मांगों पर सरकार से बातचीत में नहीं निकला हल, अब कल से आंदोलन करेंगे गुर्जर

बयाना@ बैकलॉग एवं प्रक्रियाधीन भर्तियों में 5 प्रतिशत आरक्षण समेत 6 सूत्रीय मांगों को लेकर 1 नवंबर से राजस्थान जाम करने की कर्नल किरोड़ी सिंह बैंसला की धमकी के बीच शुक्रवार को गुर्जरों के 41 सदस्यीय प्रतिनिधि मंडल ने जयपुर में सरकार से बात की। लेकिन, मांगों पर कोई हल नहीं निकला। इसलिए अब 1 नवंबर से गुर्जर आंदोलन करने पर अड़े हुए हैं। हालांकि इस वार्ता में कर्नल बैंसला खुद मौजूद नहीं थे। इस बीच, पुराने अनुभवों को देखते हुए जिला प्रशासन ने बयाना कस्बे में फिर से पुलिस फोर्स तैनात करवा दी है।

जिलेभर में प्रशासनिक और पुलिस कर्मियों की छुट्टियां रद्द कर दी गई हैं। उन्हें बिना अनुमति मुख्यालय नहीं छोड़ने के निर्देश दिए गए हैं। एहतियात के तौर पर बयाना सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र में जरूरी व्यवस्थाएं करने को कहा गया है। इससे पहले शुक्रवार दोपहर बाद बयाना के डाक बंगला परिसर में नहरा क्षेत्र के गुर्जर पंच-पटेलों की बैठक हुई। इसमें आंदोलन शुरू करने से पहले मांगों को लेकर एक बार जयपुर में सरकार से वार्ता करने का निर्णय लिया गया।

पंच-पटेलों ने कहा कि अगर सरकार बिना आंदोलन के ही मांगों को मान लेती है तो ठीक है अन्यथा 1 नवंबर से कर्नल बैंसला के नेतृत्व में पीलूपुरा से ही आंदोलन शुरू होगा। इस दौरान वार्ता के लिए 41 सदस्यीय कमेटी भी गठित की गई। बाद में यह प्रतिनिधि मंडल बयाना एसडीएम के साथ जयपुर रवाना हो गया। इन पंच-पटेलों का दावा था कि उन्होंने कर्नल बैंसला की सहमति के बाद ही वार्ता के लिए जयपुर जाने का फैसला लिया है। मीटिंग के बाद गुर्जर नेता श्रीराम बैंसला, यादराम मौरोली, दीवान शेरगढ़ ने मीडिया को बताया कि इस मीटिंग में 80 गांवों के पंच-पटेल मौजूद थे।

ज्यादातर वक्ताओं की राय थी कि कोरोना महामारी, त्योहार, शादियों के सीजन और खेतीबाड़ी के काम को देखते हुए आंदोलन शुरू करने से पहले एक बार सरकार से बात जरूर कर लेेनी चाहिए। अगर सरकार बिना आंदोलन के ही मांगों को मान लेती है तो ठीक है, वरना एक नवंबर से आंदोलन शुरू होगा। उधर, कर्नल बैंसला ने फोन पर बताया कि पंच-पटेलों का फोन आया था। इस पर उन्होंने समाज हित मे निर्णय लेने की बात कही थी।

सरकार ने हमारी कोई बात नहीं मानी : बैसला

कर्नल बैसला ने कहा कि सरकार काे जाे देना है ताे यहां आकर दे दे। आश्वासनों से हम संतुष्ट नहीं है। सरकार ने पिछले 15 दिनों में हमारी कोई मांग नहीं मानी है। इसलिए गुर्जर समाज आंदोलन करने पर मजबूर है। समाज मांगों के लिए वर्षों से सरकार से आग्रह कर रहा है, लेकिन एमबीसी समाज की मांगों को लगातार अनदेखा किया जा रहा है। 5 फीसदी आरक्षण और बैकलॉग भरने को चुनावी घोषणा पत्र में शामिल करने के बाद भी अनदेखा किया जा रहा है।