कोटा नगर निगम में वोटों की गिनती जारी

 कोटा@ कोटा उत्तर और दक्षिण नगर निगम चुनाव में वोटों की गिनती जारी है। कोटा उत्तर नगर निगम की काउंटिंग कॉमर्स कॉलेज और दक्षिण निगम की जेडीबी कॉलेज में चल रही है। पार्षद के रिजल्ट आने के बाद मेयर चुनाव की प्रक्रिया शुरू हो जाएगी। मेयर पद के लिए 4 और 5 नवंबर को नामांकन भरा जाएगा।

कोटा उत्तर में 70 वार्डों में 225 उम्मीदवारों के भाग्य का फैसला होगा। वहीं, कोटा दक्षिण के 80 वार्डों में 289 उम्मीदवारों की किस्मत का फैसला होगा। कुल मिलाकर 150 वार्ड पार्षद चुने जाएंगे।

कोटा उत्तर नगर निगम

कोटा उत्तर नगर निगम के वार्ड 1 में भाजपा के रवि मीणा जीते। वार्ड 2 में कांग्रेस के अनूप विजयी, वार्ड 4 में कांग्रेस की जमना बाई जीतीं। वार्ड 6 में भाजपा के नंदकिशोर विजयी। वार्ड 7 में भाजपा के ज्ञानेंद्र सिंह ने जीत हासिल की। वार्ड 41 में कांग्रेस की सपना बुर्ट जीतीं। वार्ड 43 में कांग्रेस के मनोज विजयी। वार्ड 46 में निर्दलीय उम्मीदवार विमल जीते। वार्ड 47 में कांग्रेस के गोपालदास विजयी रहे। वार्ड 61 में कांग्रेस के मोहम्मद वशीर जीते।

कोटा दक्षिण नगर निगम

कोटा दक्षिण निगम के वार्ड 2 से कांग्रेस के अनूप कुमार विजयी रहे। वार्ड 24 से कांग्रेस की शाइना जीतीं। वार्ड 41 से कांग्रेस की सपना विजयी। वार्ड 43 से कांग्रेस के इसरार मोहम्मद जीते। वार्ड 47 से कांग्रेस की सलीना शेरी विजयी रहीं। वार्ड 62 से भाजपा की रेखा गोस्वामी जीतीं। वार्ड 64 से कांग्रेस के दीपक कुमार जीते। वार्ड 66 से कांग्रेस की शीला पाठक जीतीं हैं।

समीकरण बिगड़ने की आशंका

कोटा दक्षिण को भाजपा का गढ़ माना जाता है। इस क्षेत्र में 80 वार्ड है, इसमें से 56 वार्ड कोटा दक्षिण विधानसभा क्षेत्र के हैं, जहां परिसीमन से बाद आज तक कांग्रेस विधायक नहीं चुना गया। इसी तरह 16 वार्ड लाडपुरा विधानसभा में हैं, जहां से चौथी बार भाजपा के विधायक हैं। रामगंजमंडी विधानसभा के 8 वार्ड आते हैं, यहां भी तीसरी बार से भाजपा के ही विधायक हैं। परंपरागत वोटर होने से भाजपा इस निगम को लेकर आश्वस्त थी कि यहां आसानी से जीत जाएंगे। भाजपा के नेता कांग्रेस की सीटें अंगुलियों पर गिन रहे थे, लेकिन वोटिंग के बाद जब शाम को वार्ड वार विश्लेषण शुरू होने लगे तो भाजपा की चिंता बढ़ी। सूत्रों ने बताया कि आपसी चर्चा के बाद यह बात सामने आई कि पार्टी के प्रमुख वार्डों में वोटिंग कम हुई है। ऐसे में भाजपा को भी समीकरण बिगड़ने की आशंका है। प्रत्याशियों की ओर से तर्क दिया गया कि कोविड की वजह से लोगों को निकालने में दिक्कत हुई, लेकिन बड़े नेताओं ने यह तर्क इसलिए खारिज कर दिया, क्योंकि यह पैटर्न दूसरे वार्डों में नहीं था। हालांकि बड़े नेताओं का मानना था कि भले ही कुछ सीटें कम हो जाए, लेकिन पार्टी का मेयर बनने में इस निगम में कहीं कोई अड़चन नहीं आएगी। लेकिन इसे लेकर जोड़-तोड़ शुरू हो गई है।