादी संगठन घोषित किया जाएगा। साथ ही मेक्सिको में बने रहो नीति को बहाल करना, पकड़ो और छोड़ो नीति को समाप्त करना और ऊर्जा से संबंधित आपातकाल घोषित करना शामिल होगा।
ताकतवर राष्ट्रपति साबित होंगे ट्रंप,ु दुनियाभर की नजरें फैसलों पर टिकी
डोनाल्ड ट्रंप अपने पिछले कार्यकाल की तुलना में ज्यादा ताकतवर राष्ट्रपति साबित होंगे। इसकी वजह है अमेरिका में ट्रंप को मिल रहा भरपूर समर्थन। ट्रंप के फैसलों पर पूरी दुनिया की नजरें रहेंगी। खासकर टैरिफ को लेकर ट्रंप का रुख कैसा रहेगा, इसे लेकर पूरी दुनिया में आशंका का माहौल है। साथ ही अवैध आव्रजन पर ट्रंप का रुख सख्त रहने वाला है। पहले ही दिन ट्रंप कई कार्यकारी आदेश पर हस्ताक्षर करेंगे, जिनमें अमेरिकी की सीमाओं पर आपातकाल लागू किया जाएगा और अवैध अप्रवासियों को निर्वासित करने की प्रक्रिया शुरू हो जाएगी।