करवा चौथ 4 नवंबर काे, सुहागिनों के लिए शुभ रहेगा, पूजा का मुहूर्त शाम 5.29 से 6.48 बजे तक

कोटा@ करवा चौथ 4 नवंबर बुधवार कार्तिक मास के कृष्ण पक्ष की चतुर्थी तिथि को सर्वार्थ सिद्धि व शिव योग में मनाया जाएगा। यह शुभ संयोग सुहागिनों के लिए शुभ फलदायी होगा। ये पर्व कार्तिक मास के कृष्णपक्ष की चंद्रोदय व्यापिनी चतुर्थी के दिन करना चाहिए। जानकारों का कहना है कि जब उदियात के समय तृतीया तिथि और चंद्रोदय के समय चतुर्थी तिथि हो, तब यह व्रत किया जाता है।

करवा चौथ पूजा मुहूर्त शाम 5.29 से 6.48 बजे तक है। चतुर्थी तिथि 4 नवंबर को 3.24 पर आरंभ होकर 5 नवंबर को 5.14 समाप्त होगी। ज्योतिषाचार्य अमित जैन ने बताया चतुर्थी गणेशजी की तिथि है और इस दिन बुधवार होने के साथ सर्वार्थ सिद्धि योग, शिव योग भी रहेगा। ऐसा संयोग बहुत कम आता है। यह संयोग महिलाओं की मनोकामनाएं पूरी करने में शुभ रहेगा।

कई साल बाद सर्वार्थ सिद्धि योग में मनाया जाएगा पर्व, व्रत रखने पर मनोकामना होगी पूरी

विवाहिताएं अखण्ड सौभाग्य के लिए रखेंगी व्रत : मनवांछित वर पाने के लिए कुंवारी युवतियां भी निर्जला व्रत रखेंगी। विधि-विधान से माता पार्वती और भगवान गणेश की पूजा-अर्चना करेंगी। करवा चौथ की कथा सुनेंगी। फिर रात को चंद्रमा को अर्घ देने के बाद व्रत खाेलेंगी। करवा चौथ पर चंद्रोदय रात 8.24 बजे होगा। पहली बार करवा चौथ व्रत करने वाली नव विवाहिताओं में विशेष उत्साह बना हुआ है। वे घर की बुजुर्ग महिलाओं मां, सास, ननंद आदि से घर की परंपरानुसार इस व्रत को करने का विधि विधान समझ रही हैं। कहा जाता है कि इस दिन महिलाओं को सोलह शृंगार करके ही पूजा में शामिल होना चाहिए।

छलनी सिखाती है पारदर्शिता : छलनी से पति को देखना सिखाता है कि रिश्ते में एक-दूसरे के लिए इतनी पारदर्शिता होनी चाहिए कि आसानी से एक-दूसरे के जीवन और बातों को समझ सकें। रिश्तों में पारदर्शिता नहीं होने से वे गलतफहमियों के शिकार हो जाते हैं।

चांद की पूजा परेशानियाें में पति-पत्नी को एक-दूसरे के लिए राेशनी का काम करना सिखाती है : चांद की पूजा संकेत करती हैं कि जीवन की परेशानियों के अंधेरे में पति-पत्नी एक-दूसरे के लिए रोशनी का काम करें। जिस तरह रात के अंधेरे में चंद्रमा रोशनी देता है। वैसे ही जीवन की परेशानियों में पति-पत्नी एक-दूसरे के लिए राह दिखाने का काम करें।

 भावनाओं का प्रतीक है करवा और उसका पानी : करवा और उसका पानी कहता है कि करवा संस्कार और पानी भावनाओं का प्रतीक है। दाम्पत्य और परिवार को एकजुट रखने में संस्कार और प्रेम ही सबसे प्रमुख है। अगर घर में संस्कार और प्रेम ना हो तो उसे एक नहीं रखा जा सकता है।